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कला, संस्कृति में भी जम्मू से भेदभाव, आरटीआइ से हुआ खुलासा

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से हर वर्ष राज्य भर

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 03:33 AM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 03:33 AM (IST)
कला, संस्कृति में भी जम्मू से भेदभाव, आरटीआइ से हुआ खुलासा
कला, संस्कृति में भी जम्मू से भेदभाव, आरटीआइ से हुआ खुलासा

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से हर वर्ष राज्य भर में और राज्य के बाहर नियमित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में अधिकतर भागीदारी कश्मीर संभाग के कलाकारों की ही होती है। राज्य के बाहर 85 फीसद कार्यक्रमों में कश्मीर के कलाकारों को मौका मिलता है, जबकि जम्मू और लद्दाख को 15 फीसद हिस्सा ही मिलता है। इसका खुलासा दैनिक जागरण को सूचना अधिकार कानून आरटीआइ के तहत मिली जानकारी से हुआ है।

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जानकारी के अनुसार वर्ष 2015-2018 तक कश्मीर संभाग में आयोजित सैकड़ों कार्यक्रमों में जम्मू संभाग के कलाकारों को 13 कार्यक्रमों में ही भाग लेने का मौका मिला है। उसमें भी जिला ऊधमपुर, कठुआ, सांबा, रियासी जिलों के कलाकारों की भागीदारी ही नहीं है। वहीं, कश्मीर संभाग के कलाकारों को डिवीजनल ऑफिस की ओर से जम्मू में आयोजित सौ कार्यक्रम में से 85 फीसद कार्यक्रम ऐसे रहे हैं, जिनमें लगातार कश्मीर संभाग के कलाकारों, साहित्यकारों को मौका मिला है। दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के कार्यक्रमों में भाग लेने वालों में भी अधिकतर कश्मीर से ही रहे हैं। दूसरे राज्यों में होने वाले समारोह में तो जम्मू संभाग की पूरी तरह से उपेक्षा हुई है। जिला ऊधमपुर के लोक कलाकार धर्मपाल एवं साथियों ने बताया कि राज्य के बाहर आयोजित होने वाले अधिकतर कार्यक्रमों में जम्मू संभाग की मुश्किल से एक दो प्रस्तुति होती है। बाहर यही दर्शाने का प्रयास किया जाता है कि जम्मू-कश्मीर में अधिकतर लोग कश्मीरी बोलने वाले हैं और कश्मीरी संस्कृति राज्य भर में मान्य है। वहीं, लेह के कलाकार डोलमों का आरोप है कि लद्दाख संभाग को कला संस्कृति के क्षेत्र में उसका हक नहीं मिलता। सबसे संरक्षित एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के मालिक लद्दाखी अकादमी की उपेक्षा के शिकार हैं। जब तक अकादमी लद्दाख के लिए अलग से उसका हिस्सा तय नहीं करती, उनसे न्याय नहीं हो सकता।

वहीें, जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव डॉ. अजीज हाजिनी के अनुसार उन्होंने कोशिश की है कि राज्य के सभी संभागों में एक जैसे कार्यक्रम हों। सभी को एक जैसे मौके मिलें। कोशिश होती है कि सभी संभागों के कलाकारों को बराबर मौके मिले। जम्मू के कलाकारों को कश्मीर में आमंत्रित किया जाता है, लेकिन आतंकवाद के खौफ के चलते कलाकार कश्मीर में आते ही नहीं। हाल ही में श्रीनगर में आयोजित राज्य नाट्योत्सव में जम्मू की नटराज नाट्य कुंज ने मंचन किया।


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