जम्मू को पुलवामा की तरह दहलाना चाहते थे आतंकी
नगरोटा के बन टोल प्लाजा पर शुक्रवार को मुठभेड़ के दौरान मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी घुसपैठ के दौरान अपने साथ पाकिस्तान से शक्तिशाली आइईडी लेकर आए थे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । नगरोटा के बन टोल प्लाजा पर शुक्रवार को मुठभेड़ के दौरान मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी घुसपैठ के दौरान अपने साथ पाकिस्तान से शक्तिशाली आइईडी लेकर आए थे। उन्होंने सुरक्षाबलों के वाहनों को उड़ाने के लिए इसे श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर एक जगह पर लगा भी दिया था, सिर्फ इसे रिमोट से धमाका करने वाले को सूचना देना शेष रह गया था। यह रेडी टू यूज आइईडी थी। अलबत्ता, आतंकियों का यह मंंसूबा उनकी मौत और उनके तीन साथियों के जिंदा पकड़े जाने से धरा का धरा रह गया।
आइइडी को बन टोल प्लाजा से तीन से चार किलोमीटर पहले सड़क किनारे लगे एक बड़े होर्डिंग के पास लगाया गया था। इसे शुक्रवार की रात समीर अहमद डार व उसके साथियों की निशानदेही पर बरामद कर निष्क्रिय कर दिया गया। समीर के साथ सरताज अहमद मंटू निवासी किसरीगाम काकपोरा, पुलवामा और आसिफ अहमद मलिक निवासी काजीगुंड काकपोरा पुलवामा को पकड़ा गया है। गत शुक्रवार को समीर अहमद डार ही अपने ट्रक में जैश-ए-मोहम्मद के तीन पाकिस्तानी आतंकियों को लेकर जम्मू से कश्मीर जा रहा था। बन टोल प्लाजा पर ट्रक में आतंकियों की उपस्थिति का पुलिस ने पता लगा लिया और उसके बाद हुई मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए। समीर व उसके दो अन्य साथी ङ्क्षजदा पकड़ लिए गए।
रेडी टू यूज थी आइईडी
मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया कि जिस आइईडी को निष्क्रिय किया गया है, वह रेडी टू यूज थी। इसे किसी अन्य व्यक्ति को रिमोट से उचित समय पर इशारा मिलने पर उड़ाना था। यह आतंकी जम्मू या जम्मू के आसपास ही कहीं छिपा हुआ है। फिलहाल, इसकी तलाश की जा रही है। समीर के अनुसार, जैश के आतंकियों के कश्मीर पहुंचने के बाद ही आइईडी को धमाका कर उड़ाया जाना था।
बख्तरबंद वाहन को भी छेद सकती हैं आतंकियों से मिलीं बुलेट
अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों के पास से अमेरिका निर्मित स्नाईपर राइफल, छह असाल्ट राइफलें, पांच पिस्तौल, 11 हथगोले, आरडीएक्स, अत्याधुनिक सैटेलाइट फोन और जीपीएस मिले हैं। इन आतंकियों के पास हाईग्रेड स्टील बुलेट मिली हैं जो किसी भी बख्तरबंद वाहन और बुलेटप्रूफ जैकेट, बुलेट प्रूफ वाहन को भेद सकती हैं। आतंकियों से जो एम4 स्नाईपर राइफल मिली है, वह कश्मीर में पहले भी दो बार बरामद हो चुकी है। वर्ष 2018 में जैश के आतंकियों ने स्नाईपर शूङ्क्षटग के पांच मामलों में एम4 राइफल ही इस्तेमाल की थी।