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Jammu: वर्ष 1953 में हुए प्रजा परिषद के आंदोलन के बलिदानियों को किया नमन

पुरुषोत्तम दधीचि ने कहा कि जम्मू कश्मीर में एक विधान एक निशान एक प्रधान की मांग को लेकर हुए आंदोलन में कई लोगों ने बलिदान दिया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटकार उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

By Edited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 07:19 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 07:28 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर को वास्तविक आजादी 5 अगस्त 2019 को मिली।

संवाद सहयोगी, खौड़ : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की दूसरी वर्षगांठ पर प्रजा परिषद मेमोरियल ट्रस्ट ज्यौड़ियां की तरफ से अमर शहीदी स्मारक पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर वर्ष 1953 में 'एक विधान, एक निशान, एक प्रधान' की मांग को लेकर हुए आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सात शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।

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कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के उत्तरी क्षेत्र के व्यवस्था प्रमुख पुरुषोत्तम दधीचि मुख्य अतिथि थे। पुरुषोत्तम दधीचि ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 'एक विधान, एक निशान, एक प्रधान' की मांग को लेकर हुए आंदोलन में कई लोगों ने बलिदान दिया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटकार उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और बाबा साहिब भीमराव आंबेडकर के विरोध के बावजूद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला के साथ अपनी दोस्ती को निभाने के लिए जम्मू कश्मीर में इस असंवैधानिक अनुच्छेद को लागू किया था। उन्होंने कहा कि नेहरू की इस गलत राजनीति का खामियाजा सात दशक तक जम्मू कश्मीर के लोग भुगतते रहे, जिसे दो साल पहले भाजपा सरकार ने खत्म कर दिया।

दधीचि ने कहा कि इसीलिए हम मानते हैं कि जहां हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, वहीं जम्मू-कश्मीर की वास्तविक आजादी 5 अगस्त 2019 को मिली। इस मौके पर राज्य किसान विकास बोर्ड के वाइस चेयरमैन दलजीत चिब, भाजपा जिला प्रभारी जगदीश भगत, ज्यौड़ियां म्यूनिसिपल कमेटी के चेयरमैन मदनलाल, खौड़ म्यूनिसिपल कमेटी के चेयरमैन डिप्टीलाल, संघ के विद्यार्थी प्रकोष्ठ प्रमुख राकेश भारती आदि कई लोग उपस्थित थे।


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