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Positive India: कल अपराध में लिप्त थे हाथ, आज संभाल रहे सुरक्षा का जिम्मा

Positive India कठुआ जिला जेल प्रशासन ने अपनी ओर से ‘परवाह’ पहल के तहत कई कल्याणकारी उपाये शुरू किए हैं ताकि ताकि कैदियों के बीच भी दूसरों की देखभाल की भावना जागे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 10:26 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 01:34 PM (IST)
Positive India: कल अपराध में लिप्त थे हाथ, आज संभाल रहे सुरक्षा का जिम्मा
Positive India: कल अपराध में लिप्त थे हाथ, आज संभाल रहे सुरक्षा का जिम्मा

कठुआ, राकेश शर्मा। ऐसा नहीं कि विभिन्न अपराध के आरोप में जेल में बंद कैदियों की सोच वहीं रहती है और एेसा भी नहीं कि सजा मिलने के बाद उन्हें अपने द्वारा किए गए अपराध पर पछतावा नहीं होता है। अगर नहीं होता है तो वहां बंद कैदी जेल प्रशासन द्वारा शुरू किए गए सुधार कार्यक्रम के तहत कौशल व शिक्षा विकास कार्यक्रम का लाभ भी नहीं उठाते। दुनिया में कोरोना से जंग जारी रखने वालों की सूची में अब कैदी भी शामिल हो रहे हैं। वो भी कोरोना योद्धा बनकर कर जेल में ही आम लोगों के लिए अपने हाथों से मॉस्क बनाने में जुटे हैं। इसका उदाहरण इन दिनोंं कठुआ जेल में देखने को मिल रहा है।

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इस समय जब दुनिया कोरोना संकट की वजह से महामारी की चपेट में है, तो जिला प्रशासन की मदद करने के लिए वायरस के बचाव की समस्या का समाधान में कठुआ जिला जेल अधिकारियों के कहने पर जेल में बंद कैदियों ने 7000 से अधिक फेस मॉस्क अपने हाथों से तैयार किए। जिसकी जेल प्रशासन ने सिविल प्रशासन को आपूर्ति की है ताकि सुरक्षात्मक की मांग को पूरा किया जा सके। प्रति दिन 30-40 मास्क बनाने की गति के साथ शुरू कैदियों की टीम अब प्रति दिन 400 मॉस्क को बना रही है। ऐसे प्रत्येक एक बार इस्तेमाल करने के बाद दोबारा पहनने के योग्य बना रहे मॉस्क की कीमत 15 रुपये है जो बाजार में उपलब्ध अन्य कई किस्मों की तुलना में काफी कम है। 

कैदियों द्वारा जेल परिसर में आपस में मिलकर माॅस्क बनाने की प्रक्रिया को देख कर लगता है कि वो आम लोगों की भलाई के लिए काम करने को तैयार हैं, उनके अंदर भी हर किसी के लिए सुरक्षा देने की भावना है। वो भी एक अच्छी सोच वाले इंसान बन सकते हैं। हो सकता है कि जेल सुधार के इस कार्यक्रम से वो अब अपने द्वारा किए गए अपराध पर पछतावा करने को तैयार हैं। जिन हाथों से अपराध किया, अब वहीं हाथ दूसराें की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं। अब कैदियों द्वारा अपने हाथों से तैयार किए माॅस्क के स्टाल आम रास्ते पर भी लगाए जाने की तैयारी जिला जेल प्रशासन कर रहा है।

‘परवाह’ पहल के तहत कैदियों का कौशल विकास: जेल अधीक्षक, मुश्ताक अहमद मल्ला ने बताया कि कठुआ जिला जेल प्रशासन ने अपनी ओर से ‘परवाह’ पहल (जेल एक्टिविटीज़ फॉर रिफॉर्म वेलफेयर एंड हेल्थ) के तहत कई कल्याणकारी उपाये शुरू किए हैं ताकि कैदियों के बीच भी दूसरों की देखभाल की भावना जागे। इसी के चलते मौजूदा समय में दुनिया मेंं आए कोरोना संकट में कैदियों ने भी कोरोना योद्धा के रूप में अपने हाथ बढ़ाए हैं। इस प्रयास में जेल में कैदियों द्वारा तैयार किए 7000 मास्क की आपूर्ति जिला प्रशासन को की जा चुकी है।

अच्छी गुणवत्ता का कपड़ा प्रयोग: जेल में अच्छी गुणवत्ता वाले माॅस्क बनाना चाहते थे, जिन्हें कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है और विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद पॉलीप्रोपाइलीन कपड़े से बने डबल स्तरित माॅस्क बनाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि कठुआ में पॉलीप्रोपाइलीन कपड़ा आसानी से उपलब्ध नहीं था और एक विशेष टीम को तत्काल आधार पर लुधियाना, पंजाब से कपड़े लाने के लिए विशेष अनुमति के साथ भेजा गया था।

पैकिंग के लिए पहले किया जाता है साफ: पैकिंग करने से पहले माॅस्क को ठीक से साफ किया जाता है। कटाई से लेकर सिलाई तक सभी काम सही तरीके से किए जाते हैं, जिसमें कैदियों और जेल कर्मचारियों की टीम की निगरानी में माॅस्क और दस्ताने पहनने जैसी उचित सावधानी बरती जाती है।

सैनिटाइजेशन की पूरी व्यव्स्था: साबुन, सैनिटाइज़र, माॅस्क जैसी आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था कैदियों और कर्मचारियों को प्रदान की गई। भीड़भाड़ से बचने के लिए अलग-अलग धुलाई और स्वच्छता के प्रबंध भी किए गए हैं।


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