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राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक की सुरक्षा के लिए जल्द बनेगा विशेष सुरक्षा बल

Governor Satyapal Malik. राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक की सुरक्षा की जिम्मेदारी जल्द ही राज्‍य पुलिस का विशेष सुरक्षा बल संभालेगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 11:56 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 12:06 PM (IST)
राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक की सुरक्षा के लिए जल्द बनेगा विशेष सुरक्षा बल

जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक को शायद अब सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। अब शीघ्र यह जिम्मेदारी राज्‍य पुलिस का विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) संभालेगा। राज्य प्रशासनिक परिषद ने परिषद ने एसएसएफ के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस विशेष बल के गठन के साथ ही राज्य पुलिस की सुरक्षा विंग जल्द ही राज्यपाल के निजी सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्‍त हो जाएगी। एसएसएफ का गठन राज्य में राज्य पुलिस के विशेष सुरक्षा दल (एसएसजी) की तर्ज पर ही होगा। एसएसजी पर फिलहाल राज्‍य के मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा का जिम्मा है।

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प्रस्‍ताव के अनुसार, एसएसफ की कमान फिलहाल आइजीपी (पुलिस महानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी के हाथ में रहेगी और विशेष परिस्थितियों में यह जिम्मेदारी डीआइजी रैंक के अधिकारी काे दी जा सकती है। गुरिल्ला युद्ध और विशिष्ट जनों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित राज्य पुलिस के कमांडो समेत करीब 95 अधिकारी और जवानों को इस बल शामिल किया जाएगा। बाद में यह संख्या आवश्यकता अनुरुप बढ़ाई जाएगी। इसके मुखिया को निदेशक एसएसएफ कहा जाएगा।

राज्‍य सरकार के अधिकारी बताया कि राज्य में फिलहाल राज्यपाल की सुरक्षा के लिए कोई विशेष बल नहीं हैं और मौजूदा परिस्थितियों में राज्य पुलिस का सुरक्षा दस्‍ता (सिक्योरिटी विंग) यह जिम्मेदारी संभालती है। राज्य में बीते तीन दशक से जारी आतंकी हिंसा के चलते राज्य में लगातार बढ़ती संरक्षित व्यक्तियों की संख्या और बाहर से राज्य में आने वाले महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी के चलते सिक्याेरिटी विंग पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। इससे राज्यपाल और राजभवन की सुरक्षा पर होने वाले असर से बचने के लिए ही राज्यपाल के लिए एक विशेष सुरक्षा बल बनाने का प्रस्ताव बीते कुछ सालों से लटका हुआ था। एसएसएफ का दस्ता देश के भीतर उन सभी जगहों पर राज्यपाल की सुरक्षा का जिम्मा संभालेगा, जहां वह जाएंगे। इसकी एक यूनिट जम्मू में, एक यूनिट श्रीनगर में और एक दिल्ली में तैनात रहेगी। उन्होंने बताया कि एसएसएफ में नियुक्त होने वाले अधिकारियों व जवानों का वेतनमान और भत्ते एसएसजी में उनके समकक्ष के समान ही होंगे। अलबत्ता, यूनिफार्म में कुछ बदलाव हो सकता है।

एसएसजी के गठन का प्रस्‍ताव वर्ष 1996 के अंत में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ फारुक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था। वर्ष 2000 में इसके नियमों और जिम्मेदारियों को तय करने वाला अधिनियम बना था। एसएसजी के जवानों और अधिकारियों को अलग यूनिफॉर्म प्रदान की गई थी। उस समय उसकी पतलून भूरे रंग और कमीज हल्के बादामी रंग की थी। बाद में यह नीले रंग में बदल गई। एसएसजी को उस समय सिर्फ मुख्यमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था, बाद में कई बार एसएसजी को आवश्यकता अनुरूप राज्यपाल का आंतरिक सुरक्षा कवच संभालने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। इसके साथ ही एसएसजी को वर्ष 2002 के बाद से पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दी गई। एसएसजी के लिए 500 अधिकारियों व जवानों की संख्या ही अनुमोदित है। एसएसजी में राज्य पुलिस के अधिकारियों व जवानों का सेवाकाल अधिकतम पांच साल का रहता है और उसके बाद उन्हें वापस अपनी विंग में लौटना होता है।

राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एसएसएफ के लिए अधिकारियों और जवानों की फिलहाल अलग भर्ती की कोई योजना नहीं हैं। इसके लिए अधिकारी और जवान राज्य पुलिस के विभिन्न विंगों से उनकी योग्यता के आधार पर ही चुने जाएंगे। इनमें से अधिकतर एसएसजी से ही लिए जाएंगे, क्योंकि वह वीआइपी सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। एसएसफ सिर्फ राज्यपाल की सुरक्षा को संभालेगा। इसके अलावा वह उन सभी स्थानों पर जहां भी राज्यपाल जाएंगे, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय सुरक्षाधिकारियों संग संभालेगा। लेकिन राज्यपाल के निजी और आंतरिक सुरक्षा क्वच की जिम्मेदारी में एसएसएफ के पास ही रहेगा।


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