इमरान खान से उम्मीद रखना बेमानी
राज्य ब्यूरो, जम्मू : पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री बने, भारत को उससे उम्मीद रखना बेमानी है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री बने, भारत को उससे उम्मीद रखना बेमानी है। प्रधानमंत्री बनने के लिए कश्मीर का जिक्र करना उसके अपने और पाकिस्तान के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जरूरी है। यह बात वीर चक्र विजेता कर्नल वीरेंद्र कुमार साही ने जागरण विमर्श में कही। 'इमरान खान पर कितना भरोसा करें' विषय पर आयोजित विमर्श में कर्नल साही ने कहा कि प्रधानमंत्री बदलने से कभी भी देश की नीतियां नहीं बदलती हैं। नीति बनाने वाले वही लोग होते हैं। नीति तभी बदलती है जब कोई बहुत बड़ी शख्सियत प्रधानमंत्री बन जाए। पाकिस्तान में हाल ही में जो चुनाव हुए, उसमें इमरान खान को सेना व कई वर्गो का सहयोग मिला है। ऐसे में वह प्रधानमंत्री बनने के बाद कोई बड़ा बदलाव कर दें, ऐसा भारत के लोगों को सोचना ही नहीं चाहिए। इसका एक कारण पाकिस्तान के पास बहुत कम विकल्प होना है। पाकिस्तान ने भारत के साथ कई बार युद्ध लड़कर देख लिया है। हर बार उसे मात खानी पड़ी है। पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। पाकिस्तान जानता है कि वह भारत के साथ सीधे युद्ध में जीत नहीं सकता। ऐसे में उसके पास परमाणु युद्ध का विकल्प है, लेकिन अगर वह ऐसा करता है तब भी उसका नामोनिशान विश्व के नक्शे से मिट जाएगा। भारत का अधिकतम 20 फीसद हिस्सा ही वह तबाह कर सकता है। वह भी उस सूरत में अगर उसे पहले परमाणु बम फेंकने का अवसर मिले। ऐसे में पाकिस्तान परमाणु युद्ध करे, इसके भी बहुत कम आसार हैं। वहीं, पाकिस्तान के जो हालात हैं, उसमें वह भारत के साथ दोस्ती भी नहीं कर सकता। एक तो पाकिस्तान भारत को हमेशा अपना दुश्मन समझता है। दूसरा उसने सैयद सलाहुद्दीन और हाफिज सईद जैसे जो लोग पाले हुए हैं, वे कभी भी उसे भारत से दोस्ती नहीं करने देंगे। इसलिए हालात में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है। भारत और पाकिस्तान में जो स्थिति है, उसमें कोई भी बदलाव नहीं आ सकता। भारत कभी भी कश्मीर को नहीं छोड़ सकता और पाकिस्तान अगर गुलाम कश्मीर पर अपना हक छोड़ दे तो उसका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। एक सच यह भी है कि भारत में कई राजनीतिक दलों और नेताओं की रोटियां कश्मीर के नाम पर पक रही हैं। उन्हें भी यह अहसास है कि अगर कश्मीर में हालात सामान्य हो जाएं तो उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी। इसलिए कश्मीर के नाम पर कई नारे गढ़े जा रहे हैं।
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यह पूछे प्रश्न
प्र. कहा जाता है कि अगर केंद्र में भाजपा और पाकिस्तान में आइएसआइ समर्थित सरकार हो तो कश्मीर समस्या का समाधान संभव है। क्या ऐसा हो सकता है?
उ. जी, बिलकुल भी नहीं। पहली बात तो यह है कि कश्मीर कोई मुद्दा ही नहीं है। ऐसे में इसका समाधान क्या होगा। क्या भारत 26 हजार जवानों की शहादत के बाद कश्मीर से अपना हक छोड़ देगा। ऐसा कभी नहीं होगा। यही हालात पाकिस्तान के साथ हैं। इसलिए जो लोग पाकिस्तान से बातचीत करने की वकालत करते हैं, वे यह बताएं कि बातचीत से क्या लाभ होगा। पाकिस्तान में कोई भी सरकार आए, कश्मीर में हालात ऐसे ही रहेंगे। प्र. पाकिस्तान में सत्ता के कई केंद्र हैं। ऐसे में क्या इमरान खान तानाशाह बन सकते हैं?
उ. कभी भी नहीं। अगर इमरान खान ने तानाशाह बनने की कोशिश की तो उसका तख्ता पलट दिया जाएगा। पाकिस्तान में सरकार सेना चलाती है और सेना स्वयं ही तानाशाह है। ऐसे में इमरान खान हों या कोई और, वहां पर सेना के होते तानाशाह नहीं बना जा सकता। प्र. इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने से क्या बदलाव आएगा?
उ. इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने से कोई विशेष बदलाव नहीं आएगा। अगर थोड़ा बहुत बदलाव आएगा तो व्यापार को लेकर आ सकता है। भारत ने पहले से ही पाकिस्तान को मोस्ट फेवर नेशन का दर्जा दिया है। हो सकता है कि दोनों देशों में व्यापार को लेकर बदलाव आए। अगर ऐसा होता है तो यह भारत के लिए अच्छा होगा।
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शख्सियत
कर्नल वीरेंद्र साही वीर चक्र विजेता हैं। वह पाकिस्तान और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ हैं। वह पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में दो बार भाग ले चुके हैं।
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