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DGPC Election Jammu Kashmir: जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव की मांग फिर पकड़ने लगी जोर

कोरोना के कारण स्थगित हुए जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव की मांग फिर से जोड़ पकडऩे लगी है। गत मार्च में चुनाव को कोरोना से हालात खराब होने के कारण टाल दिया गया था अब हालात सामान्य होते ही सिख संगठनों ने चुनाव की मांग शुरू कर दी है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 05:54 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 05:54 PM (IST)
DGPC Election Jammu Kashmir: जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव की मांग फिर पकड़ने लगी जोर
अब हालात सामान्य होते ही सिख संगठनों ने चुनाव की मांग शुरू कर दी है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । कोरोना के कारण स्थगित हुए जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव की मांग फिर से जोड़ पकडऩे लगी है। गत मार्च में चुनाव को कोरोना से हालात खराब होने के कारण टाल दिया गया था अब हालात सामान्य होते ही सिख संगठनों ने चुनाव की मांग शुरू कर दी है।

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इस बार चुनाव में नए मुद्दे भी शामिल होंगे कश्मीर के सिख संगठन उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अंतर जातीय कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव स्थगित हो गए थे।वित्तीय आयुक्त राजस्व ने मतदाता सूचियों को फाइनल करने का काम निपटा लिया था। यह प्रक्रिया अप्रैल 2021 में संपन्न हो गई थी। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने चुनाव को स्थगित करने में समझदारी दिखाई।

गत दिवस कुछ सिख प्रतिनिधियों ने जम्मू के डिप्टी कमिश्नर अंशुल गर्ग से मिलकर गुरुद्वारों के पैसे का दुरुपयोग होने के आरोप लगाने के अलावा मौजूदा कमेटी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए है। यह मांग की जा रही है कि पहले ही एक साल की देरी हो चुकी है इसलिए चुनाव जल्द करवा दिए जाएं। जम्मू कश्मीर में कुल बीस जिले है और चुनाव के लिए संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नर चुनाव की अधिसूचना जारी करते हैं। इसमें नामांकन पत्र भरने, नाम वापिस लेने समेत चुनाव की तिथि से लेकर परिणाम तक का सारा शेडयूल तक किया जाता है। गुरुद्वारा कमेटियों का पांच साल का कार्यकाल 12 जुलाई 2020 को समाप्त हो गया था। उसके बाद सरकार ने कार्यकाल तीन महीने बढ़ाया था। बाद में सरकार ने तीन महीने में चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के आदेश दिए थे लेकिन जिला विकास परिषद के चुनाव होने से जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव की प्रक्रिया को टाल दिया गया। उसके बाद कोरोना के हालात सामने आ गए। चुनाव गुरुद्वारा एक्ट 1973 के तहत करवाए जाते है। कमेटियों का काम जम्मू कश्मीर के गुरुद्वारों की देखभाल, संचालन करना होता है। गुरुद्वारा एक्ट के अनुसार चुनाव करवाने का जिम्मा सरकार का होता है।

चुनाव में इस बार मुद्दे

- सिख समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अधीन जम्मू कश्मीर को लाना

- पंजाबी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा देना- गुलाम कश्मीर के रिफ्यृजियों का पुर्नवास करना

- सिख समुदाय के लिए विधानसभा में सीटें आरक्षित करना

- नौकरियों में आरक्षण देना

- उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अंतर जातीय कानून बनाना

- उच्च न्यायालय, संवैधानिक संस्थानों में समुदाय को प्रतिनिधित्व देना 

आल पार्टीज सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन किया जाना चाहिए। मैने इस मुद्दे को समय समय पर उठाया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ भी मुद्दा उठाया था। एक्ट मौजूदा समय के अनुरूप नहीं रहा है। खामियाें को दूर करने की जरूरत है। एक्ट मौजूदा समय में हर पहलू को ध्यान में रखकर चुनाव करवाए जाएं।

नेशनल सिख फ्रन्ट के चेयरमैन वीरेंद्र जीत सिंह ने कहा कि जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव में पहले से देरी हो चुकी है। अब कोरोना से हालात सामान्य हो रहे है। चुनाव करवाने चाहिए। एक्ट में अगर संशोधन निर्धारित समय के भीतर संभव है तो संशोधन करके एक्ट को ज्यादा प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

भाई कन्हैया निष्काम सेवा सोसायटी के प्रधान महेंद्र सिंह ने कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव जल्द करवाने चाहिए। गुरुद्वारों के रखरखाव के लिए समय समय पर चुनाव करवाना बहुत जरूरी है। कोरोना के कारण पहले ही चुनाव काफी समय से टलते आ रहे हैं। अब हालात सामान्य हो गए है।

जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय की आबादी करीब तीन लाख तीस हजार के करीब है। इसमें जम्मू संभाग में दो लाख पचास हजार और कश्मीर संभाग में अस्सी हजार सिख रहते है। जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के बाद जम्मू कश्मीर गुरुद्वारा प्रबंधक बोर्ड का चुनाव होता है। इसमें आठ सदस्य जम्मू संभाग और सात सदस्य कश्मीर संभाग से चुने जाते है। बीस जिलों में बीस जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियां बनेगी। हर कमेटी के लिए ग्यारह सदस्य चुने जाते है। 


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