Jammu Kashmir: कश्मीर में स्टील बुलेट का सामना कर आतंकवादियों को मार गिराने की तैयारी में सुरक्षाबल
स्टील बुलैट को देखते हुए सेना व सुरक्षाबलों ने अपने वाहनों व बंकरों को इन गोलियाें का सामना करने के लिए अभेद्य बनाने की मुहिम छेड़ी है। गत दिनों शोपियां में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के कमांडी विलायत हुसैन लोन उर्फ सज्जाद अफगानी से को स्टील की 36 बुलैट मिली थी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में आतंकवादियों के पास स्टील बुलैट की मौजूदगी को देखते हुए सेना व सुरक्षाबलों ने अपने वाहनों व बंकरों को इन गोलियाें का सामना करने के लिए अभेद्य बनाने की मुहिम छेड़ दी है। गत दिनों कश्मीर के शोपियां में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के कमांडी विलायत हुसैन लोन उर्फ सज्जाद अफगानी से को स्टील की 36 बुलैट मिली थी। स्टील की ये गोलियां सामान्य बुलेटप्रूफ को भेदने में सक्षम होती हैं। इसको ध्यान में रखते हुए दक्षिण कश्मीर में अब बेहतर बुलेट प्रूफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
चीन की तकनीक से बनाई गई स्टील की बुलेट ज्यादा सख्त टंगस्टन कार्बाइड धातु से बनी है। ऐसे में सामान्य बुलेट प्रूफ जैकेट उन्हें रोक नहीं सकती है। आतंकवादियों ने वर्ष 2019 में अनंतनाग में हमले में स्टील बुलैट इस्तेमाल की थी। इस हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के इंस्पेक्टर अरशद खान के अलावा पांच सीआरपीएफ कर्मी शहीद हुए थे। यह पहला मौका नहीं है, जब राज्य में आतंकियों ने स्टील बुलेट इस्तेमाल किया हो। पुलवामा में 27 दिसंबर, 2017 को जैश के आतंकियों ने इनका इस्तेमाल जिला पुलिस लाइन और लिथपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के दौरान किया था।
शोपियां में दिसंबर 2018 को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के दौरान आतंकियों द्वारा दागी स्टील बुलेट सीआरपीएफ की बुलेट प्रूफ जिप्सी में छेद करते हुए भीतर बैठे जवान को जा लगी थी। इससे वह शहीद हो गया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि स्टील बुलेट एक बड़ी चुनौती है। उसका सामना करने के लिए तैयारी की जा रही है। आतंकवादियों के मंसूबाें को नाकाम बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।