आइएसआइ के कर्नल के संपर्क में थे जम्मू में पकड़े गए जासूस, पूछताछ करने पर यह हुआ खुलासा!
पकड़े गए छह जासूसों से पूछताछ कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ जासूसी का काम ही नहीं कर रहे थे बल्कि ऊधमपुर डोडा और कठुआ में हिज्ब का नेटवर्क संभालने की तैयारी भी कर चुके थे
जम्मू, राज्य ब्यूरो: पहले उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक से हताश पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी (आइएसआइ) जम्मू संभाग में किसी बड़े सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बनाने की फिराक में हैं। यह खुलासा राज्य पुलिस की ओर से नेस्तनाबूद किए गए छह सदस्यीय जासूसी मॉड्यूल से पूछताछ के आधार पर हुआ है। फिलहाल पकड़े गए चार जासूसों से पूछताछ जारी है।
यह मॉड्यूल आइएसआइ के कर्नल इफ्तिखार अहमद और हिज्ब कमांडर आमीर खान से सीधे संपर्क में था। आइएसआइ सिर्फ किसी बड़े हमले को अंजाम ही नहीं देना चाहती है बल्कि ऊधमपुर, डोडा व कठुआ में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की कोशिश में भी है। फिलहाल पकड़े गए जासूसों से पूछताछ जारी है। स्मार्ट फोन के जरिये सीमा पार पहुंचाए गए वीडियो फुटेज व तस्वीरों के अलावा वाट्सएप डाटा को भी खंगाला जा रहा है।
सैन्य प्रतिष्ठान की वीडियो ग्राफी करते पकड़े गए युवकों से हुआ खुलासा
इस मॉड्यूल की गिरफ्तारी का सिलसिला करीब 11 दिन पहले जम्मू के बाहरी क्षेत्र रतनूचक में स्थित एक सैन्य प्रतिष्ठान की वीडियो ग्राफी करते पकड़े गए मुश्ताक अहमद मलिक पुत्र अत्ता मुहम्मद निवासी शीलं बंदास डोडा और नदीम अख्तर पुत्र मुहम्मद शफी निवासी मलार कठुआ की पूछताछ से शुरू हुआ। इन दोनों से मिले सुरागों के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों ने सद्दाम हुसैन पुत्र मुहम्मद बट, सफदर अली पुत्र मुहम्मद यूनुस, मुहम्मद सलीम पुत्र कमरदीन और अब्दुल करीम पुत्र मुहम्मद शफी को पकड़ा। इनमें सफदर अली ही जिला ऊधमपुर में खनेड़ का रहने वाला है, जबकि अन्य तीन जिला कठुआ के लोहाई इलाके के रहने वाले हैं। पूछताछ के दौरान इन लोगों ने बताया कि मुश्ताक अहमद मलिक का एक रिश्तेदार पहले जिला डोडा का नामी आतंकी था। बाद में वह गुलाम कश्मीर चला गया था। उसने ही सबसे पहले इस मॉड्यूल को तैयार किया। पकड़े गए यह सभी लोग जिला कठुआ, ऊधमपुर और डोडा में हिजबुल मुजाहिदीन का नेटवर्क तैयार करने में जुटे थे। इन्होंने खुद अभी किसी आतंकी वारदात को अंजाम नहीं दिया था।
आइएसआइ के कर्नल के साथ वाट्सएप व मोबाइल एप के जरिये होती थी बातचीत
पूछताछ में इन्होंने बताया कि आइएसआइ के कर्नल इफ्तिखार के साथ उनकी वाट्सएप और एक अन्य मोबाइल एप के जरिये बातचीत होती थी। कर्नल इफ्तिखार के साथ उनका संपर्क सीमा पार बैठे एक आतंकी ने कराया था। उसने ही हिज्ब कमांडर आमिर खान से भी इनका संपर्क कराया था। कर्नल इफ्तिखार के निर्देशानुसार ही वह विभिन्न सैन्य प्रतिष्ठानों की वीडियोग्राफी कर उसे पह़ंचाते थे। उन्होंने हाईवे और रेलवे स्टेशनों के अलावा कुछ और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कर पाकिस्तान भेजी है।
ऊधमपुर, डोडा व कठुआ में हिज्ब का नेटवर्क संभालने की भी कर चुके थे तैयारी
पकड़े गए छह जासूसों से पूछताछ कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि यह सिर्फ जासूसी का काम ही नहीं कर रहे थे बल्कि ऊधमपुर, डोडा और कठुआ में हिज्ब का नेटवर्क संभालने की तैयारी भी कर चुके थे। अगर यह पकड़े नहीं जाते तो कश्मीर में या फिर जिला किश्तवाड़ या डोडा के किसी जंगल में आतंकी ट्रेङ्क्षनग ले रहे होते। पूछताछ में इन्होंने खुलासा किया है कि सीमा पार से कहा गया था कि पहले वह कुछ इलाकों की वीडियोग्राफी कर भेजें। उसके बाद वह डोडा या किश्तवाड़ पहुंचे, जहां उन्हें ट्रेङ्क्षनग दी जाएगी। इनके फोन से जो डाटा मिला है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि आइएसआइ राज्य में सक्रिय आतंकियों के जरिये या फिर सीमा पार से आतंकियों के किसी आत्मघाती दस्ते को इस तरफ भेज पठानकोट या नगरोटा सैन्य प्रतिष्ठान पर करीब दो साल पहले हुए हमले जैसे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं।
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