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Jammu Kashmir: एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआइआर में जांच पर रोक

हाईकोर्ट ने ऊधमपुर पुलिस स्टेशन में एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज पहली एफआइआर में जांच पर फिलहाल अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने इस एफआइआर में आरोपित बनाए गए त्रिलोक गिर व अन्य की ओर से दायर याचिका पर गौर करने के बाद यह रोक लगाई।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 09:20 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 09:20 PM (IST)
Jammu Kashmir: एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआइआर में जांच पर रोक
शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ताओं को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से यह एफआइआर दर्ज करवाई है।

जम्मू, जेएनएफ । हाईकोर्ट ने ऊधमपुर पुलिस स्टेशन में एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज पहली एफआइआर में जांच पर फिलहाल अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने इस एफआइआर में आरोपित बनाए गए त्रिलोक गिर व अन्य की ओर से दायर याचिका पर गौर करने के बाद यह रोक लगाई।

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हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान पेश रहे डिप्टी एडवोकेट जनरल विशाल भारती को अगली सुनवाई तक केस का पूरा रिकार्ड पेश करने का निर्देश दिया और तब तक दर्ज एफआइआर में जांच को वहीं रोकने का निर्देश दिया।केस के मुताबिक भारत नगर ऊधमपुर निवासी पुष्पा देवी ने त्रिलोक गिर, उसके बेटे छोटू व जसवंत चंदेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। पुष्पा देवी ने अपनी शिकायत में कहा कि वह छोटी बिरादरी की है जबकि आरोपित ब्राह्मण व राजपूत बिरादरी से संबंधित है। सभी एक ही गली में रहते हैं।

आरोपितों का घर ऊंचाई पर है और उसका घर नीचे। आरोपितों अक्सर अपने घर का गंदा पानी गली में छोड़ देते थे जो सीधे उसके घर में घुसता था। पुष्पा देवी के अनुसार इससे उनका काफी नुकसान होता था। घटना के दिन भी ऐसा हुआ और जब उसने आरोपितों को मना किया तो उन्होंने उस पर जाति आधारित टिप्पणियां की और उसे बुरा-बला कहते हुए जान उसे मारने की धमकी दी। किसी तरह से मुहल्ले के लोगों ने बीच-बचाव करके उसे आरोपितों से बचाया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट शेख शकील ने एफआइआर खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि यह घटना 11 मार्च 2021 बताई गई है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ताओं को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से यह एफआइआर दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि अगर इसमें सच्चाई होती तो शिकायतकर्ता अपने पहले आवेदन व जांच अधिकारी को दिए बयान में भी ऐसे आरोप लगाती लेकिन ऐसा नहीं किया गया। दोनों तरफ की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने एफआइआर में जांच पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया।


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