JKPSI Exam Scam : सब इंस्पेक्टर पेपर लीक मामले में गिरफ्तार तीनों आरोपित पुलिस रिमांड पर भेजे
24 सितंबर को आरोपितों को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा जिसके बाद कोर्ट आगे के आदेश जारी करेगा। कोर्ट ने आरोपितों से पूछा कि उन्हें पूछताछ के दौरान प्रताडि़त तो नहीं किया जा रहा जिस पर आरोपितों ने इन्कार किया।
जम्मू, जेएनएफ : सब इंस्पेक्टर पेपर लीक मामले में सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल रमन शर्मा, सरकारी अध्यापक जगदीश शर्मा समेत तीन आरोपितों को चीफ ज्यूडिश्यिल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अमरजीत सिंह लंगेह ने तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। आरोपितों को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया था और तब से वे पुलिस रिमांड पर थे। उनकी रिमांड वीरवार को समाप्त हो रही थी।
जांच टीम ने आरोपितों की रिमांड बढ़ाने के लिए सीजेएम के समक्ष पेश किया। सीजेएम ने जांच रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज है और यह आरोप गैर जमानती है। जांच टीम की ओर से बताया कि इस मामले में जांच जारी है। आरोपितों से पूछताछ आवश्यक है। ऐसे में उनकी रिमांड की आवश्यकता है। सीजेएम जम्मू ने आरोपितों की पुलिस रिमांड तीन बढ़ा दी जो 24 सितंबर तक जारी रहेगी।
24 सितंबर को आरोपितों को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा जिसके बाद कोर्ट आगे के आदेश जारी करेगा। कोर्ट ने आरोपितों से पूछा कि उन्हें पूछताछ के दौरान प्रताडि़त तो नहीं किया जा रहा जिस पर आरोपितों ने इन्कार किया। सीजेएम ने तीनों आरोपितों की मेडिकल रिपोर्ट की भी जांच की।
अभियोजन निदेशालय की स्थापना के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रदेश में अभियोजन निदेशालय की स्थापना के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जनहित याचिका में गृह विभाग के तीस अक्टूबर 2019 को जारी उस आदेश को खारिज करने की मांग की गई थी, जिसके तहत निदेशालय की स्थापना की गई है। जनहित याचिका में अलग-अलग आदेश के तहत निदेशालय में की गई नियुक्तियों को भी खारिज करने की मांग की गई थी, लेकिन बेंच ने इसे खारिज करते हुए पाया कि सभी आदेश जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद नियमों में आवश्यक संशोधनों के तहत किए गए। जनहित याचिका में कहा गया था कि पुलिस विभाग से अधिकारियों को निदेशालय में नियुक्त किया गया है और उनकी सेवाओं की परिस्थितियों में बदलाव किया गया है। बेंच ने पाया कि देश में आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1974 में लागू हुई थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर में 31 अक्टूबर 2019 को पुनर्गठन के बाद लागू हुई और नियुक्तियां जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के बाद कानूनों में हुए संशोधन के तहत की गई है जिन्हें गलत नहीं ठहराया जा सकता।