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अलगाववादी बोले- अमरनाथ यात्रा पर कोई खतरा नहीं, बेखौफ होकर आएं अमरनाथ श्रद्धालु Jammu News

24 जून तक सुरक्षाबलों को अपने शिविरों में तैनात होने को कहा गया है। करीब 300 किलोमीटर लंबा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग सख्त सुरक्षा घेरे में रहेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 11:36 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 11:36 AM (IST)
अलगाववादी बोले- अमरनाथ यात्रा पर कोई खतरा नहीं, बेखौफ होकर आएं अमरनाथ श्रद्धालु Jammu News
अलगाववादी बोले- अमरनाथ यात्रा पर कोई खतरा नहीं, बेखौफ होकर आएं अमरनाथ श्रद्धालु Jammu News

जम्मू, दिनेश महाजन। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का कहना है कि बाबा अमरनाथ की यात्र को कोई भी खतरा नहीं है। उन्होंने श्रद्धालुओं और अन्य पर्यटकों से किसी भी अफवाह पर विश्वास न करने को कहा। अलगाववादियों के संयुक्त संगठन जेआरएल के बैनर तले सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक ने कहा कि कुछ चैनल जानबूझकर कश्मीर में अमरनाथ यात्र पर खतरे की बेबुनियाद खबरें चला रहे हैं। लेकिन कश्मीर के लोगों ने कभी भी किसी पर्यटक या अमरनाथ श्रद्धालु के साथ गलत व्यवहार नहीं किया। 

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बुलेटप्रूफ गाड़ियों में तैनात सुरक्षाकर्मी करेंगे काफिले की सुरक्षा

वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं। यात्रियों के काफिले के साथ बुलेटप्रूफ गाड़ियों में सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे, जो उन्हें यात्रा के दोनों आधार शिविरों बालटाल और पहलगाम तक पहुंचाएंगे। श्रद्धालुओं के शिविर पर भी पैनी नजर रखने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। करीब 300 किलोमीटर लंबा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग सख्त सुरक्षा घेरे में रहेगा।

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने अमरनाथ यात्र की तैयारियों के बारे में बताया कि इस बार सुरक्षा बलों का बाइक दस्ता रोड ओपनिंग पार्टी का काम करते हुए काफिले के गुजरने से पहले यह सुनिश्चित करेगा कि मार्ग में कोई संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति न हो। इस दस्ते में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान शामिल होंगे। इसके अलावा ड्रोन विमान की मदद से पहाड़ी क्षेत्रों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आतंकी पहाडिय़ों पर छुप कर यात्रियों के काफिले को निशाना न बनाएं। ज्ञात रहे कि दक्षिण कश्मीर स्थित हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। दुर्गम पहाड़ी इलाका होने के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन का काम करना सुरक्षा बलों के लिए आसान नहीं है।

वाहनों में लगेगा आरएफआईडी: अमरनाथ यात्र पर जाने वाले वाहनों में आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन) टैग लगाया जाएगा। इसकी निगरानी कंट्रोल रूम से की जाएगी। आरएफआईडी से वाहनों पर निगरानी रखी जाएगी। पुलिस के अलावा सीआरपीएफ की रोड क्लीयरिंग पार्टियां से हरी झंडी मिलने के बाद ही यात्रियों के काफिले को अपने गंतव्य तक रवाना किया जाएगा। श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए यात्र मार्ग पर तैनात रहेंगे हिमदूत: कठिन परिस्थितियों एवं दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित अमरनाथ गुफा में श्रद्धालुओं को प्राकृतिक आपदा के अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से भी निपटना पड़ता है। ऐसे में श्रद्धालुओं की सहायता के लिए राज्य पुलिस की 11 माउंटेन रेस्क्यू टीमों को तैनात किया जा रहा है। पहलगाम रूट से पिस्सु घाटी, शेषनाग, महागणोश टॉप, पंचतरणी, पवित्र गुफा, बालटाल रूट से ब्रेडिमार्ग, रेलपटरी, संग्रम टाूप में टीमों को तैनात किया जाएगा। इन टीमों का मुख्य काम यात्र मार्गों पर मरम्मत कार्य, श्रद्धालुओं को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा देना शामिल है।

25 हजार अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे : एक जुलाई से शुरू हो रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा के दौरान इस वर्ष आतंकी खतरे को देखते हुए 25 हजार अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी (250 कंपनियां) तैनात होंगी। जम्मू कश्मीर पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रलय को 250 कंपनियों को तैनात करने की मांग की थी, जिसे गृह मंत्रलय द्वारा मान लिया गया था। प्रत्येक अर्धसैनिक कंपनी की एक कंपनी में 100 कर्मचारी शामिल हैं। इस बार बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी, जिसमें पुलिस के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना के जवान तैनात होंगे। 24 जून तक सुरक्षाबलों को अपने शिविरों में तैनात होने को कहा गया है। इस वर्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए 45 हजार सुरक्षाबलों को लखनपुर से पवित्र गुफा तक सुरक्षा के लिए तैनात किया जा रहा है।

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