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गांव खोजपुर के कुएं पर आज भी उमड़ती है सुबह शाम भीड़

पूर्वजों ने जो एक ही बार कुआं खुदवाया था, तब से लेकर आज तक वही कुआं है। इसमें आज भी बराबर पानी रहता है, कभी पानी सूखता नहीं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 10:26 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 02:26 PM (IST)
गांव खोजपुर के कुएं पर आज भी उमड़ती है सुबह शाम भीड़

जम्‍मू, सतीश शर्मा बिश्नाह। बेशक आजकल कुओं व तालाबों की संख्या लगामतार कम होती जा रही है और उनका इस्तेमाल भी कभी कभार ही किया जाता है। जिसकी वजह से इनकी हालत भी काफी दयनीय हो चुकी है। परंतु आज भी कुछ ऐसे कुएं हैं जिन पर पूरा गांव निर्भर है। वैसा ही एक कुआं है गांव खोजपुर में। बिश्नाह से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव खोजपुर का यह वह कुआं है जिस पर सुबह-शाम आज भी पानी लेने वालों का जमघट रहता है।

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इतना ही नहीं सुबह श्रद्धालु इसी कुएं के पानी से स्नान कर साथ ही के शिव मंदिर पर जल चढ़ा कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं। घर के कार्यों में इस्तेमाल होने वाले पानी को यहीं से भरकर ले जाते हैं। सुबह शाम बकायदा महिलाएं यहां पर पोछा मारकर इसकी साफ सफाई करती हैं। जिससे यहां से कोई गंदी चीज उसमें न गिर जाएं, जिससे पानी खराब हो जाए।

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश शर्मा ने बताया की यह कुएं उनके पूर्वजों की देन है। उन्होंने अपने दादा व पिता जी के समय से देखा है कि इस कुएं पर काफी भीड़ रहती है। लोग सुबह शाम इस कुएं का पानी लेकर के इस्तेमाल के लिए ले जाते हैं। बेशक समय के साथ कई तकनीक आई हैंडपंप लगे, लेकिन ग्रामीणों ने इस कुएं के पानी का इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया है।

एक बार इसको प्रशासन ने सुंदर बनाया था। जिससे इसके आसपास की गंदगी को हटाया जाए और तब से लोग इसका ध्यान रख रहे हैं क्योंकि यह पूर्वजों की देन है। इसलिए इनको साफ सुथरा रखना सबकी जिम्मेदारी है और यह कार्य बखूबी किया जा रहा है।

अक्सर गर्मियों के दिनों में पानी का स्तर जमीन से काफी नीचे चला जाता है तब हैंडपंप और मोटर पानी नहीं उठाते तो लोग इन्हीं कुएं का पानी इस्तेमाल कर अपना काम चलाते हैं। इस कुएं को संभाल के रखते हैं इसके आसपास गंदगी नहीं रहने देते। वही, विजय कुमार ने बताया कि यह कुआं ग्रामीणों की जरूरत पूरी करता है इसलिए अक्सर बार-बार लोगों से कहा जाता है कि कुएं के आसपास गंदगी न फैलाएं। इसे साफ सुथरा रखने में सहयोग करें और अगर किसी को आसपास कोई गंदगी दिखती भी है तो उसे बिना संकोच वहां से हटाएं, क्योंकि यह पानी आज भी वह इस्तेमाल कर रहे हैं।

गांव के लोग इस पर निर्भर हैं। इसको वह आगे भी संभाल कर रखेंगे, क्योंकि हैंडपंप बार बार लगवा सकते हैं, मोटर बार बार लगवा सकते हो, लेकिन पूर्वजों ने जो एक ही बार कुआं खुदवाया था, तब से लेकर आज तक वही कुआं है। इसमें आज भी बराबर पानी रहता है, कभी पानी सूखता नहीं।

इसलिए जिन गांवों में कुएं व तालाब सूख चुके हैं या बंद होने के कगार पर हैं। उनकी अनदेखी की जा रही है उनसे अपील है कि तालाब के संरक्षण के लिए प्रशासन से संपर्क करें। इनको दोबारा जीवित करने के लिए प्रयास करें, क्योंकि यह कुएं बार-बार नहीं बनाए जा सकते। इसके लिए केंद्र सरकार ने योजना भी चलाई है। जिससे तालाबों और कुओं का संरक्षण किया जाएगा। इसलिए प्रशासन के पास जाकर इनको दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाएं। 


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