जम्मू-कश्मीर में नौ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त, प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नौकरी प्राप्त करने वाले दो कश्मीरी पंडित अध्यापक भी शामिल
सेवामुक्त किए गए इन सभी अध्यापकों को नियमों के मुताबिक समय समय पर नोटिस जारी कर ड्यूटी पर रिपोर्ट करने और अपनी गैर हाजिरी के संदर्भ में पक्ष रखने को कहा गया था। सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : प्रदेश सरकार ने स्कूलों में पढ़ाने के बजाय अन्य गतिविधियों में शामिल रहने और लंबे समय से अनाधिकृत अवकाश पर गए अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई में और तेजी लाई है। इसी क्रम में करते हुए नौ अध्यापकों को शुक्रवार को सेवामुक्त कर दिया गया। इनमें प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कश्मीर में नौकरी प्राप्त करने वाले दो कश्मीरी पंडित अध्यापक भी हैं।
सेवामुक्त किए गए अध्यापकों में एजाज अहमद भट (जीपीएस शुलूरा कुपवाड़ा), सायमा गनी (बीएचएसएस जडीबल श्रीनगर), सुहैल अनीस (बीएचस नवगबरा कुपवाड़ा), मोहम्मद रफीक खान (आरईटी एमएस फरा गांदरबल), शीतल भट्ट (बीएचएसएस कुपवाड़ा), नाजिया मुश्ताक (बीएचएस लदरवन कुपवाड़ा), अरुमेल कौल व रंजीत कौर (एचएस क्रालवेथ बारामुला) और सुनील कुमार रैना (एमएस मोती मोहल्ला निशात श्रीनगर) शामिल हैं।
सेवामुक्त किए गए इन सभी अध्यापकों को नियमों के मुताबिक समय समय पर नोटिस जारी कर ड्यूटी पर रिपोर्ट करने और अपनी गैर हाजिरी के संदर्भ में पक्ष रखने को कहा गया था। सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि रंजीत कौर ने देश से बाहर अमेरिका जाने के लिए 28 अप्रैल 2014 को छह माह के लिए अवकाश का आग्रह किया था। इससे पहले कि उसे संबंधित प्राधिकरण द्वारा विदेश जाने और अपना स्टेशन छोड़ने के लिए अवकाश मंजूर किया जाता, वह पहले ही विदेश रवाना हो गईं।
वह 28 अप्रैल 2014 से ही अपनी ड्यूटी से गैर हाजिर हैं। संबंधित ड्राइंग एंड डिस्बर्सिंग अधिकारी ने उन्हें कई बार ड्यूटी पर लौटने का अवसर प्रदान किया, लेकिन उसका रवैया नकारात्मक रहा। इसके बाद बारामुला के मुख्य शिक्षाधिकारी ने 19 अक्टूबर 2020 को शिक्षा निदेशालय के संज्ञान में यह मामला लाया। शिक्षा निदेशालय ने 18 मई 2021 को भी उसे नोटिस जारी किया। इसके बाद छह जुलाई 2021 को भी उन्हें नोटिस के जरिए सात दिनों के भीतर निदेशालय के समक्ष पेश हो अपना पक्ष रखने को कहा गया था। उसने किसी नोटिस का जवाब नहीं दिया और न ड्यूटी पर हाजिर हुईं। इससे स्पष्ट होता है कि वह विभाग में काम करने की इच्छुक नहीं है।
उन्होंने बताया कि शीतल भट्ट और सुनील कुमार रैना दोनों ही विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए घोषित प्रधानमंत्री विशेष रोजगार पैकेज के तहत वादी में शिक्षा विभाग में नियुक्त हुए थे। यह दोनों भी लंबे समय से अपनी ड्यूटी से गैर हाजिर थे।