Move to Jagran APP

Kashmir: आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव, कश्मीर में अब ओजीडब्ल्यू नेटवर्क खत्म करने पर अधिक जोर

इस साल उन्होंने करीब 150 ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया जबकि सूची में शामिल 125 संदिग्ध आतंकवादी समर्थकों पर नजर रखी जा रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 05:37 PM (IST)
Kashmir: आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव, कश्मीर में अब ओजीडब्ल्यू नेटवर्क खत्म करने पर अधिक जोर
Kashmir: आतंकवाद विरोधी रणनीति में बदलाव, कश्मीर में अब ओजीडब्ल्यू नेटवर्क खत्म करने पर अधिक जोर

जम्मू, जेएनएन। कश्मीर घाटी में आतंकवादी नेटवर्क को कमजोर करने के लिए सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। दक्षिण कश्मीर में सुरक्षाबलों पर लगातार हुए हमलों के बाद जांच में यह बात सामने आई कि इन हमलों में ओजीडब्ल्यू का बहुत बड़ा हाथ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस काे पता चला कि ये स्थानीय ओजीडब्ल्यू ही आतंकवादियों को सुरक्षाबलों के बारे में जानकारी देते हैं। हमले को अंजाम देने, आतंकियों को ठहराने, उन तक हथियार-गोलाबारूद व आर्थिक मदद पहुंचाने वाले भी यही ओजीडब्ल्यू हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन ओजीडब्ल्यू को भी आतंकियों की तरह ही अलग अलग श्रेणियों में सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया है।

loksabha election banner

कश्मीर में संक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल होने जा रहे कश्मीरी युवाओं के पकड़े जाने के बाद पता चला कि उन्हें बदगलाने वाले भी यही ओजीडब्ल्यू हैं। वे कश्मीर में जारी कथित जेहाद से प्रभावित होकर नहीं बल्कि आम लोगों के बीच रहकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे ओवरग्राउंड वर्करों के बहकावे में आकर ऐसा कदम उठा रहे हैं। यही वजह है कि इन भटके युवाओं के माता-पिता की मदद से सेना ने काउंसलिंग कर इन्हें फिर से मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और कामयाबी भी मिली।

आइजीपी कश्मीर जोन विजय कुमार ने भी गत दिनों संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह जानकारी दी थी कि ओजीडब्ल्यू पर अब उनका शिकंजा कसता जा रहा है। इस साल उन्होंने करीब 150 ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया जबकि सूची में शामिल 125 संदिग्ध आतंकवादी समर्थकों पर नजर रखी जा रही है। जरूरत पड़ने पर उनसे पूछताछ भी की जाती है। इनमें लश्कर-ए-ताइबा व जैश-ए-मोहम्मद के 42-42, हिज्ब के 20, टीआरएफ के छह, आईएस के पांच और अंसार गजवातुल हिंद के दो ओवरग्राउंड वर्कर शामिल हैं।

आइजीपी ने यह भी बताया कि हमने उन्हें ए, बी और सी श्रेणी में डाला है। ए-श्रेणी वालों पर पीएसए लगाया जाएगा, बी-श्रेणी वालों को उनके अपराध के अनुसार गिरफ्तार किया जाएगा जबकि सी-श्रेणी वालों की काउंसलिंग की जाएगी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि जब घाटी में ओजीडब्ल्यू नेटवर्क समाप्त हो जाएगा आतंकवादी संगठन खुद-ब-खुद कमजोर हो जाएंगे। आतंकवादियों की आंख, कान का काम यही ओजीडब्ल्यू कर रहे हैं। जब यह नहीं रहेंगे तो कश्मीर में आतंकवादी अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के नेटवर्क को काटने के लिए घाटी के लगभग सभी जिलों में संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की सूची को संशोधित करना शुरू कर दिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार डीजपी जम्मू-कश्मीर ने भी सभी जिला मुख्यालयों को संदिग्ध आतंकवादी समर्थकों की सूची अपडेट करने और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाने के निर्देश दिए हैं ताकि आतंकी नेटवर्क पर अपडेट प्राप्त किया जा सके।

इस कार्रवाई के तहत आतंकवादियों का समर्थन करने वाले संदिग्ध सैकड़ों स्थानीय कश्मीरियों के नाम अब तक सूची में शामिल किए जा चुके हैं।

रणनीति में किए गए बदलाव के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना को इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। अभी तक कश्मीर में 150 आतंकवादी सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 125 अन्य सुरक्षा बलों के रडार पर हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कश्मीर में आतंकवादियों के समर्थकों पर पकड़ मजबूत कर दी है। पुलिस मानना है कि कश्मीर में ओजीडब्ल्यू नेटवर्क टूटते ही आतंकवादी संगठन कमजोर पड़ना शुरू हो जाएंगे।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान अब तक बहुत सफल रहे हैं। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इस साल सुरक्षाबलों ने कश्मीर घाटी में विभिन्न आतंकी संगठनों के 20 से अधिक शीर्ष कमांडरों सहित कम से कम 78 आतंकवादियों को खत्म कर दिया गया है। यही नहीं 22 को जिंदा पकड़ा गया है। यह इस बात का संकेत है कि सुरक्षाबलों द्वारा रणनीति में किया गया बदलाव काम कर रहा है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.