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Jammu Kashmir: कोकून से बदलेगी तकदीर, सेरीकल्चर विभाग ने जेकेआई के साथ मिलकर ऑक्शन मार्केट खोली

अब इस फैक्टरी में सिल्क उत्पादन दोबारा शुरू किया गया है जिसके लिए स्थानीय किसानों से रेशमी कीड़ों की खरीद की जा रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 12:13 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 03:56 PM (IST)
Jammu Kashmir: कोकून से बदलेगी तकदीर, सेरीकल्चर विभाग ने जेकेआई के साथ मिलकर ऑक्शन मार्केट खोली
Jammu Kashmir: कोकून से बदलेगी तकदीर, सेरीकल्चर विभाग ने जेकेआई के साथ मिलकर ऑक्शन मार्केट खोली

जम्मू, ललित कुमार: जम्मू-कश्मीर में हजारों किसान सालों से कोकून की खेती करते आ रहे हैं लेकिन प्रदेश में इनकी मांग न होने के कारण आज तक इन किसानों को इनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिला। ये किसान छोटे-मोटे खरीदारों को ही अपनी फसल बेच देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं। जम्मू-कश्मीर सरकार ने जम्मू के बड़ी ब्राह्मणा में दशकों पहले बंद हो चुकी सिल्क फैक्टरी को दोबारा शुरू कर दिया है।

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अब इस फैक्टरी में सिल्क उत्पादन दोबारा शुरू किया गया है जिसके लिए स्थानीय किसानों से कोकून की खरीद की जा रही है। इस सिल्क फैक्टरी के शुरू होने से इन हजारों किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम मिलने लगा है। किसानों को उचित दाम मिले और कोई बिचौलियां न हो, इसके लिए सरकार ने बोली लगाकर स्वयं इन किसानों से कोकून की खरीद करने का फैसला लिया है। इन किसानों को जहां पहले एक किलो कोकून का 500 से 600 रुपये दाम मिलता था, वहीं अब इन्हें न्यूनतम 975 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं।

उद्योग व वाणिज्य विभाग के दिशानिर्देश पर सेरीकल्चर विभाग ने जम्मू-कश्मीर इंडस्ट्रीज(जेकेआई) के साथ मिलकर ऑक्शन मार्केट खोली है जहां किसान अपनी फसल लेकर पहुंच रहे हैं। मौजूदा समय में ऊधमपुर में यह खरीद हो रही है। पंद्रह दिन तक यहां खरीद करने के बाद संभाग के दूसरे जिलों में भी इसी तरह की मंडी लगाकर खरीद की जाएगी। यहां कोकून की गुणवत्ता के आधार पर इनके दाम तय होते हैं और किसान स्वयं अपनी फसल का मूल्य आंक कर बोली लगाता है। विभाग ने जम्मू संभाग के किसानों से 60 हजार किलो कोकून खरीदने का लक्ष्य रखा है और कश्मीर संभाग के किसानों से 50 हजार किलो कोकून खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रतिदिन 30-35 किसान ले रहे बोली में हिस्सा: कोविड-19 के बीच एसओपी का पालन करते हुए जेकेआई प्रतिदिन किसी एक क्षेत्र के किसानों को ही इस बोली में आमंत्रित कर रहा है। नियमों का पूरी तरह से पालन हो, इसके लिए जेकेआई कार्यालय में किसानों को अपनी फसल के साथ आवश्यक दूरी पर बिठाया जा रहा है। प्रतिदिन जेकेआई कार्यालय में 30-35 किसानों को ही बुलाया जा रहा है। जेकेआई विशेषज्ञ स्वयं हर किसान की फसल की गुणवत्ता देखकर दाम तय करते है।

ऊधमपुर जिले में होता है सबसे अधिक उत्पादन: जम्मू संभाग में करीब बीस हजार किसान इससे जुड़े है। कोकून का सबसे अधिक उत्पादन ऊधमपुर जिले में होता है। जिले के लर गांव में हर घर कोकून की खेती करता है। यहां अधिकतर महिलाएं इस काम में जुड़ी है। पहले ये लोग ऊधमपुर मंडी में जाकर अपनी फसल बेचती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण ये महिलाएं फसल नहीं बेच पा रही थी लेकिन अब इन परिवारों को मंडी उपलब्ध हो गई है जिससे क्षेत्र में इस खेती को और बढ़ावा मिलेगा। ऊधमपुर के बाद राजौरी जिले में कोकून का सबसे अधिक उत्पादन होता है। 

  • पहले बंगाल व अन्य राज्यों के खरीदार बिचौलियों की मदद से इन किसानों से कोकून खरीद लेते थे। इससे इन्हें उचित दाम नहीं मिलता था। किसान ठगे जाते थे। इसलिए सरकार ने इनकी सहायता के लिए आगे आने का फैसला लिया। अब चूंकि हमारे पास जम्मू में सिल्क फैक्टरी भी है, लिहाजा किसानों से रेशमी कीड़े खरीद कर वहां उत्पादन किया जाएगा। फिलहाल हम ऊधमपुर में खरीद कर रहे हैं। इसके बाद राजौरी में पंद्रह दिन के लिए खरीद मंडी लगाई जाएगी। इसी तरह अन्य जिलों में जाकर भी किसानों को अच्छे दाम देकर खरीद की जाएगी। - संजय हांडू, मैनेजिंग डायरेक्टर जेकेआई 

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