बासमती धान के दाम चढ़ने से किसानों के चेहरे खिले
जागरण संवाददाता, जम्मू : इस बार आरएसपुरा क्षेत्र के प्रसिद्ध बासमती चावल के लिए लोगों को कुछ
जागरण संवाददाता, जम्मू : इस बार आरएसपुरा क्षेत्र के प्रसिद्ध बासमती चावल के लिए लोगों को कुछ ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। कारण यह कि खेतों से समेटी जा रहे धान के शुरुआती दाम अपेक्षाकृत तेज हैं। पिछले साल इसी समय प्रति क्विंटल तीन हजार रुपये दिलाने वाले बासमती धान की नई फसल अब किसानों को चार हजार रुपये रुपये दिला रही है। ऐसे में बाजार में आरएसपुरा के नए बासमती के चावल 80 रुपये प्रति किलो से ऊपर ही जाने की संभावना है। व्यापारियों का कहना है कि अभी तो धान निकलने के यह शुरुआती दाम आए हैं। निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए दाम में निरंतर उछाल के संकेत हैं। ऐसे में आने वाले समय में किसानों को और अच्छे दाम मिलेंगे।
आरएसपुरा के बासमती धान की फसल देरी से कटती है। इसके दाम को जानने के लिए किसान उत्सुक रहता है। इस बार दाम में तेजी से किसानों के चेहरे पर रौनक है। वर्तमान में व्यापारी स्वयं किसानों के खेतों में पहुंचकर अच्छी बासमती के लिए प्रति क्विंटल चार हजार रुपये में दे रहे हैं। अरनिया के किसान महेश ¨सह का कहना है कि किसानों के लिए अच्छी शुरुआत है। पिछले चार साल से बासमती के दाम लगातार नीचे रहे हैं। उन्हें घाटा उठाना पड़ा है।
आरएसपुरा बासमती ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रधान देवराज चौधरी का कहना है कि आरएसपुरा बासमती उत्पादक किसानों का भला तभी होगा जब उनको इस खेती के फायदा होगा। हम तो अब भी मांग करते हैं कि किसानों को कम से कम छह हजार रुपये प्रति क्विंटल दिलाए जाएं। वहीं आरएसपुरा को बासमती बेल्ट घोषित कर यहां पर बेहतरीन बासमती उगाने की तरफ ध्यान दिया जाए। मगर इससे पहले राज्य प्रशासन को उचित दाम का भरोसा दिलाना होगा। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण के सीनियर वैज्ञानिक रितेश कुमार का कहना है कि आरएसपुरा की बासमती में पेस्टीसाइड की मात्रा बहुत ही कम है। यह बात अब लोगों में जग जाहिर होने लगी है। इससे उम्मीद है कि आरएसपुरा की बासमती को सम्मानजनक दाम किसानों को जरूर प्राप्त होंगे। आरएसपुरा क्षेत्र के किसानों को अपनी पारंपरिक बासमती की गुणवत्ता को जानना होगा। साथ ही उनको इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि बासमती अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से ही उगाया जाए ताकि उत्पाद की बेहतर मांग बनी रहे।