Tension in valley: श्रीनगर में किशोर की मौत पर घाटी में तनाव, संवेदनशील इलाकों में लगी निषेधाज्ञा
Tension in valley environment कश्मीर में पटरी पर लौट रही सामान्य जिंदगी को सौरा में पथराव के दौरान घायल एक किशोर की मौत ने रोकने का प्रयास किया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो।Tension in valley: कश्मीर में पटरी पर लौट रही सामान्य जिंदगी को सौरा में पथराव के दौरान घायल एक किशोर की मौत ने बुधवार को रोकने का प्रयास किया। किशोर की मौत से पैदा हुआ तनाव श्रीनगर समेत वादी के विभिन्न हिस्सों में नजर आया। स्थिति को पूरी तरह सामान्य बनाए रखने के लिए प्रशासन को एक बार फिर डाउन टाउन समेत घाटी के संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा का सहारा लेना पड़ा।
इस बीच, सरकारी स्कूल और कार्यालय बीते दिनों की तरह ही खुले। सिविल लाइंस इलाकों में आम लोगों और वाहनों की आवाजाही भी सामान्य रही, लेकिन दुकानें बंद रही। वहीं, श्रीनगर के डाउन टाउन, सौरा व वादी के कई अन्य हिस्सों में शरारती तत्वों द्वारा हिंसा की छिटपुट घटनाएं भी हुई हैं। अलबत्ता, पुलिस ने स्थिति को पूरी तरह शांत व नियंत्रित बताया है।
मृतक असरार अहमद खान श्रीनगर के इलाही बाग सौरा का रहने वाला था। वह छह अगस्त को 90 फीट मार्ग पर हुई हिंसक झड़पों में जख्मी हुआ था। उसके परिजनों का दावा है कि वह पथराव में शामिल नहीं था, बल्कि क्रिकेट खेल रहा था। इसी दौरान हिंसक तत्वों को खदेडऩे के लिए पुलिस द्वारा दागा गया आंसू गैस का गोला उसके सिर पर लगा था।
परिजनों का आरोप है कि उस पर पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर पैलेट भी दागे थे। मंगलवार की रात में अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने दिवंगत के परिजनों के दावे को नकारा है। एडीजीपी मुनीर अहमद खान ने कहा कि असरार की मौत पत्थर लगने से हुई है। उसे हिंसक तत्वों ने छह अगस्त को पत्थर मारा था। शरारती तत्व ही उसकी मौत के लिए सुरक्षाबलों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं ताकि माहौल बिगाड़ा जा सके।
असरार की मौत का असर बुधवार सुबह से ही श्रीनगर समेत घाटी के विभिन्न कस्बों में देखा गया। हालात को भांपते हुए प्रशासन ने विभिन्न इलाकों में प्रशासनिक पाबंदियों को फिर से लागू करने के साथ सड़कों पर अवरोधक भी लगा दिए। सभी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। इसका असर सामान्य जनजीवन पर नजर आया।
हालांकि, सरकारी कार्यालय बीते दिनों की तरह ही खुले और कर्मचारियों की उपस्थिति लगभग बराबर रही। सरकारी स्कूल और निजी स्कूल भी खुले, लेकिन छात्रों के बिना। अध्यापक या फिर छात्रों के अभिभावक ही स्कूलों मे नजर आए। सड़कों पर बीते कुछ दिनों से लगातार बढ़ रही ठेलों और रेहडिय़ों की संख्या भी कुछ कम रही। हालांकि, सुबह और शाम कई दुकानें खुलीं, लेकिन सभी प्रमुख बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद ही रहे।