Move to Jagran APP

जम्मू : जरूरतमंद बच्चों के लिए शिक्षा की लौ जला रहे राजेश, 240 बच्चोें को दे रहे हैं निशुल्क शिक्षा

राजेश शर्मा ने कहा कि कि वर्ष 2006 में सबसे पहले जम्मू के रिहाड़ी इलाके में करियर काउंसलिंग सेंटर शुरू किया। इस सेंटर में युवाओं को अपना करियर चुनने के लिए निशुल्क सलाह दी जाती थी। लेकिन उस दौरान भी उन्हें झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे बच्चे दिखते।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 06:33 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 06:33 PM (IST)
राजेश शर्मा ने समाज में हर एक को साक्षर बनाने का सफर साल 2012 में शुरू किया था।

जम्मू, सतनाम सिंह : जम्मू के राजेश शर्मा ने समाज के गरीब, जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने को अपने जीवन का मिशन बनाया है। आठ बच्चों से शुरू की गई यह मुहिम अब 240 बच्चों तक पहुंच गई। ज्ञान की इस मुहिम लिए अध्यापक साथ जुड़ते जा रहे है और कारवां बनता जा रहा है। राजेश शर्मा ने समाज में हर एक को साक्षर बनाने का सफर साल 2012 में शुरू किया था। तब श्रमिकों, झोपड़ पट्टी वालों के आठ बच्चे पढ़ाई के लिए आए। उसके बाद राजेश ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर छन्नी हिम्मत में स्कूल खोला।

loksabha election banner

यूकेजी से लेेकर छठी कक्षा तक की कक्षाएं शुरू की गई। अब कुल मिलाकर 240 बच्चे हो गए हैं। कोरोना से उपजे हालात के बीच जब स्कूल बंद हुए तो कोरोना की रोकथाम के लिए जारी दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित बनाते हुए खुले में सामुदायिक कक्षाएं लगाकर बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला जारी रखा। पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे झोपड़ पट्टी व श्रमिक वर्ग से हैं। उन अभिभावकों को अपने बच्चे पढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया जो बच्चों को स्कूल भेजने के इच्छुक नहीं थे। यह एक चुनौतियां भरा काम था। साथ लगते इलाकों में उन बच्चों की तलाश की गई जिनके अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे थे। कमाई के छोटे मोटे काम करवा रहे थे।

राजेश शर्मा ने कहा कि कि वर्ष 2006 में सबसे पहले जम्मू के रिहाड़ी इलाके में करियर काउंसलिंग सेंटर शुरू किया। इस सेंटर में युवाओं को अपना करियर चुनने के लिए नि:शुल्क सलाह दी जाती थी। लेकिन उस दौरान भी उन्हें झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे बच्चे दिखते। तब मन में आया कि इन बच्चों को शिक्षित किया जाए। यहीं से मिशन की शुरुआत की। आज मेरे साथ मनप्रीत कौर, आशा, सोनू, परमिंद्र कौर, ममता कुमारी जैसे अध्यापक है। बिजनेसमेन, डाक्टर, इंजीनियर व अन्य पेशेवर कई लाेग मदद के लिए आगे आएं है। बच्चों को निशुल्क वर्दी भी दी जाती है।

प्रबंधन की तरफ से स्टेशनरी दी जाती है। वर्ष 2012 में अस्तित्व में आए सन राइज एजुकेशनल स्कूल में बच्चों को खेल-कूद, डांसिंग, सिंगिंग व अन्य गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। स्कूल में कंप्यूटर लैब भी है, जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है। राजेश कहते हैं कि मेरा लक्ष्य बारहवीं कक्षा तक स्कूल चलना है। आवासीय स्कूल बने, बच्चों को ठहराने के प्रबंध हाें। यहां से पढ़ने वाले बच्चे एक अच्छे नागरिक व अधिकारी बने।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.