Positive India: बाढ़ से कोरोना महामारी तक मानवता की सेवा में जुटी रेडक्रॉस
जम्मू-कश्मीर में रेडक्रास की राज्य इकाई का गठन 1947 में हुआ था। जम्मू संभाग में साल 1963 में तत्कालीन ऑनरेरी सेक्रेटरी कर्नल हीरानंद दुबे ने रेडक्रॉस मूवमेंट को शुरू किया था।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू-कश्मीर में चाहे बाढ़ आई हो या भूकंप। सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी हो या जारी कोरोना की महामारी। रेडक्रॉस हमेशा आगे रही है। जम्मू कश्मीर में करीब 57 साल पहले शुरू हुई रेडक्रॉस मूवमेंट के साथ अब हजारों कार्यकर्ता जुड़े हैं। रेडक्रॉस के पास आय का कोई भी स्थायी स्नोत नहीं है। सिर्फ सदस्यता, सरकारी कर्मचारियों और विद्यार्थियों द्वारा स्वैच्छिक रूप से दिए जाने वाले योगदान के अलावा रेडक्रॉस मेले से आय होती है। रेडक्रॉस हमेशा से लोगों की सहायता के लिए आगे रही है। कोरोना के संकट से जूझ रहे जम्मू -कश्मीर में लोगों को खाने से लेकर उनकी आर्थिक सहायता भी कर रही है।
रीजनल रेडक्रास सोसायटी के आनरेरी सचिव विनोद मल्होत्र ने बताया कि जम्मू संभाग में करीब चालीस हजार परिवारों को रेडक्रॉस अभी तक राशन पहुंचा चुकी है। यही नहीं, आरटीओ जम्मू द्वारा मुहैया करवाई गई सूची के आधार पर 150 आटो चालकों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपये नकद डाले हैं। जरूरतमंद मरीजों को एम्बुलेंस तक मुहैया करवाई गई है। रीजनल रेडक्रास सोसायटी के पूर्व आनरेरी सचिव दिनेश गुप्ता का कहना है कि पिछले एक साल में कैंसर, किडनी और लीवर के रोग से जूझ रहे 350 मरीजों को इलाज के लिए 35 लाख रुपयों की आर्थिक सहायता दी गई। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं, सड़क हादसों के पीड़ितों को भी सहायता दी। आगे विधवा महिलाओं की मदद के लिए लाइवलीहुड प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है। इसके तहत जम्मू संभाग में टेलरिंग सेंटर व प्रोडक्शन सेंटर खोले जा सकते हैं। पहले से ही जमीनी स्तह पर काम हो चुका है।
57 साल पहले शुरू हुई थी मूवमेंट: जम्मू-कश्मीर में रेडक्रास की राज्य इकाई का गठन 1947 में हुआ था। जम्मू संभाग में साल 1963 में तत्कालीन ऑनरेरी सेक्रेटरी कर्नल हीरानंद दुबे ने रेडक्रॉस मूवमेंट को शुरू किया था। उस समय राज्य में रेडक्रास के साथ अधिक लोग नहीं जुड़े थे। जब कभी प्राकृतिक आपदा आती थी तो रेडक्रॉस के सदस्य आगे रहते थे। मगर समय के साथ इसमें बहुत बदलाव आया और रेडक्रास के साथ जुड़ने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ने लगी। इस समय सिर्फ आजीवन सदस्यों की संख्या ही दो हजार से अधिक है, जबकि स्वयं सेवकों की संख्या हजारों में है। एक हजार के करीब ऐसे सदस्य हैं, जो हर आपदा के समय मदद को तैयार रहते हैं।
मदद के लिए रेडक्रॉस से करें संपर्क: रेडक्रॉस को जब भी किसी से सहायता का अनुरोध मिलता है, उसकी मदद की जाती है। इस समय लॉकडाउन में कई मरीजों से सहायता के अनुरोध आते हैं। कई जरूरतमंद और गरीब लोग हैं। उन सभी की सहायता के लिए रेडक्रॉस तत्पर है। जब भी किसी को जरूरत हो, रेडक्रॉस से संपर्क कर सकता है। - विनोद मल्होत्र, आनरेरी सचिव, रीजनल रेडक्रास सोसायटी जम्मू
आगे भी जारी रखनी होगी सहायता: जम्मू कश्मीर में आए दिन सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी होती रहती है। ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मदद को रेडक्रॉस को और तेजी लानी चाहिए। रियासी के तलवाड़ा में रह रहे आतंकवाद प्रभावित परिवारों की हालत भी खस्ता बनी हुई है। ऐसे परिवारों के सर्वे करवा कर उनकी सहायता करने की जरूरत है। यहीं नहीं लोगों को रक्तदान, नेत्रदान के प्रति भी जागरूक करने की जरूरत है। रेडक्रॉस ने समय-समय पर बहुत अच्छे काम किए हैं, इन्हें आगे भी जारी रखने की जरूरत है। - दिनेश गुप्ता, पूर्व आनरेरी सचिव, रीजनल रेडक्रास सोसायटी जम्मू