जम्मू-कश्मीर: पंच-सरपंचों के दम पर परिषद में पहुंचने की तैयारी, 6 नेता बनेंगे एमएलसी
अब राज्यपाल शासन में प्रदेश भाजपा, कांग्रेस व पैंथर्स पार्टी में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। उम्मीद लगाई जा रही है कि राज्यपाल शासन में इन सीटों को भरने के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू कश्मीर विधान परिषद की खाली छह सीटों के खाली होने से कई नेताओं की एमएलसी बनने की हसरत जवां हो गई है। राज्य में पंचायतों के कोटे से एमएलसी बने विधान परिषद के चार सदस्यों के सेवानिवृत होने से चार सीटें खाली हो गई हैं। वहीं स्थानीय निकाय के कोटे की 2 सीटें पहले से ही खाली थी। अब राज्यपाल शासन में प्रदेश भाजपा, कांग्रेस व पैंथर्स पार्टी में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। उम्मीद लगाई जा रही है कि राज्यपाल शासन में इन सीटों को भरने के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है। ऐसे नेताओं की कतार लंबी है जो खुद को एमएलसी के लिए प्रबल दावेदार के रूप में पेश कर रहे हैं। सिर्फ इन्ही राजनीतिक पार्टियों ने स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव में हिस्सा लिया है, ऐसे में वे अपने एमएलसी भी बनाने की कोशिश में हैं। भाजपा ने दोनों चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसे में उसका पलड़ा भारी है।
वीरवार को नेशनल कांफ्रेस की एमएलसी डा शहनाज गनई, इसी पार्टी के अली मोहम्मद डार, कांग्रेस के एमएलसी गुलाम नबी मोंगा व शाम लाल सेवानिवृत हो गए थे। विधान परिषद सचिवालय में चेयरमैन हाजी इनायत अली की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में सेवानिवृत हुए सदस्यों को विदाई दी गई थी। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेकां-कांग्रेस सरकार ने छह साल पहले इन चार नेताओं को पंचायतों के कोटे से एमएलसी बनाया था। उनमें से दो एमएलसी नेशनल कांफ्रेंस व दो कांग्रेस से थे।
अब इन दोनों पार्टियों ने स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया था, ऐसे में छह नए एमएलसी बनाने में इन राजनीतिक पार्टियों का कोई दखल नही होगा। तीन सीटें जम्मू संभाग व तीन सीटें कश्मीर संभाग की हैं। ऐसे में भाजपा की कोशिश रहेगी कि वह जम्मू संभाग की तीनों सीटों से अपने नेताओं को एमएलसी बनाएं जबकि कांग्रेस कश्मीर से तीन सीटें जीतने के लिए कोशिश करेगी। इसके लिए भी उसे भाजपा से कड़ी टक्कर मिलेगी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रवीन्द्र रैना ने जागरण को बताया कि उनकी पार्टी विधान परिषद की खाली छह सीटें भरने में अहम भूमिका निभाएगी। पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी कि ऐसे नेताओं को एमएलसी बनाया जाए जो सही मायनों में विधान परिषद में पंचायतों व स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करें।
इसी बीच राज्य में विधानसभा भंग होना, इन सीटों को भरने की राह में कोई बाधा नही है। इन सीटों के लिए चुनाव में वोट डालने के लिए पंच, सरपंच व निगमों, काउंसिलों व कमेटियों के सदस्य हकदार होते हैं। ऐसे में राज्यपाल शासन में ये सीटों में ये छह सीटें भरी जा सकती हैं। विधान परिषद की अन्य सीटों के लिए मतदान में विधानसभा के सदस्य हिस्सा लेते हैं। लिहाजा राज्य में किसी अन्य एमएलसी के सेवानिवृत होने की स्थिति में इस सीट को भरने के लिए विधानसभा चुनाव होने का इंतजार किया जाएगा।