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Article 370: तिरंगा फहराने सुंदरबनी के इन तीन वीरों ने भी दी थी कुर्बानी, इतिहास के पुन्नों में गुम हो चुका है नाम

तीनों शहीदों की समाधि एवं स्मारक बनाने के लिए सरकार से मदद नहीं दी गई। पहले तो राज्य में अन्य पार्टियों की सरकारें थीं लेकिन जब भाजपा की सरकार आई उसने भी कुछ नहीं किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:15 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 11:15 AM (IST)
Article 370: तिरंगा फहराने सुंदरबनी के इन तीन वीरों ने भी दी थी कुर्बानी, इतिहास के पुन्नों में गुम हो चुका है नाम
Article 370: तिरंगा फहराने सुंदरबनी के इन तीन वीरों ने भी दी थी कुर्बानी, इतिहास के पुन्नों में गुम हो चुका है नाम

सुंदरबनी (राजौरी), निशिकांत शर्मा। जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्ति मिल चुकी है, लेकिन इसे हटाने के लिए 50 के दशक से संघर्ष कर अपनी कुर्बानी देने वाले सुंदरबनी के तीन वीरों का नाम इतिहास के पन्नों में गुम हो चुका है। प्रजा परिषद के ‘एक निशान, एक विधान और एक प्रधान’ के वर्ष 1953 के आंदोलन में पुलिस फायरिंग में तीन युवा शहीद हो गए थे। इनके शव तक गायब कर दिए गए। आज तक किसी सरकार या फिर सियासी पार्टी ने इनके परिवारों की सुध नहीं ली। खुद के खर्चे पर बनाए शहीदी स्मारक की जमीन पर भी अतिक्रमण कर लिया गया।

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स्मारक के लिए दो कनाल में से बची है मात्र दो मरला: शहीदों के परिजनों का आरोप है कि स्मारक की दो कनाल आठ मरले जगह पर अतिक्रमण कर लिया गया। अब यह जगह दो मरला ही बची है। वार्ड नंबर 13 में तीनों शहीदों का स्मारक परिजनों ने अपने खर्चें पर तैयार किया है। देखरेख नहीं होने के कारण स्मारक जर्जर हालत में है। स्मारक की जगह पर भी कब्जा कर लिया गया है।

पुलिस फायरिंग में शहीद हुए थे जांबाजः 28 दिसंबर 1953 को प्रजा परिषद के आंदोलन में सुंदरबनी के गांव सोदरा के निवासी रामजी दास, नडानी के बेलीराम और गांव पोखरनी के कृष्ण दास तिरंगा झंडा लहराने के आंदोलन में पुलिस फार्यंरग में शहीद हो गए थे।

स्मारक के लिए कोई मदद नहीं कीः रामजी दास के भतीजे पशोरी लाल, बेलीराम के भतीजे संजय कुमार और कृष्ण दास के भतीजे बाबा पुरुषोत्तम लाल शर्मा का कहना है कि उन्हें तीनों शहीदों की समाधि एवं स्मारक बनाने के लिए सरकार से मदद नहीं दी गई। पहले तो राज्य में अन्य पार्टियों की सरकारें थीं, लेकिन अब जब राज्य में भाजपा की सरकार आई ने भी स्मारक व उनके परिजनों की ओर ध्यान नहीं दिया।

शहीदों के परिजनों की सुध लेने कोई नहीं पहुंचाः सबसे दुख-दर्द शहीदों के परिजनों ने झेला है, लेकिन आज तक अनुच्छेद 370 हटने और तीनों शहीदों का सपना साकार होने के बावजूद कोई भी नेता शहीदों के परिजनों के घरों पर मुबारक देने नहीं पहुंचा है। 28 दिसंबर को प्रतिवर्ष परिवार के सदस्य उन्हें याद करते हैं।

आज तक नहीं मिले शहीदों के शवः शहीदों के परिजनों में बाबा पुरुषोत्तम लाल शर्मा, संजय कुमार और पशोरी लाल शर्मा का कहना है कि शहीद हुए तीनों वीरों के परिजनों को शव भी अंतिम संस्कार के लिए नहीं दिए गए। उन्हें पता नहीं कहां गायब कर दिया। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक दुख राज्य के शहीदों के परिजनों को हुआ था। अफसोस कि सरकार कोई सुध नहीं ले रही है। 


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