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Jammu Kashmir: मानवाधिकारवादी संस्थाओं से मदद मांगने लगे अलगाववादी

आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का उदारवादी गुट अब मदद के लिए मानवाधिकारवादी संस्थाओं से गुहार लगा रहा है। उसने जम्मू कश्मीर और देश के अन्य भागों की जेलों में बंद अलगाववादियों समेत कश्मीरी कैदियों की तत्काल रिहाई की मांग की है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 09:59 AM (IST)
Jammu Kashmir: मानवाधिकारवादी संस्थाओं से मदद मांगने लगे अलगाववादी
उदारवादी हुर्रियत का नेतृत्व मीरवाइज मौलवी उमर फारूक

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का उदारवादी गुट अब मदद के लिए मानवाधिकारवादी संस्थाओं से गुहार लगा रहा है। उसने जम्मू- कश्मीर और देश के अन्य भागों की जेलों में बंद अलगाववादियों समेत कश्मीरी कैदियों की तत्काल रिहाई की मांग की है।

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उदारवादी हुर्रियत का नेतृत्व मीरवाइज मौलवी उमर फारूक करते हैं। हु़र्रियत ने मीरवाइज की कथित नजरबंदी को भी समाप्त करने की मांग की है। हुर्रियत के मुताबिक, इस समय आगरा, तिहाड़, कोट भलवाल, जोधपुर, हरियाणा की जेलों में करीब दो हजार कश्मीरी बंद हैं। इनमें से कइयों के खिलाफ अदालत में कोई सुनवाई नहीं हुई है और कई अपनी सजा की अवधि भी पूरी कर चुके हैं। इस समय कोविड-19 के संक्रमण का भी खतरा है।

हुर्रियत कांफ्रेंस ने सभी देशी-विदेशी मानवाधिकारवादी संगठनों, सिविल सोसायटी के सदस्यों और कानूनविदों से मदद का आग्रह करते हुए कहा कि वह जेलों में बंद कश्मीरियों की तत्काल रिहाई के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें। हुर्रियत कांफ्रेंस ने मीरवाइज की तथाकथित नजरबंदी को समाप्त करने के साथ ही जेलों में बंद अलगाववादियों की रिहाई की मांग भी की है।

जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के समानांतर एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) बनाना चाहती थी क्योंकि उसे लगने लगा कि हुर्रियत से कश्मीरी लोगों का विश्वास खत्म हो गया है। यह खुलासा एनआईए की चार्जशीट से हुआ है। आईएसआई ने यह काम इरफान शफी मीर को सौंपा था, जो कि घाटी में रहने वाले 31 वर्षीय वकील है। इरफान पर पाकिस्तान की आईएसआई और हिज्बुल के शीर्ष नेतृत्व दोनों को भरोसा था। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कम से कम छह आईएसआई अधिकारियों का जिक्र किया था। जो कि इरफान मीर के साथ संपर्क में थे। 

वहीं, 1993 में कश्मीरी अलगाववाद को एकजुट करने के लिए एक संयुक्त मोर्चे के रूप में गठित हुआ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस  पिछले दो वर्षों से कश्मीर में अप्रभावी है। इसके नेता सैयद अली शाह गिलानी ने इस साल जून में इस्तीफा दे दिया था। पिछले दो-तीन वर्षों में एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा अलगाववादी नेताओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई की गई है, जिनमें से कई को जेल में बंद किया गया तो कई घर में नजरबंद हैं।


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