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बाहु रैका के जंगल की पुकार: पर्यावरण पर अभी नहीं चेते तो दिल्ली जैसे हालात दूर नहीं

जम्मू संभाग के तीन प्रमुख शहर जम्मू कठुआ और ऊधमपुर में वायु प्रदूषण सूचकांक के लिहाज से रेड कैटेगरी में अकसर रहते हैं। कई बार यह सूचकांक 200 को भी पार कर जाता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 11:29 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 11:29 AM (IST)
बाहु रैका के जंगल की पुकार: पर्यावरण पर अभी नहीं चेते तो दिल्ली जैसे हालात दूर नहीं
बाहु रैका के जंगल की पुकार: पर्यावरण पर अभी नहीं चेते तो दिल्ली जैसे हालात दूर नहीं

जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू समेत राज्य के अधिकतर बड़े शहरों की हवा में लगातार प्रदूषण घुल रहा है। यह सब प्राकृतिक संसाधनों का बेतरतीब ढंग से दोहन और पेड़ों के लगातार कटान से हुआ है। हालांकि, यहां अभी हवा में प्रदूषण का स्तर दिल्ली जैसे खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचा है, लेकिन वर्तमान में जैसे हालात बन रहे हैं उससे हम उसी नाजुक स्थिति में पहुंच रहे हैं। हाईकोर्ट जम्मू को जानीपुर से बाहु रैका में शिफ्ट करने के लिए करीब चालीस हजार पेड़ों के कटने की आशंका वायु प्रदूषण को उसी खतरनाक स्थिति पर पहुंचाने का संकेत दे रही है। बड़ी बात यह कि जम्मू के जानीपुर से बाहु रैका में हाईकोर्ट कांप्लेक्स शिफ्ट करने के फैसले का विरोध होने लगा है। इसे विकास के लिए पर्यावरण के साथ खिलवाड़ बताया जा रहा है।

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एयर क्वालिटी इंडेक्स में शून्य से 50 तक की हवा सेहत के लिए अच्छा होता है। इसके ऊपर प्रदूषित होने पर यह नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है। 50 से 100 के बीच का प्रदूषण सेहत के लिए थोड़ा खराब माना जाता है। इससे अधिक स्तर को बहुत अधिक खतरनाक समझा जाता है। इसे ओरेंज और रेड कैटेगरी में रखा जाता है। जम्मू-कश्मीर के कई प्रमुख शहर आए दिन ओरेंज और रेड कैटेगरी में होते हैं। बीते रविवार को जम्मू शहर की हवा ओरेंज कैटेगरी में थी। सोमवार को जम्मू कश्मीर के सात शहरों में वायु प्रदूषण सूचकांक पचास से अधिक था। इनमें कठुआ, जम्मू, ऊधमपुर, श्रीनगर, अनंतनाग, बारामुला और सोइबुग शामिल हैं।

जम्मू संभाग के तीन प्रमुख शहर जम्मू, कठुआ और ऊधमपुर में वायु प्रदूषण सूचकांक के लिहाज से रेड कैटेगरी में अकसर रहते हैं। कई बार यह सूचकांक 200 को भी पार कर जाता है। ऐसे में अगर अब चालीस हजार के करीब पेड़ों को और काटा जाता है तो जम्मू की हवा आने वाले दिनों में दिल्ली की तरह हो सकती है।

कॉलोनियां बनीं पर नहीं लगाए गए पेड़

जम्मू-कश्मीर में तीस साल के आतंकवाद के दौर में अवैध रूप से लाखों पेड़ काटे गए हैं। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो कि इससे अछूता रह गया हो। यही कारण है कि जिन पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल होते थे, अब वे अब नंगे नजर आते हैं। यही नहीं, विकास के नाम पर जंगल काट कर कॉलोनियां बनाई गईं, लेकिन वन क्षेत्र नहीं बढ़ाया गया। इससे जम्मू का पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हुआ।

वायु प्रदूषण का यह भी कारण

जम्मू कश्मीर में इस समय 16,57,433 पंजीकृत वाहन हैं। इनमें जम्मू संभाग में 9,96,806 वाहन है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जम्मू में प्रदूषण की समस्या क्या होगी। यहां वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण की जांच को लेकर सख्ती न होने का भी खामियाजा उठाना पड़ रहा है। प्रदूषण का एक बड़ा कारण ईंधन में मिलावट को भी माना जाता है। इसकी जांच को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया।

औद्योगिक क्षेत्र व ईंट भट्ठों वाले क्षेत्रों में प्रदूषण

वायु प्रदूषण का बड़ा कारण कई औद्योगिक इकाइयों द्वारा नियमों का पालन न करना है। इस कारण जम्मू के बड़ी ब्राह्मणा, गंग्याल, सांबा, ऊधमपुर के बट्टल वालियां, कठुआ के घाटी सहित सभी औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण अधिक है।

राज्य के दो तिहाई क्षेत्र में होने चाहिए वन

इंडियन कांउसिल फॉर एनवायरो लीगल एक्शन संगठन के जम्मू-कश्मीर के प्रधान और जाने माने पर्यावरणविद अशोक शर्मा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में ग्रीन कवर कुल जगह का दो तिहाई भाग होना चाहिए, लेकिन अब बीस से तीस प्रतिशत के आसपास ही रह गया है। अगर बाहु रैका से जंगलों को काटा जाता है तो इसका असर जम्मू के पर्यावरण पर पड़ेगा। उनका कहना है कि यह पेड़ पानी को जमीन में रिचार्ज करते हैं। प्रदूषण को कम करते हैं। जम्मू शहर में ट्रैफिक सबसे अधिक है। ऐसे में जम्मू के लंग्स कहे जाने वाले इन जंगलों को बचाने के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए।

बाहु रैका का क्षेत्र जम्मू के लंग्स कहा जाता है। अगर इनके साथ खिलवाड़ किया गया तो आने वाले दिनों में जम्मू का हाल भी दिल्ली जैसा हो सकता है। पहले भी सिद्दड़ा के क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए हैं, तब हजारों पेड़ काटे गए हैं। हर बार विकास के नाम पर पेड़ों को काटना सही नहीं है। हाईकोर्ट कांप्लेक्स को किसी और जगह शिफ्ट करने के बारे में सोचना चाहिए। - अभिषेक शर्मा, पर्यावरणविद, जम्मू

सबसे प्रदूषित शहर हैं जम्मू और श्रीनगर

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख शहरों जम्मू और श्रीनगर को सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल किया था। श्रीनगर शहर को विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 10वें और जम्मू को 20वें पायदान पर रखा था। हालांकि, केंद्र व तत्कालीन जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस रिपोर्ट को नकार दिया था। इसके बाद भी राज्य के कई शहरों व कस्बों की हवा प्रदूषित पाई गई। इनमें जम्मू और श्रीनगर शहर प्रमुख हैं।

राज्य के प्रमुख शहरों में चार नवंबर का वायु प्रदूषण सूचकांक

  • जम्मू: 85
  • कठुआ: 91
  • ऊधमपुर: 68
  • अनंतनाग: 55
  • श्रीनगर: 68
  • बारामुला: 68
  • सोईबुग: 68
  • जम्मू शहर में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण चिंता का विषय है। पिछले तीन साल से वायु प्रदूषण अधिक बढऩे के कारण सांस और दिल की बीमारियों में बढ़ोतरी हुई है। पहले कहा जाता था कि वायु प्रदूषण मेट्रो शहरों में ही होता है लेकिन अब जम्मू शहर में भी बढ़ा है। प्रदूषण और सेहत का आपस में गहरा संबंध है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस संबंधी रोगों के अलावा हृदय रोग भी होते हैं। -डॉ. सुशील शर्मा, एसओडी, कार्डियालोजी विभाग सुपर स्पेशलिटी अस्पताल 

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