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जम्मू-कश्मीर: राष्ट्रपति शासन के आसार, निलंबित विधानसभा बहाल होने की उम्मीद नहीं

अब 19 दिसंबर को राज्य में राज्यपाल शासन के छह माह पूरे हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर संविधान में राज्यपाल शासन को छह माह से ज्यादा समय तक लागू रखने का कोई प्रावधान नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 12:35 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 12:35 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: राष्ट्रपति शासन के आसार, निलंबित विधानसभा बहाल होने की उम्मीद नहीं
जम्मू-कश्मीर: राष्ट्रपति शासन के आसार, निलंबित विधानसभा बहाल होने की उम्मीद नहीं

जम्मू, जेएनएन। राज्य में राज्यपाल शासन की 19 दिसंबर को समय सीमा समाप्त होने जा रही है। ऐसे में निलंबित विधानसभा के फिर से बहाल होने की उम्मीद में बैठे विधायकों की ख्वाहिश शायद ही पूरी हो। केंद्र सरकार भी राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकती है।

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गत जून में सत्तासीन तत्कालीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने पर 19 जून को राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया था। किसी भी राजनीतिक दल ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया और इसीलिए विधानसभा को भंग करने के बजाय निलंबित रखा गया। अब 19 दिसंबर को राज्य में राज्यपाल शासन के छह माह पूरे हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर संविधान में राज्यपाल शासन को छह माह से ज्यादा समय तक लागू रखने का कोई प्रावधान नहीं है। मौजूदा परिस्थितियों में कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लागू करना मजबूरी हो जाता है।

राज्यपाल भी दे चुके हैं चुनाव कराने का संकेत

राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी लगभग अपने हर साक्षात्कार में कह चुके हैं कि वह राज्य में जल्द नए विधानसभा चुनाव कराने के पक्षधर हैं। कारण, कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। उच्च प्रशासनिक अधिाकिरयों के मुताबिक अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो बेशक यह मौजूदा राज्यपाल शासन का ही एक तरह से विस्तार होगा। हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में केंद्र के शासन का एक नया दौर भी कहलाएगा। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए केंद्र सरकार को संसद की अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है।

पंचायत चुनाव के बाद नई सरकार बनना संभव

राज्य विधानसभा में 87 सदस्य हैं, जिनमें पीडीपी के 28, भाजपा के 25, नेशनल कांफ्रेंस के 15 आैर कांग्रेस के 12 विधायक हैं। शेष निर्दलीय व अन्य छोटे दलों के विधायक हैं। भाजपा के सहयोगी पीपुल्स काफ्रेंस पीडीपी से नाराज विधायकों से जोड़तोड़ कर राज्य में फिर से सरकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पंचायत चुनाव की समाप्ति के बाद नई सरकार बनने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। किसी भी राजनीतिक दल को राज्य में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत के लिए 44 का आंकड़ा चाहिए।  


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