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गुपकार घोषणापत्र कश्मीर केंद्रित दलों की मजबूरी, इसी बहाने कर रहे अपनी सियासी जमीन बचाने का प्रयास

गुपकार घोषणापत्र कश्मीर केंद्रित दलों की मजबूरी सियासी जमीन बचाने का प्रयास कर रही नेकां पीडीपी अवामी नेशनल कांफ्रेंस पीपुल्स कांफ्रेंस सहित अन्य पार्टियां

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 10:19 AM (IST)
गुपकार घोषणापत्र कश्मीर केंद्रित दलों की मजबूरी, इसी बहाने कर रहे अपनी सियासी जमीन बचाने का प्रयास

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। गुपकार घोषणापत्र का राग अलापना कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दलों की मजबूरी है। इसी के बहाने वह अपनी सियासी जमीन बचाने का प्रयास कर रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, अवामी नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स कांफ्रेंस, कांग्रेस व मा‌र्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रति आम कश्मीरी ने कोई रूचि नहीं दिखाई है। उनका कहना है कि इन्हें अब अपनी असलियत पता चली है। इनके राजनीतिक एजेंडे और नारे अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं।

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पीडीपी पूरी तरह टूट चुकी है और महबूबा मुफ्ती के साथ चंद ही साथी रह गए हैं। अपनी साख बचाने के लिए महबूबा के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इसलिए उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली के एजेंडे की सियासत को ही अपनाने का फैसला किया है। अवामी नेशनल कांफ्रेंस अपना जनाधार गंवा चुकी है और वह मां-बेटे खालिदा शाह व मुजफ्फर शाह तक सिमट गई है। माकपा सिर्फ दक्षिण कश्मीर में ही अपना आधार रखती है और पुनर्गठन अधिनियम की विरोधी है।

पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन भी अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता गंवा चुके हैं। अनुच्छेद 370 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ जाकर वह भाजपा को नाराज कर चुके हैं। नेशनल कांफ्रेंस ने बदले हालात में आगे बढ़ने का प्रयास किया, लेकिन उसके नेताओं ने इस पर बागी तेवर अपनाए तो डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला को अपने पैर पीछे खींचने पड़े। उन्हें लगा कि अगर वह बदले हालात के साथ समझौता करते हैं तो नेकां में विभाजन नहीं रोका जा सकेगा।

जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी भी आम कश्मीरियों को अपने साथ जोड़ने में नाकाम रही है। उसे कश्मीर में भाजपा की बी पार्टी कहा जाने लगा है। ऐसे में नेकां, पीपुल्स कांफ्रेंस, पीडीपी, माकपा, अवामी नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस को लगता है कि अगर कश्मीर में टिकना है तो अनुच्छेद 370 की बहाली का नारा देकर लोगों को लामबंद करना जरूरी है। इस तरह वह किसी हद तक राजनीतिक विश्वसनीयता बहाल कर सकेंगे। एक मंच पर जमा हुए थे यह राजनीतिक दल गत सप्ताह नेकां, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस, माकपा, कांग्रेस व अवामी नेशनल कांफ्रेंस जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ एक मंच पर जमा हुए थे। इन दलों ने अनुच्छेद 370 व 35ए की बहाली के साथ पांच अगस्त 2019 से पूर्व की जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति बहाल करने की मांग करते हुए गुपकार घोषणापत्र को अपना राजनीतिक मकसद बताया था।

क्या है गुपकार घोषणापत्र

पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने से एक दिन पहले चार अगस्त को नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के घर पर बैठक हुई थी। इसमें भाजपा को छोड़कर सभी दलों के नेता शामिल हुए थे। बैठक के बाद संयुक्त गुपकार घोषणापत्र जारी किया गया था। इसमें कहा गया कि अगर जम्मू कश्मीर के विशेष संवैधानिक दर्जे के साथ केंद्र कोई छेड़खानी करता है तो सभी राजनीतिक दल मिलकर राज्य की विशिष्ट संवैधानिक, क्षेत्रीय और मजहबी पहचान के संरक्षण का प्रयास करते हुए जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता को सुनिश्चित बनाएंगे।


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