Jammu Kashmir: महबूबा पर पीएसए लगाने का सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार ने मांगा जवाब
इल्तीजा ने कोर्ट के समक्ष उनकी मां पर लगाए पीएसए को रद्द करने की मांग करते हुए सरकार के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।
जम्मू, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखने के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा है। मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने कश्मीर में अगस्त से नजरबंद रखी गई उनकी मां पर प्रशासन द्वारा बाद में पीएसए लगा दिए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इस संबंध में नोटिस जारी करने से पहले पीडीपी प्रमुख की बेटी इल्तिजा मुफ्ती से यह आश्वस्त करने को कहा कि इससे पहले उन्होंने अपनी मां पर लगाए गए पीएसए को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के अलावा किसी अन्य न्यायिक मंच के समक्ष कोई दूसरी याचिका दायर तो नहीं की है।
इल्तीजा ने कोर्ट के समक्ष उनकी मां पर लगाए गए पीएसए को रद्द करने की मांग करते हुए सरकार के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने अदालत में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (व्यक्ति को लाओ) याचिका दायर की है। उन्होंने तर्क दिया कि पहले तो उनकी मां को छह महीनों तक नजरबंद कर दिया गया और उसके बाद पांच फरवरी को अचानक उन पर पीएसए लागू कर दिया गया। सनद रहे कि इल्तिजा द्वारा दायर याचिका में कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मामला सरकार को एडवाइजरी बोर्ड के सामने भेजना होता है। बोर्ड को अपना सुझाव आठ हफ्तों में देना होता है। अगर बोर्ड हिरासत को सही ठहराता है, तो सरकार शख्स को बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रख सकती है। शुरुआत में इस कानून के तहत 16 साल से ज्यादा के नाबालिगों को भी हिरासत में लिया जा सकता था।
इससे पहले इसी पीठ ने जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ लगाए गए पीएसए के खिलाफ उनकी बहन द्वारा दायर इसी समान की याचिका पर भी नोटिस जारी किया था।