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ताउम्र पढ़ाया, जाते-जाते देह भी कर दी दान

रोहित जंडियाल, जम्मू : जब तक जीते रहे, अंतिम सांस तक राज्य में हजारों बच्चों में शिक्षा क

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 02:07 AM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 02:07 AM (IST)
ताउम्र पढ़ाया, जाते-जाते देह भी कर दी दान

रोहित जंडियाल, जम्मू :

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जब तक जीते रहे, अंतिम सांस तक राज्य में हजारों बच्चों में शिक्षा की लौ जलाते रहे। अब अंतिम सांस ली तो भी अपने शरीर को बच्चों की पढ़ाई के ही काम आने के लिए राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएससी) जम्मू को दान कर दिया। यह प्रेरणादायक दास्तां है जम्मू के ओरियंटल अकेडमी स्कूल के संस्थापक वेद पाल चौहान की। बीते शुक्रवार को ही उन्होंने अंतिम सांस ली। वह अंग्रेजी विषय में जम्मू के जाने माने शिक्षक थे।

पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो प्रो. भीम ¨सह, जम्मू के आइजी एसडी ¨सह जम्वाल, आइएफएस डॉ. स्वर्णजीत ¨सह, सूदन हार्ट केयर सेंटर के प्रमुख सहित सैकड़ों इंजीनियर, डॉक्टर, केएएस अधिकारी, आइएएस अधिकारी वेद पाल चौहान के छात्र रहे हैं। उनकी उम्र नब्बे साल थी, मगर अभी भी वह स्कूल में आते थे। स्कूल के ¨प्रसिपल भी वह स्वयं थे। उनके बेटे विवेक चौहान कहते हैं कि पिता का सपना था कि वह अंतिम सांस तक बच्चों को पढ़ाते रहें। वह वयोवृद्ध पत्रकार स्व. ओपी सर्राफ से प्रभावित थे। पिछले साल ओपी सर्राफ के निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनका शरीर जीएमसी को दान दे दिया गया था। वेद पाल चौहान ने भी निधन के बाद अपना शरीर जीएमसी को देने का फैसला किया था। उन्होंने अपने बेटे को कहा कि जब उनकी मौत हो, तब उनका शरीर भी बच्चों की पढ़ाई के लिए दे दिया जाए। शनिवार को परिजनों ने वेद पाल चौहान का पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग को दान कर दिया। एनाटमी विभाग की एचओडी और जीएमसी की ¨प्रसिपल डॉ. सुनंदा रैना ने कहा कि यह शरीर अब एमबीबीएस के बच्चों की पढ़ाई के काम आएगा। उन्होंने कहा कि परिजनों ने सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद शव सौंपा। परिजनों ने भी अपने पिता की इच्छा का सम्मान किया और उसे बच्चों की पढ़ाई के लिए दान दे दिया। जम्मू में पिछले एक साल में यह दूसरी बार है जब किसी ने जीएमसी में मरने के बाद शरीर दान किया हो।

संघर्षरत रहा जीवन :

प्रारंभिक शिक्षा जम्मू से हासिल करने के बाद वेद पाल चौहान ने साल 1958 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी विषय में मास्टर्स डिग्री की। वर्ष 1960 में वह जम्मू के गांधी मेमोरियल कॉलेज में अंग्रेजी विषय में लेक्चरार बने, लेकिन उन्होंने ग्यारह महीने बाद ही नौकरी छोड़ दी। उसी साल उन्होंने जम्मू के अफगाना मोहल्ले में ओरियंटल अकेडमी स्कूल की नींव रखी। यहां से उनके जीवन की नई शुरूआत हुई। स्कूल खोलने के बाद उन्होंने अजमेर से बीएड की और वापस आकर स्कूल के ¨प्रसिपल बने। करीब 58 साल तक उन्होंने बच्चों को पढ़ाया। उन्होंने स्कूल में बच्चों के लिए विशेष रूप से इव¨नग कक्षाएं लगाई।

प्रजा परिषद आंदोलन में रखा था मरणव्रत :

विद्यार्थी जीवन से ही वेद पाल चौहान देश व समाज के लिए कुछ करना चाहते थे। जम्मू कश्मीर में एक विधान, एक निशान और एक प्रधान को लेकर प्रजा परिषद द्वारा चलाए गए आंदोलन के दौरान वेद पाल चौहान ने मरणव्रत रखा था। जब उनकी हालत बिगड़ गई तो उन्हें जबरदस्ती वहां से उठा दिया गया था। शुक्रवार को जब उनके निधन की खबर पता चली तो बड़ी संख्या में हर वर्ग के लोग दुख जताने के लिए उनके घर पर पहुंचे।


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