Jammu Kashmir: रेणु के हौसले को सलाम, गांवों की 500 महिलाओं को साथ लेकर कर रही हैं यह काम
रेणू के साथ इस समय कोट भलवाल आरएस पुरा ओल्ड सतवारी और बनतालाब की करीब पांच सौ महिलाएं जुड़ी हुई हैं। वह इन महिलाओं के वस्त्र मंत्रालय से शिल्पकार के कार्ड बना कर देती हैं ताकि इन महिलाओं के काम को मान्यता मिल सके।
जम्मू, रोहित जंडियाल। छोटे से गांव में पढ़ी-लिखी महिला के लिए स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनना आसान नहीं होता है। रास्ते में आने वाली तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन रेणू बिलोरिया ने अपनी मेहनत और जज्बे से न सिर्फ एक मुकाम को हासिल किया है बल्कि आज सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी काम कर रही हैं। वह ग्रामीण महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें सरकारी योजनाओं के माध्यम से काम दिलाकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी पूरा कर रही हैं।
हस्तशिल्प कला में महारत हासिल है :
जम्मू के कोट भलवाल गांव की रहने वाली रेणू बिलोरिया की शादी ओल्ड सतवारी में हुई है। रेणू का सपना था कि वह अपना काम कर एक सफल महिला उद्यमी बने लेकिन यह सब कुछ इतना आसान भी नहीं था। घर वालों को भी इसके लिए मनाना था। इसी दौरान अन्य ग्रामीण महिलाओं की तरह उनकी भी शादी हो गई और सपना मन में दबकर रह गया। शादी के कुछ वर्ष बाद उसने काम करने की इच्छा जताई ताकि घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के साथ-साथ अपने सपने को भी पूरा कर सके। उसने अपना गैर सरकारी संगठन सोनाली एजूकेशन वूमेन वेलफेयर सोसायटी का गठन किया। रेणू हस्तशिल्प कला में माहिर थी। इसी में उसने अपना भविष्य संवारने की ठानी। उन्होंने सबसे पहले अपने साथ 10 और महिलाओं को जोड़ा और स्वेटर बुनने से काम शुरू किया। इसके अलावा क्रोशिया से भी काम किया। उन्होंने हस्तकला से कईं उत्पाद तैयार करना शुरू कर दिए। इसके लिए उन्होंने हैंडीक्राफ्ट विभाग का सहयोग भी लिया।
एक लाख रुपये ऋण से किया काम शुरू :
रेणू ने बताया कि शुरू में विभाग से उन्होंने एक लाख रुपये ऋण लिया और उसी से काम शुरू किया। कहीं पर भी प्रदर्शनी होती थी तो उसमें अपने उत्पादों को प्रदर्शित करती थीं। लोगों कोे पसंद आते थे। परिजनों ने भी उसका साथ दिया। पति रछपाल बिलोरिया और बेटे दोनों ने सहयोग किया। इससे उन्होंने आना काम जारी रखा। उनका काम देख कईं गांव की महिलाएं भी उनके साथ जुड़ने लगी।
वस्त्र मंत्रालय से शिल्पकार कार्ड बनाने में भी दे रही हैं सहयोग :
रेणू के साथ इस समय कोट भलवाल, आरएस पुरा, ओल्ड सतवारी और बनतालाब की करीब पांच सौ महिलाएं जुड़ी हुई हैं। वह इन महिलाओं के वस्त्र मंत्रालय से शिल्पकार के कार्ड बना कर देती हैं ताकि इन महिलाओं के काम को मान्यता मिल सके। इन महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट विभाग की मदद से ऋण दिलाने का काम भी कर रही हैं ताकि यह महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकें। रेणू का कहना है कि वे 11-11 महिलाओं की सोसायटी बनाती हैं और उन्हें काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। यह वे महिलाएं हैं जो कि बहुत अच्छी बुनकर हैं। महिलाएं स्वेटर बुनने के अलावा सिराहने, टोपियां, मफलर, सोफे की गद्दियां व अन्य सामान बनाती हैं। उनके काम में इतनी सफाई है कि सभी इसे पसंद करते हैं और उनके सारे उत्पाद हाथों-हाथ बिक भी जाते हैं।
अच्छा लगता है जब गांव की महिलाओं को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है:
रेणू का कहना है कि वह ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। अच्छा लगता है जब गांव की महिलाएं आगे आकर अपने हुनर को दिखा रही हैं। इस समय उन्होंने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी जम्मू हाट में भी लगाई है। उनका कहना है कि हैंडीक्राफ्ट विभाग ने उन्हें यहां पर अपने उत्पाद प्रदर्शित करनेे का अवसर दिया है। इससे लोगों को भी पता चल रहा है कि ग्रामीण महिलाओं में कितनी प्रतिभा है। बस वह काम करने का अवसर ढूंढ रही हैं। यहां पर जितने भी लोग आ रहे हैं, सभी उनके काम की सराहना कर रहे हैं।