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Militancy in Kashmir: जम्मू-कश्मीर में नया नहीं है आतंकी-राजनीतिक गठजोड़, जानें किन नेताओं का आ चुका है नाम!

Militancy in Kashmir 2004 में पुलिस ने नेशनल कांफ्रेंस के एक पूर्व विधायक को गिरफ्तार किया था। उसने अपनी बुलेट प्रूफ कार में हिजबुल के एक नामी कमांडर को अमृतसर पहुंचाया था। अमृतसर से यह आतंकी पाकिस्तान भाग गया था और आज वहीं पर है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 01:06 PM (IST)
Militancy in Kashmir: जम्मू-कश्मीर में नया नहीं है आतंकी-राजनीतिक गठजोड़, जानें किन नेताओं का आ चुका है नाम!
पीडीपी के कुछ नेताओं की हत्या हिजबुल की तरफ से बदले की कार्रवाई बताई जाती रही है।

श्रीनगर, नवीन नवाज: अक्षरधाम मंदिर पर आत्मघाती हमले की साजिश हो या आतंकी नवीद मुश्ताक बाबू और महबूबा से जुड़ा मामला, जम्मू-कश्मीर में आतंकी-राजनीतिक गठजोड़ की कहानी बयां करते हैं। यह कहानी सिर्फ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी तक सीमित नहीं है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता भी इस गठजोड़ में पकड़े जा चुके हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी अगस्त 2006 में राजनीतिकों और आतंकियों के गठजोड़ पर कहा था कि हम इसे नेस्तनाबूद करेंगे।

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1999 में गठित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर पहले ही दिन से आतंकियों के साथ गठजोड़ के आरोप लगते रहे हैं। वर्ष 2002 में पीडीपी की जीत में कथित तौर पर हिजबुल मुजाहिदीन और जमात-ए-इस्लामी के सहयोग को अहम बताया जाता रहा है। उस समय दक्षिण कश्मीर में सक्रिय काचरू, शब्बीर बदूड़ी और आमिर खान जैसे हिजबुल आतंकियों के साथ भी महबूबा के तथाकथित संंंबंधों की बात होती थी। यह सभी आतंकी कमांडर मारे जा चुके हैं। कई लोग दावा करते थे कि जिन आतंकी कमांडरों की कथित मदद से अनंतनाग में पीडीपी ने चुनाव जीता था, वह सभी बाद में एक-एक कर पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। वर्ष 2003-05 के दौरान दक्षिण कश्मीर में पीडीपी के कुछ नेताओं की हत्या हिजबुल की तरफ से बदले की कार्रवाई बताई जाती रही है।

अक्षरधाम मंदिर और पीडीपी नेता का घर : सिंतबर 2002 में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आत्मघाती हमले की साजिश भी कथित तौर पर पीडीपी के तत्कालीन कृषि मंत्री अब्दुल अजीज जरगर के नूराबाद (कुलगाम) स्थित मकान में तैयार हुई थी। उनके मकान से ही आतंकी हमले के लिए रवाना हुए थे। इसका पर्दाफाश एक पाकिस्तानी आतंकी मंजूर जहूर की डायरी से हुआ था। डायरी में चांद खान नामक उत्तर प्रदेश के एक शख्स का नाम मिला था, जिसने आतंकियों को श्रीनगर से गुजरात तक पहुंचाया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मामले को तूल पकड़ते हुए कहा था कि जिस मकान की बात हो रही है, वहां अजीज जरगर नहीं रहते, लेकिन आज तक कोई इस बात का जवाब नहीं दे पाया कि जरगर के उक्त मकान पर पुलिस के पहरे के बीच आतंकी कैसे रहते थे।

कहने के लिए पीडीपी नेता था अब्दुल वाहिद डार : जनवरी 2006 में पुलिस ने गांदरबल से पीडीपी के एक काउंसलर अब्दुल वाहिद डार को पकड़ा था। वह 1994 तक हरकतुल अंसार का आतंकी था और 1999 में वह पीडीपी का कार्यकर्ता बना था। 2005 में उसने म्यूनिसिपल चुनाव लड़ा था। कहने के लिए वह पीडीपी नेता था, लेकिन 2003 के बाद से वह लश्कर का एक सक्रिय आतंकी था। उसने मुफ्ती मोहम्मद सईद और गुलाम नबी आजाद पर आत्मघाती हमलों की साजिश रची थी। वह एक बार दिल्ली में महबूबा के कथित सरकारी निवास पर रुका था।

पीडीपी के कुछ खास नेताओं से था आतंकियों का संबंध : वर्ष 2005 में पीडीपी के तत्कालीन शिक्षा मंत्री गुलाम नबी लोन की हत्या में लिप्त लश्कर आतंकियों के संबंध भी कथित तौर पर पीडीपी के कुछ खास नेताओं के साथ होने का उस समय दावा किया था। आतंकियों का निशाना माकपा विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी थे।

आतंकियों से संबंध में पकड़े गए थे नेकां-कांग्रेस के नेता : 2004 में पुलिस ने नेशनल कांफ्रेंस के एक पूर्व विधायक को गिरफ्तार किया था। उसने अपनी बुलेट प्रूफ कार में हिजबुल के एक नामी कमांडर को अमृतसर पहुंचाया था। अमृतसर से यह आतंकी पाकिस्तान भाग गया था और आज वहीं पर है। कांग्रेस का एक नेता गौहर अहमद वानी निवासी शोपियां दिसंबर 2020 में आतंकियों के साथ कथित संबंधों के आरोप में पकड़ा गया है। दिसंबर 2005 में पुलिस ने कांग्रेस व नेकां के दो नेताओं शकील अहमद सोफी व शब्बीर अहमद बुखारी को पकड़ा था। यह दोनों लश्कर के लिए काम करते थे।

भाजपा ने कहा था-निकाला जा चुका है नेता : बीते साल ही पुलिस ने डीएसपी देवेंद्र सिंह व आतंकी नवीद के नेटवर्क से जुड़े भाजपा के एक नेता को भी गिरफ्तार किया था। यह नेता भाजपा के टिकट पर शोपियां से विधानसभा चुनाव लड़ चुका है। अलबत्ता, गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने कहा था कि उक्त नेता को पहले ही निकाल दिया गया है।

गठजोड़ की जांच जरूरी : जम्मू कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार फैयाज ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों का कई सियासी नेताओं के साथ गठजोड़ नया नहीं, बहुत पुराना है। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। कई बार राजनीतिकि दबाव में आतंकियों को रिहा किए जाने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। 


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