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Dogri Manyta Diwas: डोगरी को राजभाषा का दर्जा मिलने से मान्यता दिवस पर विशेष उल्लास, पर सरकार से अभी कई आस

डोगरी भाषा को आठवीं अनुसूची में स्थान मिलने से न केवल एक भाषा को उच्च स्थान मिला बल्कि समस्थ डोगरों को यह सम्मान दिया गया था। इस वर्ष डोगरी को राजभाषा का दर्जा मिल जाने से इस बार डोगरी मान्यता दिवस के मायने और उत्साह और बढ़े हैं।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 04:36 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 04:36 PM (IST)
22 दिसंबर डोगरों के लिए विशेष महत्व रखता है

जम्मू, जागरण संवाददाता। 22 दिसंबर डोगरों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसी दिन 2003 में डोगरी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। तब से इस दिन को एक उत्सव की भांति मनाया जाता है। डोगरी को आठवीं अनुसूची में स्थान मिलना एक लंबे संघर्ष का परिणाम था, जिसमें समाज के सभी वर्गों ने अपना भरपूर योगदान दिया था। इस भाषा के आठवीं अनुसूची में स्थान मिलने से न केवल एक भाषा को उच्च स्थान मिला, बल्कि समस्थ डोगरों को यह सम्मान दिया गया था। इस वर्ष डोगरी को राजभाषा का दर्जा मिल जाने से इस बार डोगरी मान्यता दिवस के मायने और उत्साह और बढ़े हैं। लेकिन सरकार से अभी इस भाषा के उत्थान के दिशा में बहुत कुछ किए जाने की आस है।

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प्राइमरी स्तर पर डोगरी पढ़ाने की आवश्यता

इस वर्ष मानता दिवस विशेष महत्व रखता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि डोगरी को इस वर्ष राजभाषा का भी दर्जा मिलना। इससे डोगरी को अपने ही प्रदेश में सम्मान तो मिला ही है, इससे डोगरी के विकास तथा उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अब सरकारी कार्यों में भी यह भषा प्रयोग में आएगी। इसके साथ ही स्कूलों कालेजों तथा विश्वविद्यालयों में भी इसको अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ाया जाएगा ताकि डोगरी में जिस प्रशिक्षित मैन पावर की आवश्यकता है, वह उपलब्ध हो सके। यह तथ्य सभी को समझ लेना चाहिए कि डोगरी के विकास के लिए सबसे अधिक आवश्यक है कि डोगरी को प्राइमरी स्तर पर पढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाए ताकि इसकी जड़़ें मजबूत हों। हमें आशा है कि वर्तमान सरकार इस पर ध्यान देगी। सब डोगरों को चाहिए कि डोगरी मानता दिवस को एक उत्सव की तरह मनाएं।

- प्रो. ललित मगोत्रा, अध्यक्ष, डोगरी संस्था

आधी सदी के बाद यह दिन देखने को मिला है

वर्ष 2003 में 22 दिसंबर के ही दिन डोगरी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल किया गया था, जिसके लिए आधी सदी तक डोगरों को संघर्ष करना पड़ा। तब जाकर यह दिन आया। समूचे डोगरा समाज को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान का वह अधिकार प्राप्त हुआ, जिससे वह लंबे समय तक वंचित रहे। डोगरी भाषा को प्राप्त इस मान्यता से समूचे डोगरा जगत में जहां एक ओर प्रसन्नता की लहर दौड़ पड़ी, वहीं दूसरी ओर डोगरी भाषा को देश की मान्यता प्राप्त अन्य भाषाओं के समान विकास के समान अधिकार भी प्राप्त हुए। इस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान का अधिकार प्राप्त होने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 22 दिसंबर को डोगरी मान्यता दिवस मनाया जाता है। मेरी तरफ से सभी को इस दिन की शुभकामनाएं।

- प्रो. वीणा गुप्ता।

अधिकारिक भाषा बनी तो सरकार से उम्मीदें भी बढ़ीं

22 दिसंबर, 2003 ऐसा दिन था, जब डुग्गरवासियों को उम्मीद की किरण दिखी थी। नौजवानों में भी भरपूर उत्साह जागा। इसके बाद डोगरी भाषा पढ़ने वालों के लिए जीविकोपार्जन के साधन भी बढ़े। इतने तो नहीं कहे जा सकते, पर कुछ विद्यार्थियों को स्कूलों, कालेजों में रोज़गार आदि मिले। ऐसे ही दूसरे विभागों में भी डोगरी भाषा संबंधित कार्य होने चाहिए, जिससे पढ़े लिखे नौजवानों को रोज़गार मिल सकें। अब डोगरी भाषा को राज्य की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी मिल चुका है तो लोगों की अभी सरकार से बहुत सी उम्मीदें हैं। इस भाषा के उत्थान के लिए अभी बहुत काम करने की जरूरत है। इसमें सरकार का सहयोग अपेक्षित है।

-डाॅ. चंचल भसीन


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