ग्रामीणों ने कायम की मिसाल: सरकारी तंत्र ने आंखें फेरीं, ग्रामीणों ने बना डाली आठ किमी. सड़क
जम्मू के राजौरी के थन्नामंडी की तीन पंचायतों के ग्रामीणों ने अपने प्रयासों से सड़क बनाकर मिसाल पेश की है। दो दिन में दस लाख इकट्ठे किए तीन सप्ताह में सड़क बन तैयार
राजौरी , गगन कोहली। सरकारी तंत्र और जनप्रतिनिधि ने जब आंखें फेर लीं तो ग्रामीणों ने मिसाल कायम की। फिर क्या था ‘साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जाएगा मिलकर हाथ बटाना’ गीत की तर्ज पर जम्मू संभाग के राजौरी जिले स्थित थन्नामंडी की तीन पंचायतों के लोग एक हो गए। आठ किमी लंबी सड़क को गांव के लोगों ने दो दिन में दस लाख रुपये इकट्ठा कर दिन-रात की कड़ी मेहनत कर खुद ही बना डाला।
कुछ ग्रामीणों ने तो अपनी जमीन सड़क के लिए समर्पित की दी। सड़क बनने से तीन हजार की आबादी को लाभ होगा। राजौरी-थन्नामंडी मार्ग से पंचायत निरोजाल, साज ए और डन्ना को जोड़ती है। यह क्षेत्र करीब 20 साल तक आतंकवाद के जकड़ में रहा था। यहां कई आतंकी वारदातें भी हो चुकी हैं।
तीन सप्ताह की मेहनत :
आठ किलोमीटर सड़क बनाने के लिए सरकारी निर्माण एजेंसी वर्षो लगा देती है, लेकिन साज, निरोजाल और डन्ना पंचायत के लोगों ने निर्माण का काम करीब तीन हफ्ते में काम पूरा कर लिया। दरअसल आजादी के बाद से राजौरी जिले के उपजिला थन्नामंडी की तीन पंचायतों में सड़क तक नहीं थी। इस दौरान कई सरकारें आई और गईं। विकास सिर्फ नेताओं और अधिकारियों के आश्वासनों में था। बुजुर्गों से लेकर युवाओं ने भी सड़क बनवाने के लिए संघर्ष किया।
मजदूर बनकर कई दिन काम किया :
सरपंच साज ए नसीम अख्तर, सरपंच निरोजाल जहूर कुरैशी ने कहा कि जब हमारी किसी ने नहीं सुनी तो हमने बैठक करके लोगों से राय मांगी। ग्रामीणों ने खुद से पैसे जुटाकर सड़क बनाने का फैसला लिया। इसके बाद लोग पैसे देने लगे। दो दिन में ही दस लाख जमा हो गए। उसके तुरंत बाद सड़क का कार्य शुरू करवाया। तीन जेसीबी मशीनें लगाई गईं। कई दिनों तक ग्रामीणों ने मजदूर की तरह काम किया। लोगों ने अपनी जमीन भी सड़क के लिए छोड़ दी। सड़क बनने से विद्यार्थियों और आम लोगों को लाभ होगा। पहले अगर कोई बीमार हो जाता था तो उसे चारपाई पर डालकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता था। बरसात में तो यह रास्ता तालाब बन जाता था।
तीनों पंचायतों के सरपंचों ने किया सड़क का उद्घाटन :
सड़क के उद्घाटन के लिए क्षेत्र के लोगों ने न तो किसी नेता को बुलाया और न ही किसी अधिकारी को। ग्रामीणों ने ढोल नगाड़ों के साथ तीनों गांवों के सरपंचों से मार्ग का उद्घाटन करवाया। अब सिर्फ तारकोल बिछाने का काम शेष है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने प्रयासों पर भरोसा था। जब किसी ओर से मदद नहीं मिली तो अपने स्तर पर कोशिश की गई। अब तस्वीर सामने है।
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