कश्मीर में रंगमंच की गतिविधियां हुई तेज, ऑनलाइन थियेटर की तैयारियां हुई शुरू
कुछ कलाकारों ने सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों के जरिए घर बैठकर ही अपनी एकल प्रस्तुतियां तैयार कर अपने अंदर के कलाकार को जिंदा रखा।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कोविड-19 लॉकडाउन में राहत के साथ ही घाटी में एक बार फिर रंगमंच की गतिविधियां भी शुरु हो गई है। कलाकार घरों से बाहर निकल एक बार फिर नाटकों की तैयारी में जुट गए हैं। थियेटर अभी बंद हैं, इसलिए ये कलाकार कोविड-19 प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए दर्शकों की भीड़ जुटाए बिना ऑनलाइन थियेटर शुरू करने जा रहे हैं। अपने अभिनय का जौहर दिखाने को लालायित इन स्थानीय कलाकारों ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
लॉकडाउन के कारण देश के अन्य भागों की तरह कश्मीर घाटी में भी रंगमंच की गतिविधियां ठप हो चुकी थी। सभी कलाकार अपने घरों में ही सिमट कर रह गए थे। इस दौरान कुछ कलाकारों ने सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों के जरिए घर बैठकर ही अपनी एकल प्रस्तुतियां तैयार कर अपने अंदर के कलाकार को जिंदा रखा और लॉकडाउन से तनाव ग्रस्त हुए लोगों के मनोरंजन का प्रयास किया।
कश्मीर के जाने माने रंगमंच निदेशक मुश्ताक अली ने कहा कि यहां बहुत से कलाकारों ने वर्चुअल मीडिया के जरिए लॉकडाउन में रंगमंच को सक्रिय रखा। लोगों का मनोरंजन किया। अब लॉकडाउन में राहत है। सामान्य जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। अब रंगमंच की गतिविधिंया भी बढ़ने लगी हैं। कलाकार भी अपने काम में जुट गए हैं। यहां थियेटर से जुड़े लोगों ने अब एक नयी पहल की है। वे यहां एक ऑनलाइन थियेटर शुरू करना चाहते हैं। हम विभिन्न नाटकों को रिकार्ड करेंगे। उसके बाद उन्हें सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर प्रसारित करेंगे। हमने इस विषय में वादी में कई थियेटर समूहों से बातचीत की है। इस विचार का समर्थन किया है। इसलिए सभी अपने-अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। हमारी तरह कइयों ने कुछ नाटकों का चयन करते हुए उनकी रिहर्सल भी शुरू कर दी है। ज्यादातर नाटक मौजूदा हालात पर ही केंद्रित रहेंगे।
थियेटर जो होता है, वह समाज का ही एक प्रतिबिंब होता है। लोग क्या सोचते हैं, क्या चाहते हैं, वह रंगमंच पर उकेरा जाता है। कलाकार अपने अभिनय के जरिए उसे दुनिया तक पहुंचाता है। लेखक अपनी लेखनी से उसे रचता है। महामारी को लेकर कश्मीर में क्या बदलाव आया है, लोग क्या चाहते हैं, लोगों ने क्या किया, उन्हें क्या करना चाहिए, ये इन नाटकों में पेश करने का प्रयास किया जा रहा है। कोविड के अलावा अन्य विषयों पर भी कुछ लोगों ने नाटक रचे हैं। मुश्ताक अली ने कहा कि कोविड-19 के प्रोटोकाॅल का पूरा ध्यान रखते हुए ही रिहर्सल की जा रही है। हम बंद कमरों के बजाय खुली जगहों पर शारीरिक दूरी के सिद्धांत के आधार पर रिहर्सल कर रहे हैं। माॅस्क भी पहन रहे हैं, लेकिन कई बार रिकार्डिंग के समय हम इसे उतारते हैं।
रंगकर्मी शब्बीर हकाक ने कहा कि हम उन नाटकों पर ज्यादा काम कर रहे हैं, जिनमें कलाकारों की ज्यादा संख्या नहीं है। तीन से चार कलाकार ही चाहिए, क्योंकि ज्यादा कलाकार जमा करने का मतलब कोविड-19 प्रोटोकाॅल को नुकसान पहुंचाना है। हम लोगों को कोविड-19 के प्रति जागरूक करने के लिए खुद नियमों को नहीं तोड़ सकते। हम उर्दू और कश्मीरी भाषा के नाटक तैयार कर रहे हैं। कई बार हम लोग आपस में सोशल मीडिया पर ही एक दूसरे के साथ संपर्क कर, अपने-अपने संवाद बोलकर रिहर्सल करते हैं। कई बार हम पार्क में या फिर किसी मित्र के घर खुली जगह पर जमा होकर रिहर्सल करते हैं। इसके बाद हम नाटक की रिकार्डिंग करते हैं, ताकि इसे हम अपने दर्शकों तक पहुंचा सकें।
फनकार समूह से जुड़े हसरत गड्डा ने कहा कि रंगमंच तनाव को घटाने का एक कारगर जरिया है। अब बाग, मैदान खुल चुके हैं। लोग भी शारीरिक दूरी के सिद्धांत का पालन करने के अलावा माॅस्क पहन रहे हैं। इसलिए हम प्रयास कर रहे हैं कि प्रशासन हमें ओपन एयर थियेटर की अनुमति दे। हम प्रयास करेंगे दर्शकों की ज्यादा भीड़ जमा करने के बजाय हम अपनी प्रस्तुतियों की संख्या बढ़ाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा दर्शक भीड़ का हिस्सा बने बगैर नाटक देख सकें। ऑनलाइन थियेटर से एक कलाकार को वह मजा कहां आ सकता है जो उसे दर्शकों के सामने अभिनय करने से मिलता है। ऑनलाइन थियेटर एक विकल्प है, जिसे अपनाया जा रहा है।