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श्रद्धा का महासावन: श्रावन माह में शिव पूजा का विशेष महत्व

सभी की मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान शिव की पूजा करने का सावन महीने में विशेष महत्व माना गया है। इस महीने को पवित्र महीना माना जाता है। इसका हर दिन भगवान शिव की पूजा के लिए पवित्र होता है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 06:23 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 06:23 PM (IST)
श्रद्धा का महासावन: श्रावन माह में शिव पूजा का विशेष महत्व
जो श्रावण के सोमवार को व्रत रखते हैं। भोले बाबा उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता। सभी की मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान शिव की पूजा करने का सावन महीने में विशेष महत्व माना गया है। इस महीने को पवित्र महीना माना जाता है। इसका हर दिन भगवान शिव की पूजा के लिए पवित्र होता है। बताया जाता है कि जो श्रावण के सोमवार को व्रत रखते हैं। भोले बाबा उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

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सावन माह को वर्षा ऋतु का महीना कहा जाता है

सावन माह को वर्षा ऋतु का महीना कहा जाता है। इस माह हरियाली तीज, रक्षाबंधन, नागपंचमी आदि प्रमुख त्योहार आते हैं। सावन मास में भगवान शंकर की पूजा उनके परिवार के सदस्यों संग करनी चाहिए। इस माह में भगवान शिव के द्राभिषेक का विशेष महत्त्व है। इसलिए इस मास में प्रत्येक दिन द्राभिषेक किया जा सकता है, जबकि अन्य माह में शिववास का मुहूर्त देखना पड़ता है। भगवान शिव के रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, चीनी, गंगा जल तथा गन्ने के रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा द्रूब आदि से भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल को भोग के रूप में भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है।

सावन माह में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं

पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया। हलाहल विष के पान से महादेव का कंठ नीला हो गया। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए इस माह शिव लिंग पर जल अर्पित करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि सावन माह में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं। सावन माह में माता पार्वती ने निराहार रहकर कठोर व्रत किया और भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसलिए यह माह भोले बाबा को प्रिय है।

- पंडित जोगिंद्र थरमट 


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