सरपंच अजय पंडिता हत्या: अल्पसंख्यकों को सॉफ्ट टारगेट बना रहे आतंकी, कश्मीरी पंडितों में दहशत पैदा करने की साजिश
खुफिया एजेंसियों के अलर्ट पर आतंक ग्रस्त इलाकों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में कई बार बदलाव किए गए हैं। आतंकी कश्मीर में अल्पसंख्यकों में दहशत पैदा करना चाहते हैं।
श्रीनगर, नवीन नवाज। कश्मीर में सुरक्षाबलों के आतंकरोधी अभियानों की सफलता और टॉप आतंकी कमांडरों के मारे जाने से हताश आतंकी संगठन अब वादी में सॉफ्ट टारगेट तलाश रहे हैं। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की हत्या के पीछे भी यही साजिश है। आतंकी संगठन अब आम लोगों को जनप्रतिनिधियों पर हमले कर कश्मीर में लोगों को डराना चाहते हैं। साथ ही सांप्रदायिक हिंसा को भड़काकर कानून व्यवस्था का संकट पैदा करने के मंसूबे भी पाल रहे हैं। अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों पर हमला करना भी इसी साजिश का हिस्सा है। वादी में बीते एक माह के दौरान अल्पसंख्यकों के चार धर्मस्थलों पर हमले हुए हैं।
खुफिया एजेंसियों की मानें तो पांच-छह माह से लगातार सूचना मिल रही हैं कि आतंकी संगठन कश्मीर में अल्पसंख्यकों में खौफ पैदा करने के साथ सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश में जुटे हैं। वह आतंक की राह छोड़ रहे कश्मीरियों में फिर से दहशत पैदा करने के लिए सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देने का मौका ढूंढ रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के अलर्ट पर आतंक ग्रस्त इलाकों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में कई बार बदलाव किए गए हैं। आतंकी कश्मीर में अल्पसंख्यकों में दहशत पैदा करना चाहते हैं।
खुलकर बात नहीं कर सकते : कश्मीरी हिंदू वेलफेयर सोसाइटी के प्रेस सचिव चुन्नी लाल ने कहा कि लगभग 750 पंडित कभी भी कश्मीर छोड़कर नहीं आए। अजय पंडिता की हत्या से सिर्फ कश्मीरी पंडित ही नहीं, अन्य अल्पसंख्यकों की चिंता बढ़ना लाजिमी है। यहां हम खुलकर बात भी नहीं कर सकते। आतंकियों ने इस हत्या के जरिए कश्मीरी पंडितों को रोकने की साजिश रची है। सामाजिक कार्यकर्ता सलीम रेशी ने कहा कि इस हत्या से कश्मीरी पंडितों की वापसी की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
कोई बड़ा कमांडर जिंदा नहीं बचाः जम्मू कश्मीर में जनवरी 2020 से अभी तक करीब 100 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें रियाज नाइकू, आदिल, बुरहान, रहमान, सैफुल्ला, कारी समेत लश्कर, जैश और हिज्ब के कई नामी कमांडर शामिल हैं। वादी में सक्रिय आतंकी संगठनों के पास इस समय नेतृत्व का अभाव है। कोई बड़ा कमांडर जिंदा नहीं बचा है। आतंकियों के 160 के करीब ओवरग्राउंड वर्कर पकड़े जा चुके हैं। इस वर्ष आतंकी बनने वाले स्थानीय युवाओं में से कई मारे गए हैं और कई वापस घर लौट गए हैं। हथियार और पैसे की कमी भी आतंकी ङोल रहे हैं।
शिया समुदाय भी निशाने परः अजय पंडिता की हत्या से पूर्व बीते एक माह के दौरान वादी में जिहादी तत्वों ने श्रीनगर में ही अल्पसंख्यकों के चार धर्मस्थलों को निशाना बनाया है। इनमें एक रैनावारी इलाके में मंदिर और तीन शिया समुदाय के धर्मस्थल हैं। चारों धर्मस्थलों पर पेट्रोल बमों से हमला हुआ है।
कैडर खिसकने का खौफः राज्य पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि बड़ा हमला करने में नाकाम आतंकी हताश हैं। हताशा में कैडर का मनोबल बनाए रखने के लिए निहत्थे पुलिसकर्मियों को घरों से अगवा और पंच-सरपंचों के साथ मारपीट करते हैं। अजय पंडिता की हत्या भी इसी कड़ी का हिस्सा है। सुर्खियों व खौफ पैदा करने के लिए आतंकी अजय पंडिता जैसे लोगों की हत्या करते हैं।
- एक वर्ष में कश्मीर का नेरेटिव बदल चुका है। लश्कर, जैश, हिज्ब जैसे आतंकी संगठन अपने प्रमुख कमांडरों के मारे जाने से हताश हैं। वह एक वर्ष में बड़ी वारदात अंजाम नहीं दे पाए हैं। हालांकि पिछले वर्ष कुछ प्रवासी मजदूरों और ट्रक चालकों को निशाना बनाया था, लेकिन उनका मंसूबा पूरा नहीं हुआ। पाकिस्तान भी कश्मीर के हालात को लेकर परेशान है। नई साजिश के तहत अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। कश्मीरी पंडित अजय पंडिता की हत्या भी इसी साजिश का हिस्सा है। धर्मस्थल और अल्पसंख्यक उनके लिए साफ्ट टारगेट रहे हैं। - मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) दिलावर सिंह, कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ
- अजय पंडिता को आतंकियों ने सोच समझकर निशाना बनाया है। उनकी हत्या से पूर्व श्रीनगर में एक मंदिर पर हमला, फिर एक के बाद एक कर शिया समुदाय के तीन धर्मस्थलों को आग लगाने का प्रयास किया जाता है। यह सारी घटनाएं एक दूसरे से जुड़ती हैं। इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह आतंकियों और उनके आकाओं की बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। वह कश्मीर से उन तत्वों को खदेड़ना चाहते हैं जो निजाम ए मुस्तफा के मकसद में रोड़ा बन सकते हैं। अपने मकसद के लिए पहले वह साफ्ट टारगेट चुन रहे हैं। - डॉ. अजय चुरुंगु, कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ