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Chhath Puja 2020: चढ़ते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महापर्व छठ के सामपन पर सूर्य देव की पत्नी उषा को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य हमारी प्रकृति में सबसे महत्वपूर्ण है। उष की पूजा से ही जीवन में तेज बना रहता है।पूजा के बाद व्रतियों ने कच्चे दूध और प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 09:32 AM (IST)
Chhath Puja 2020: चढ़ते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन
हर ओर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया।

जम्मू, जागरण संंवाददाता: चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन शनिवार को चढ़ते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही हो गया।व्रतियों ने सूर्यदेव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया।चढ़ते सूर्य को देखते ही व्रतियाें ने परिवार की सुख, शांति अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। छठ पूजा करने वाली महिलाओं कोरोना महामारी से जल्द छुटकारे के लिए भी दुआ की।सूर्य उगने से पहले ही श्रद्धालु जलस्रोतों, तवी, नहर आदि स्थानों पर पूजा सामग्री के साथ पहुंच चके थे।

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सूर्य की लालिमा छाते ही कई लोगों ने आतिशबाजी की तो कई लोगों छठी मईया के भजन कीर्तन के साथ चढ़ते सूर्य की पूजा अर्चना की। हालांकि कोरोना के चलते घाटों, नदियों के किनारों पर पिछले वर्षो की तरह सामूहिक आयोजन तो नहीं किए गए थे लेकिन श्रद्धालु अपने-अपने तौर पर शारीरिक दूरी बनाकर पूजा अर्चना करते दिखे। हर ओर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया।

व्रतियों ने बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फलों के साथ पूजा की टोकरी सजाए हुए थे। ठंड के बावजूद बहुत से श्रद्धालु नंगे पांव की पूजा स्थल पर पहुंचे हुए थे। सूर्य के दर्शन होते ही श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ जल एवं दूध भरे लोटों के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। व्रती घंटों छठी मैया की पूजा अर्चना करती रही। उनके साथ परिवार के दूसरे सदस्य भी पूजा अर्चना में पूरी आस्था के साथ उनका सहयोग करते दिखे।

पूजा कर रही बुजुर्ग व्रती गायत्री देवी ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महापर्व छठ के सामपन पर सूर्य देव की पत्नी उषा को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य हमारी प्रकृति में सबसे महत्वपूर्ण है। उष की पूजा से ही जीवन में तेज बना रहता है।पूजा के बाद व्रतियों ने कच्चे दूध का शरबत और प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया। 


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