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Jammu-Kashmir के बिश्नाह में तेज हवा व बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर, कहा- नहीं मिला पुराना मुआवजा

फसल पकती है तो कभी आग लग जाती है या बारिश और तेज हवाएं फसल बर्बाद कर देती है। अब इन दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश व तेज हवाओं के कारण किसानों की सैकड़ों कनाल जमीन पर लगी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Sat, 01 Apr 2023 12:35 AM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2023 03:37 AM (IST)
Jammu-Kashmir के बिश्नाह में तेज हवा व बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर, कहा- नहीं मिला पुराना मुआवजा
Jammu-Kashmir के बिश्नाह में तेज हवा व बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर, कहा- नहीं मिला पुराना मुआवजा

बिश्नाह, संवाद सहयोगी : किसान और मुसीबत का चोली दामन का साथ है। इसलिए जब भी फसल पकती है तो कभी आग लग जाती है या बारिश और तेज हवाएं फसल बर्बाद कर देती है। अब इन दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश व तेज हवाओं के कारण किसानों की सैकड़ों कनाल जमीन पर लगी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है।

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तेज रफ्तार हवाओं ने गेहूं की खड़ी फसल को जमीन पर गिरा दिया जिससे खेत में पहले से खड़े बरसात के पानी में गिर कर गेहूं की फसल जलकर सड़ना शुरू हो गई है।

कर्ज में डूब रहा किसान

अपनी फसल देखकर दुखी किसान इंद्रजीत सिंह ने कहा कि हमारे साथ पिछले कई वर्षों से ऐसा ही होता रहा है पहले तो फसल लगती नहीं है और जब लगती है तो उसे आग या पानी बर्बाद कर देता है। किसान कर्ज में डूबता चला जा रहा है क्योंकि उसे अभी जो खाद बीज की फसल है उसके पैसे नहीं चुका पाए है ऊपर से इस बार की फसल भी लगभग बर्बाद ही समझो। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि अभी खेतों का मुआयना कर जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उनकी लिस्ट तैयार की जाए और उन्हें मुआवजे के लिए एलजी साहब के पास भेजा जाए।

"पिछली बर्बाद हुई फसल का मुआवजा नहीं मिला"

वहीं किसान जीत सिंह ने कहा कि हम अपने खेतों में लहरा रही गेहूं की फसल को देखकर काफी प्रसन्न थे। सोचा इस बार की फसल बहुत अच्छी है लेकिन पिछले दिनों से बीच-बीच में हो रही बारिश ने उस पर पानी फेर दिया तो ऊपर से तेज हवाओं ने उसकी रही सही कसर निकाल दी। हमारी सारी फसल बर्बाद हो गई। सच कहें तो हमें अभी तक पिछली बर्बाद हुई फसल का मुआवजा नहीं मिला है, हमें समझ नहीं आता कहां जाएं क्या करें किसान की किस्मत ही खराब है क्या करें?

नहीं बची किसी किसान की फसल 

वहीं सुखविंद्र सिंह ने कहा कि हमारे खेतों के हाल को देख हमारा दिल खून के आंसू रो रहा है कि इस हरी-भरी फसल को आखिर किसकी नजर लगी समझ नहीं आ रहा है। क्या करें क्या ना करें अब किसी भी किसान की फसल नहीं बची है, जो बची भी है उसमें दाना तैयार नहीं होगा जिससे किसान अपनी फसलों की कटाई का खर्च भी नहीं निकाल पाएगा बाकी मुनाफे की तो बात ही छोड़ो वही खर्च पूरा नहीं होगा।

पिछले कई सालों से फसल हो रही बर्बाद 

किसान करनजीत सिंह ने कहा कि इसी नुकसान की वजह से किसानों ने खेती की तरफ से मुख मोड़ लिया है क्योंकि पिछले कई वर्षों से ऐसा ही होता है पहले तो सूखा पड़ जाता है अगर किसी तरह से फसल लगा भी ली जाए तो खाद समय पर नहीं मिलता और या पानी नहीं मिलता अगर फसल लग कर जब गेहूं पक कर तैयार होती है तो ज्यादातर फसल आगजनी के चलते बर्बाद हो जाते हैं जल जाते हैं या बरसात होती है पानी में फसल बर्बाद हो जाती। पिछले कई वर्षों से ऐसा ही होता है।

क्या किसानों से कुदरत नाराज है?

हमें समझ नहीं आता कि किसानों के साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है कुदरत नाराज क्यों हो गई है। किसान खेत में दिन रात मेहनत करके अपनी फसल को दुगना करने का प्रयास करता है, दोगुना से ज्यादा खर्च भी करता है, लेकिन अंत समय में सारी फसल बर्बाद हो जाती है इससे किसान की कमर टूट जाती है।

इसी वजह से किसान का खेती के तरफ से रुझान कम हो रहा है और किसान अपनी बर्बाद हुई फसल को देखकर रो रहे हैं, इसलिए प्रशासन को जल्दी कोई कदम उठाना होगा और इन किसानों को कोई आश्वासन जा कोई राहत देनी चाहिए ताकि उनका खेती से मन ना भरे यह दोबारा खेती में जुट जाएं।


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