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लावे की बर्खास्तगी पर पीडीपी में बगावत, सांसद समर्थकों की दो टूक- पहले बेग को बर्खास्त करो

सांसद के समर्थक सवाल उठा रहे हैं कि निष्कासन तो यूरोपियन यूनियन के सांसदों से मिलने वाले पार्टी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग का होना चाहिए था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 09:12 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 09:12 AM (IST)
लावे की बर्खास्तगी पर पीडीपी में बगावत, सांसद समर्थकों की दो टूक- पहले बेग को बर्खास्त करो
लावे की बर्खास्तगी पर पीडीपी में बगावत, सांसद समर्थकों की दो टूक- पहले बेग को बर्खास्त करो

जम्मू, राज्य ब्यूरो : बर्फबारी के बीच कश्मीर भले ही शीत लहर की चपेट में हो लेकिन पीडीपी के भीतर जारी उठापठक ने राज्य का सियासी पारा बढ़ा दिया है। पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती करीब तीन माह से हिरासत में हैं और इस बीच पार्टी नेताओं में खींचतान लगातार बढ़ती जा रही है। राज्यसभा सदस्य नजीर अहमद लावे को पार्टी से निष्कासन के आदेश ने इस अंतर्कलह को पूरी तरह सतह पर ला दिया है।

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सांसद के समर्थक सवाल उठा रहे हैं कि निष्कासन तो यूरोपियन यूनियन के सांसदों से मिलने वाले पार्टी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग का होना चाहिए था। स्वयं लावे ने भी अपने निष्कासन को नकार दिया है। उन्होंने साफ कहा कि इस तरह का एलान करने वालों की अपनी कोई हैसियत नहीं है।

गौरतलब है कि पीडीपी विशेष दर्जे की सियासत करती रही है। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से पीडीपी नेता सियासी एजेंडा तय नहीं कर पा रहे हैं। महबूबा समेत पार्टी के कई प्रमुख नेता हिरासत में हैं। इसी को आधार बना पार्टी ने बीडीसी चुनावों का भी बहिष्कार किया था। पीडीपी नेता सभी कार्यक्रमों से किनारा कर रहे हैं।

इस सबके बीच पार्टी का एक धड़ा बदले हालात में नई सियासत शुरू करना चाहता है। संगठन में उभर रहे इन्हीं मतभेदों के चलते महबूबा से पार्टी नेताओं की मुलाकात दो बार स्थगित हो चुकी है। ऐसे में राज्यसभा सांसद नजीर अहमद लावे के निष्कासन के एलान ने अंतर्कलह को बढ़ा दिया है। नजीर अहमद लावे ने गत माह दिल्ली में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान पीडीपी के संरक्षक और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग भी शामिल थे। इस मुलाकात के बाद जम्मू कश्मीर की सियासत में हलचल बढ़ गई। इसके बाद जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के शपथ ग्रहण में भी लावे मौजूद रहे। समारोह में भाग लेने वाले वह एकमात्र गैर भाजपा नेता थे। इसके बाद पीडीपी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का आदेश जारी कर दिया। यही आदेश आपसी लड़ाई का कारण बन रहा है।

पार्टी के रुख के खिलाफ थे लावे : फिरदौस

पूर्व एमएलसी फिरदौस अहमद टाक ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह में लावे की मौजूदगी पार्टी स्टैंड के खिलाफ थी। उनकी मौजूदगी पुनर्गठन के फैसले को समर्थन की तरह है। उन्होंने पहले भी पार्टी अनुशासन भंग किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने गंभीरता से विचार-विमर्श करने के बाद ही कार्रवाई की होगी।

लावे समर्थक उठा रहे हैं बेग पर सवाल

पार्टी के एक अन्य नेता ने फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि यह उन लोगों की कारस्तानी है, जो पीडीपी को बर्बाद करने पर तुले हैं। लावे पर कार्रवाई से पहले तो पार्टी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग के खिलाफ कर्रवाई होनी चाहिए। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों से मिले। बेग का इन लोगों से मिलना एक तरह से सौदेबाजी का संकेत देता है। हालांकि इस मुलाकात को पार्टी ने निजी मुलाकात बताया, लेकिन पार्टी के संरक्षक कहीं भी निजी हैसियत से सियासी लोगों से नहीं मिल सकते। लावे के खिलाफ कार्रवाई और बेग के आचरण को सही ठहराना सही नहीं है।

अनुशासन समिति ने नहीं किया फैसला

पीडीपी के एक पूर्व विधायक ने कहा कि लावे पर कार्रवाई का फैसला पार्टी की अनुशासन समिति की बैठक में नहीं हुआ। यह कुछ खास लोगों ने अपने स्तर पर लिया है। ऐसा लगता है कि यह लोग पीडीपी को अपने तरीके से चलाना चाहते हैं।

शपथ ग्रहण में शामिल होने पर नहीं लिया था कोई फैसला

नजीर अहमद लावे ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह में भाग नहीं लेने के संदर्भ में पार्टी ने कोई फैसला नहीं लिया था। न ही मुझे इस संदर्भ में कोई सूचना दी गई थी। अगर मुझे बताया गया होता तो मैं वहां क्यों जाता? वैसे भी मैंने शपथ ग्रहण समारोह में पीडीपी नेता की हैसियत से नहीं, राज्यसभा सदस्य की हैसियत से हिस्सा लिया है। साथ ही पार्टी प्रवक्ता कैसे मुझे निष्कासित कर सकता है। यह फैसला तो पार्टी अध्यक्ष को लेना है और वह इस समय हिरासत में हैं। इससे साफ है कि कुछ लोग पार्टी को समाप्त करने पर तुले हैं। इन लोगों को जल्द बेनकाब कर देंगे।


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