घर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचे श्रमिकों को लौटाया
यात्री रेलगाड़ी चलने की अफवाह से स्टेशन पहुंचे बाहरी राज्यों के श्रमिक
जागरण संवाददाता, जम्मू: जम्मू में फंसे दूसरे राज्यों के श्रमिकों के लिए सरकार की तरफ से विशेष रेलगाड़ी चलाए जाने की अफवाह से सोमवार को करीब सौ मजदूर परिवार के सदस्यों के साथ अपने गांव जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पहुंच गए। ये लोग दोमाना, जानीपुर, सरवाल, मुट्ठी आदि इलाकों से आए थे। रेलवे स्टेशन पहुंचे लोगों के नाम-पते नोट कर पुलिस कर्मियों ने उनको वापस भेजा। इनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। उन्हें यह आश्वासन दिया गया कि जैसे ही जम्मू से विशेष रेलगाड़ी चलेगी, उन्हें फोन पर सूचित किया जाएगा। रेलवे पुलिस अधिकारियों ने तुरंत स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन से संपर्क कर तीन बसों को रेलवे स्टेशन में बुला लिया। इन बसों में बैठा कर श्रमिकों को जिन इलाकों से आए थे, वहां भेज दिया गया। स्टेशन सुपरिटेंडेंट राजीव सभ्रवाल के अनुसार उन्हें जम्मू से विशेष रेलगाड़ी चलाने बारे अभी कोई निर्देश नहीं आया है। निर्देशानुसार ही वह रेलगाड़ी चलाएंगे। यदि कोई विशेष रेलगाड़ी चलेगी, तो लोगों को इस बाबत सूचित कर दिया जाएगा।
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लाकडाउन तीन लगते ही टूटा धैर्य, निकल पड़े हजारों मील दूर अपने घर को
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान से जम्मू में काम की तलाश में आए श्रमिकों और उनके परिवारों का लॉकडाउन में अब धैर्य जवाब देने लगा है। सोमवार को लॉकडाउन तीन लगते ही इन श्रमिकों के सब्र का बांध टूट गया। वे पैदल ही अपने परिवार की महिलाओं और बच्चों के साथ जम्मू से अपने पैतृक घर जाने के लिए निकल पड़े। छोटे-छोटे गुटों में बंट कर इन श्रमिकों से जम्मू से निकलना शुरू कर दिया। गुटों में अपने सामान व परिवार के साथ निकले श्रमिकों को पुलिस कर्मियों ने कुंजवानी, बिक्रम चौक, ग्रेटर कैलाश में रोक लिया। जब उनसे पुलिस कर्मियों ने पैदल जाने का कारण पूछा तो श्रमिकों ने बताया कि उनके पास न तो रुपये हैं और न खाने-पीने के सामान। ऐसे में वे यहां रहेंगे तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। इसलिए वे पैदल ही अपने घरों को जा रहे हैं। इस बात की जानकारी जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को चली तो अतिरिक्त जिला आयुक्त तारिक फिरदौस दत्त और सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस सिटी साउथ विनय शर्मा श्रमिकों के पास पहुंचे और उन्हें आश्वस्त किया कि उनके रहने व खाने के लिए हर संभव प्रबंध किए जाएंगे। --
जमापूंजी हो गई समाप्त
लॉकडाउन के चलते उनकी सारी जमा पूंजी खर्च हो गई। वह रोज दिहाड़ी लगाता था और अपने परिवार को पालता था, लेकिन अब उसे रोजगार नहीं मिल रहा। अब वह अपने घर पहुंच कर खेतीबाड़ी करना चाहता है, जिससे वह अपने परिवार को खाना तो खिला सके। पिछले चालीस दिनों वे एक ही कमरे में बंद होकर रह गए हैं। वे स्वयं ही अपने खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं। सरकार की ओर से उन्हें एक बार दस किलो चावल और दस किलो आटा दिया गया उसके बाद से अब तक उनके पास सरकार की ओर से कोई नहीं आया। अलबत्ता कुछ सामाजिक संगठनों ने उनकी मदद की है।
-संतोष कुमार, गोरखपुर
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गैस सिलेंडर जुटाना हो रहा कठिन
लॉकडाउन के चलते उन्हें रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो रहा है। आलम यह है कि गैस एजेंसी से अब उन्हें ब्लैक में भी सिलेंडर नहीं दे रहे। यदि चूल्हा जला भी ले तो उसमें पकाने के लिए उनके पास कुछ नहीं है। केन्द्र सरकार ने एक बार उनके बैंक खाते में दो हजार रुपये जमा करवाएं थे। एक बार स्थानीय प्रशासन ने उन्हें खाने पीने की वस्तुएं दी थी, उसके बाद उनके पास पूछने के लिए कोई नहीं आया। क्या पचास दिनों तक कोई इस धनराशि में खुद का पालन कर सकता है।
-गौतम कुमार, संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश -----
बाहरी राज्यों के श्रमिकों का पैदल अपने घर तक पहुंचा संभव नहीं है। हमने श्रमिकों को कहा है कि जब तक लॉकडाउन समाप्त नहीं होता तब तक वे वहीं रहे जहां अभी रह रहे है। प्रशासन उन्हें आश्वसत कर रहा है कि उन्हें खाने पीने व अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में करीब 75 हजार बाहरी राज्यों के श्रमिक है, जिन्हें राशन व अन्य जरूरी सामान दिया जा रहा है।
-अतिरिक्त जिला आयुक्त जम्मू , ताहिर फिरदौस दत्ता