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जल दिवस : जम्मू कश्मीर में फौजी बना तालाबों का सिपाही, पुराने तालाबों को संरक्षित कर पेश की मिसाल

कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले कैप्टन शौभा राम अब अपने गांव के तलाबों के संरक्षण में लगे हुए हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 11:28 AM (IST)Updated: Sun, 22 Mar 2020 11:28 AM (IST)
जल दिवस : जम्मू कश्मीर में फौजी बना तालाबों का सिपाही, पुराने तालाबों को संरक्षित कर पेश की मिसाल
जल दिवस : जम्मू कश्मीर में फौजी बना तालाबों का सिपाही, पुराने तालाबों को संरक्षित कर पेश की मिसाल

जम्मू, अवधेश चौहान । कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले कैप्टन शौभा राम अब अपने गांव के तलाबों के संरक्षण में लगे हुए हैं। अखनूर के वारदांकला गांव के रहने वाले रिटार्यड कैप्टन ने करीब 7 साल पहले यह शपथ ली कि वह इस कंडी गांव को के तालाबों का संरक्षण कर गांव को हराभरा बनाने में कोई कसर नही छोड़ेगे। करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस गांव के पुराने तालाबों को संरक्षित करने में कैप्टन शौभा राम ने प्रण लिया। इसमें गांव के कुछ युवक भी शामिल हुए। समय के साथ साथ वारदांकला पंचायत के करीब 70 वर्ष पुराने जर्रजर्र तालाबों में पानी का स्तर बनाए रखने के लिए काम शुरू कर दिया। शौभा राम का कहना है कि उन्होंने बारिश के पानी का बहाव गांव के दो तलाबों की ओर माेड़ दिया। वैसे गर्मियों के मौसम में तलाबों का पानी सूख जाता था, लेकिन अब पानी से लबालब यह तालाब गांव की जमीन को भी सींच रहें हैं। 6 एकड़ में फैले इन दोनों तालाबों की साइडों को पक्का बना दिया गया है। तलाब के इस पानी से गांव में लगाए गए पेड़ पौधों को सींचा जा रहा हैं। जिससे हरभरा यह गांव अब लोगों को स्वच्छ वातावरण उपल्ब्ध करवा रहा हैं। तालाब में बतखे और मछलियां भी रखी गई हैं, जो तालाब के पानी को साल भर साफ बनाए रखती हैं। शाम के वक्त तलाब के आसपास लोग सैर करने के लिए आते हैं।

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10 किलोमीटर में फैले गांव को बनाया हराभरा

पर्यावरणविद् अभिशेक शर्मा ने वांरदाकला गांव को गोद लिया हुआ है। उन्होंने गांव में कई पेड़ पौधे लगा कर लोगों को हरेभरे माहौल में रहने का अवसर प्रदान किया हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि अभिशेक शर्मा आरोगय मित्र की तरह यहां युवाओं को स्वस्थ्य रहने के लिए पेड़ पौधों का होने के बारे में भी जागरूक कर रहे हैं। वांरदाकला गांव के इन तालाबों को देखने के लिए दूरदूर से लोग आते हैं। गांव की हरियाली की वजह से गर्मिओं के मौसम में गांव का तापमान बाकी इलाकों से 2 डिग्री सेल्सियस कम रहता हैं।


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