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राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा- पाकिस्तान वाली आजादी चाहिए तो वहीं चले जाओ, वह क्या आपको संभालेगा

राज्यपाल ने कहा कि दिल्ली का प्रेस कश्मीर को बदनाम करता है। यहां एक आदमी मरता है तो पूरा सप्ताह खबर चलाते हैं। मेरे जिले में रोज पांच आदमी मरते हैं दिल्ली में कोई खबर नहीं होती।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 09:16 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 09:16 AM (IST)
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा- पाकिस्तान वाली आजादी चाहिए तो वहीं चले जाओ, वह क्या आपको संभालेगा
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा- पाकिस्तान वाली आजादी चाहिए तो वहीं चले जाओ, वह क्या आपको संभालेगा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को कहा कि हिंदुस्तान को तोड़कर कोई आजादी नहीं मिलेगी। पाकिस्तान वाली आजादी चाहिए तो पार चले जाओ। पाकिस्तान अपना घर नहीं संभाल पा रहा है, वह आपको क्या संभालेगा, यही यहां लोगों को समझाना है, बच्चों को समझाना है। यहां विकास करना है। यह मसला बंदूक से नहीं बातचीत से हल होगा, शिक्षा के प्रसार से हल होगा।

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यह समस्या 13 से 26 साल के नौजवानों की है, जिसे दिल्ली में सत्तासीन रह चुकी पहले की सरकारों और यहां के सियासतदानों ने पैदा किया है। कश्मीर में जल्द एक नया नेतृत्व पैदा होगा, जो जानता है कि समस्या क्या है और इसका हल क्या है। कश्मीरियों को नेता या सरकार नहीं, विकास चाहिए।

श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआइसीसी) में नवोदय विद्यालय समिति चंडीगढ़ के दो दिवसीय प्रिंसिपल सम्मेलन का उदघाटन करने के बाद उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मीडिया से लेकर सियासत दानों तक को कश्मीर की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा कि मैं कुछ बोलता हूं तो यहां बखेड़ा हो जाता है। मैं कुछ बोलूंगा तो फिर उस पर एक सप्ताह बहस चलेगी। राज्यपाल ने कहा कि कश्मीर समस्या कोई दिन में पैदा हुई बीमारी नहीं है। यह बहुत हद तक सियासत की पैदा की हुई है। एक जमाने में जो दिल्ली की सरकारें रही हैं, उन्होंने इसे पैदा किया। बिना चुनाव यहां किसी को भी मुख्यमंत्री बना दिया गया।

उन्होंने कहा कि मेरा शाल वाला तक मुझसे कहता था कि जनाब आजादी कब मिलेगी। मैंने उसे कहा कि हिंदुस्तान को तोड़कर कोई आजादी नहीं मिलगी। अगर तुम पाकिस्तान के साथ जाने वाली आजादी की बात करते हो तो फिर पार चले जाओ। यहां के नेता जब यहां सभाओं को संबोधित करते थे तो कभी अटोनामी का नारा देते तो कभी हरा रुमाल दिखाकर लोगों को भरमाते कि पाकिस्तान का पूरा समर्थन है।

यहां सिर्फ 250 आतंकी :

राज्यपाल ने कहा कि यहां हर आदमी आतंकी नहीं है। यहां सिर्फ 250 आतंकी हैं। उन्हें भी गुमराह किया गया है कि मरने के बाद आप जन्नत में जाओेगे। मैं किसी की मजहबी विचारधारा को चुनौती नहीं देता हूं, लेकिन मैं कहता हूं कि यहां कश्मीर में ही जन्नत है, इसे चलाओ। नया नेतृत्व सामने आएगा जो कश्मीर समस्या को हल करेगा

राज्यपाल ने कश्मीर के परंपरागत सियासतदानों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि दिल्ली ने जो दिया उसे यहां के नेताओं और नौकरशाहों ने खुद खाया, उसे आम लोगों तक नहीं पहुंचने दिया। अब प्रत्येक पंचायत में डेढ़ करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं। हमारे सरपंच एमएलए से बेहतर साबित हो रहे हैं। बीते दिनों यहां केंद्रीय गृहमंत्री ने सरपंचों के साथ बैठक की। इनमें तीन लड़कियां भी थी। दो लड़कियों के भाषण से मैं बहुत प्रभावित हुआ और आश्वस्त  हो गया कि यहां अब खानदानी लीडरशिप के स्थान पर एक नया नेतृत्व निकलेगा जो जानता है कि समस्या क्या है और वही कश्मीर मसला हल करेगा।

केवल चार जिलों में समस्या :

यहां दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में ही समस्या है, लेकिन जब वहां आपके स्कूल होंगे, अच्छी शिक्षा होगी तो वह दूर नहीं होगा जब एक आतंकी का फोन आएगा कि साहब मेरे बच्चे को भी स्कूल में दाखिला दो। इसलिए हमने यहां 52 कॉलेज दिए हैं और अगले माह में 52 कॉलेज और देने वाले हैं। 232 स्कूलों को भी अपग्रेड किया है।

दिल्ली का प्रेस कश्मीर को बदनाम करता है :

राज्यपाल ने कहा कि दिल्ली का प्रेस कश्मीर को बदनाम करता है। यहां एक आदमी मरता है तो पूरा सप्ताह खबर चलाते हैं। मेरे जिले में रोज पांच आदमी मरते हैं, दिल्ली में कोई खबर नहीं होती। बीते दिनों पहलगाम में राफ्टिंग के दौरान दरिया में डूब रहे पांच पर्यटकों को बचाते हुए एक स्थानीय गाइड खुद मर गया, लेकिन दिल्ली की प्रेस ने एक लाइन नहीं लिखी।

खतरा आपको नहीं, मुझे :

राज्यपाल ने समारोह में मौजूद लोगों को कश्मीर घूमने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अगर दिल्ली से चलोगे तो रिश्तेदार कहेंगे कि कहां जा रहे हो, मरने जा रहे हो। लेकिन यहां खतरा मुझे है, आपको नहीं। यहां लोग बहुत अच्छे हैं, पूरी तरह शांति है।

खुफिया तंत्र की नहीं, युवाओं की सुनता हूं :

राज्यपाल ने कहा कि मैं यहां खुफिया तंत्र की सूचनाओं पर काम नहीं करता हूं। मेरा यहां विश्वविद्यालय और कॉलेजों के करीब 200 छात्रों से सीधा संपर्क है। मैं युवाओं की सुनता हूं। यहां शाम छह बजे के बाद करने को कुछ नहीं है। हम यहां दो सिनेमाघर बनवा रहे हैं, कुछ दिनों में डल में म्यूजिकल फाउंटेन का भी उदघाटन कर रहे हैं। हमने यहां एक फुटबाल टीम को दो करोड़ रुपये दिए, जेके बैंक ने भी उसे दो करोड़ रुपये दिए। उस टीम का यहां जब मैच होता तो है तो 25 हजार नौजवान स्टेडयिम में पहुंच जाते हैं। जब पहली बार स्टेडियम में यूं भीड़ उमड़ी तो पुलिस वाले भी हैरान थे, हुर्रियत वाले भी।

जेकेएलएफ के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक ने एक बैठक बुलाई और कहा कि यह नौजवान तो हमारे एजेंडे से हट रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि अब मैं स्थानीय नौजवानों के आग्रह पर दक्षिण कश्मीर में एफएम रेडियो मिर्ची का प्रसारण भी कराने जा रहा हूं। 

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