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सुंजवां ब्रिगेड की चारदीवारी के आसपास सेना की गश्त बढ़ी

जागरण संवाददाता, जम्मू : सुंजवां ब्रिगेड में हुए फिदायीन हमले के ठीक दस दिन बाद शुक्रवार को

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Feb 2018 02:44 AM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2018 02:44 AM (IST)
सुंजवां ब्रिगेड की चारदीवारी के आसपास सेना की गश्त बढ़ी

जागरण संवाददाता, जम्मू : सुंजवां ब्रिगेड में हुए फिदायीन हमले के ठीक दस दिन बाद शुक्रवार को संतरी पोस्टो पर पथराव की घटना को देखते हुए सेना ने अपनी चारदीवारी के आसपास गश्त बढ़ा दी है। सात किलोमीटर में फैले सैन्य शिविर में जवान दिनभर गश्त करते रहे। शिविर की चारदीवारी से सटे रिहायशी इलाके में जो भी निर्माणाधीन मकान हैं वहां भी कड़ी नजर रखी जा रही है। पुलिस तफ्तीश में यह पता चला है कि जिस घर से पत्थर मारे गए, वह निर्माणाधीन है। शुक्रवार रात को पथराव जलालाबाद से सटे सैन्य शिविर की दीवार के साथ निर्माणाधीन मकान पर चढ़कर शरारती तत्वों ने किया था। पांच मिनट तक पत्थरबाजी होती रही। शुरुआत में तो पोस्टों पर तैनात जवानों को पता नहीं चला कि पत्थर कहां से आ रहे हैं। इन तत्वों का निशाना सेना के क्र्वाटर थे, जो मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर थे। यह वही जगह है, जहां 10 फरवरी तड़के तीन आंतकी तार काटकर सैन्य शिविर में घुसे थे। जिस निर्माणाधीन मकान से पत्थर फेंके गए, उसका मालिक दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले का निवासी है। सुरक्षा एजेंसियों ने जब मकान मालिक से पूछताछ की तो मालिक मकान ने बताया कि उसका मकान खुला हुआ है, उसे नहीं मालूम कि उसके मकान में कौन लोग आए और उनकी क्या मंशा थी। एजेंसियां मान रही है कि यह सोची समझी साजिश का नतीजा है। इसे राष्ट्रविरोधी तत्वों की बौखलाहट ही कहेंगे कि पाक परस्त आतंकवादियों के सैन्य शिविर में बडे़ पैमाने में तोड़फोड़ करने के उनके मंसूबे पूरे नहीं हो सके। पुलिस ने पूछताछ के लिए कुछ लोगों को भी हिरासत में लिया है। सेना ने सतर्कता को और बढ़ा दिया है।

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सुरक्षा एजेंसियों को दी राष्ट्र विरोधी तत्वों ने चुनौती

सेना की सुंजवां बिग्रेड के बिल्कुल साथ सटे इलाके सुरक्षा दृष्टि से खतरनाक साबित हो रहें है। यह पहला मौका है जब जम्मू के बीचोबीच बने सैन्य ब्रिगेड में कुछ राष्ट्र विरोधी तत्वों ने पत्थर फैंक कर सुरक्षा एजेंसियों को चुनौती दे दी है। सात किलोमीटर क्षेत्र में फैले सुजंवा ब्रिगेड के आसपास करीब छह कॉलोनियां लगती हैं , जिनमें जलालाबा, नूराबाद, इस्लामाबाद, चौआदी, भठिंडी और आबिदाबाग शामिल है। करीब पचास हजार लोग रहते हैं। शिविर की चारदीवारी रिहायशी इलाकों से सटी हुई है। अगर कोई व्यक्ति सीढ़ी लगा कर भी शिविर में अंदर घुसना चाहे तो वह आसानी से अंदर घुस सकता है। जहां तक कि अगर दौड़ लगा कर अपने मकान की छत से कोई शिविर की दीवार फांदने की कोशिश करे तो वह आसानी से पार कर सकता है। कानून के तहत किसी भी सैन्य शिविर के पांच किलोमीटर के आसपास कोई रिहायशी इलाका नही होना चाहिए। रक्षा मंत्री निर्मला सीता रमन ने भी यह बात स्वीकार की थी, जब वह सुजंवा हमले के बाद जम्मू पहुंची थीं। उनका कहना है कि सरकार इस बारे विचार कर रही है।


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