Jammu Kashmir: श्रावण शिवरात्रि कल, कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालु घरों में ही करें धार्मिक अनुष्ठान
शिव का अनुसरण करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के सम्मान फल प्राप्त होता है।शिवरात्रि का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पूजा सभी पापों का क्षय करने वाला है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। श्रावण मास की शिवरात्रि 19 जुलाई रविवार को है। श्रावण मास में शिव भक्त में लीन श्रद्धालुओं में इस शिवरात्रि को लेकर विशेष उत्साह तो है। परंतु कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालु इस अवसर पर किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान घर पर ही करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र की दृष्टिकोण से चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन की शिवरात्रि को फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही फलदायी माना गया है। आमूमन इस शिवरात्रि पर भी शिवभक्त मंदिरों में जाकर घंटों पूजा पाठ करते हैं लेकिन इस बार कोरोना माहमारी के चलते श्रद्धालुओं ने सभी धार्मिक अनुष्ठान घर में करने की तैयार शुरू कर दी है।
घर में ही पार्थिव शिवलिंग बनाकर करें पूजा: श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष, ज्योतिषाचार्य, महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते घर में ही पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव पूजन कर सकते हैं। रविवार रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन एक से चार बार किया जाएगा। यह भक्तों पर निर्भर करता है कि वे किस तरह महादेव की पूजा करना चाहते हैं।
शिवरात्रि पूजा का समय:
- पहले पहर की पूजा का समय शाम 07.18 से रात्रि 09.52 बजे तक है।
- रात्रि दूसरे पहर की पूजा का समय रात्रि 09.53 से 12.27।
- साेमवार रात्रि तीसरे पहर की पूजा का समय 12.28 से 03.02 बजे है।
- चौथा पहर की पूजा का समय 03.02 से 05.36 बजे का है।
- निशिता काल पूजा समय 12.07 से 12.10 सोमवार को है।
पूजा करने की विधि: विधिपूर्वक व्रत रखने पर गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद, फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतु फल, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है। श्रावण मास की शिवरात्रि को शिव पूजन, शिवपुराण, रुद्राभिषेक, शिव कथा, शिव स्तोत्रों व ॐ नम: शिवाय का पाठ करें।
पूजा का फल:
- शिव का अनुसरण करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के सम्मान फल प्राप्त होता है।शिवरात्रि का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पूजा सभी पापों का क्षय करने वाला है।
- महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं।
- मासिक शिवरात्रि के व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन भगवान शिव शंकर का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है।
- कोरोना महामारी के चलते जहां इन दिनों शिव मंदिर में पूजन, जाप करना संभव नहीं है तो भी शिव भक्त घर में किसी शान्त स्थान पर जाकर पूजन, जाप करें।
- शिव की आराधना इच्छा-शक्ति को मज़बूत करती है। और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है। इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भोलेनाथ पर चढ़ाया गया प्रसाद न खाएं। अगर शिव की मूर्ति के पास शालीग्राम हो। तो प्रसाद खाने में कोई दोष नहीं होता।