इस तरह कूड़े से बनाएं आमदनी का स्रोत
घरों से निकलने वाले कूड़े को अगर सही तरीके से ठिकाने लगाया जाए तो यह आमदनी का स्रोत भी बन सकता है।
जम्मू, ब्यूरो। देश के अन्य भागों की तरह जम्मू कश्मीर में भी कुछ वर्षों से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में
कई परेशानियां आई हैं। लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं हैं। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि घरों से
निकलने वाले कूड़े को अगर सही तरीके से ठिकाने लगाया जाए तो यह आमदनी का स्रोत भी बन सकता है। हर
किसी के छोटे-छोटे प्रयास स्वच्छता के सपने को साकार कर सकते हैं।
यह बात जम्मू नगर निगम में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. जफर इकबाल ने कही। जागरण विमर्श में वक्ता डॉ. जफर ने कहा कि स्वच्छता अभियान घरों से शुरू होना चाहिए। इसी पर हमें फोकस करने की जरूरत है। हमें एक-एक शहर और कस्बों में मॉडल वार्ड बनाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
जम्मू में एक बड़ी समस्या यह है कि लोग अपने क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट नहीं लगाने देते। उन्हें लगता है कि इससे उनके क्षेत्र में गंदगी फैलेगी, लेकिन इसका भी समाधान है। अगर हम प्राथमिक और द्वितीय स्तर पर अपने वार्डों में ही इस प्रकार के प्रोजेक्ट चलाएं, जिससे जैविक और अजैविक कूड़े को ठिकाने लगाया जाए तो काफी लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि घरों से दो प्रकार के ही कूड़े निकलते हैं। जैविक कूड़े से हम खाद तैयार कर सकते हैं। इसके लिए हर वार्ड में प्रोजेक्ट लगाने की जरूरत है। हमने हाल ही में जम्मू के रेशम घर मोहल्ले में यह प्रोजेक्ट लगाने के लिए जगह का चयन किया है। इसमें मोहल्ले के लोगों का सेल्फ हेल्प ग्रुप तैयार किया जाएगा। यही ग्रुप घर-घर जाकर कूड़ा एकत्रित करेगा और जैविक व अजैविक को अलग करेगा। जैविक से खाद तैयार की जाएगी और अजैविक को रिसाइकिल किया जाएगा। इससे 70 फीसद कूड़े को वार्ड में ही प्रबंधन हो जाएगा और गंदगी भी नहीं फैलेगी।
उन्होंने कहा कि हर प्रकार की गंदगी का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। गलियों व नालियों में पड़ी बोतलों को भी इकट्ठा करवाया जाएगा। इसके लिए पहले से ही यह काम कर रहे लोगों को पंजीकृत किया जाएगा। जम्मू में नगर निगम ने स्वच्छता के लिए कई योजनाएं बनाई हैं और उन पर काम करना भी शुरू कर दिया है। कई योजनाओं पर पहले से ही काम चल रहा है।
सब्जी मंडी में सब्जी के कूड़े को नगर निगम उठाता है और इसे जानवरों को खाने के लिए दे देता है। अब घरों में निर्माण के दौरान जो गंदगी बाहर पड़ी रहती है, उसे भी उठाने के लिए नगर निगम जल्दी ही कदम उठाने वाला है। नगर निगम की गाड़ियां संबंधित व्यक्ति से फीस लेकर इस गंदगी को उठाएगा और इसे तवी के किनारों को बनाने और निचले स्थानों को भरने के लिए इस्तेमाल करेगा।
यह प्रयास भी किया जा रहा है कि शहर के भीतर जितनी डेयरी हैं, उन्हें भी बाहर किसी एक ही जगह पर शिफ्ट किया जाए। अगर कोई शहर के भीतर चलाता भी है तो गंदगी नालियों में नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि कूड़े के बेहतर प्रबंधन से कई लोगों को रोजगार मिल सकता है। कई जगहों पर इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। जम्मू के बिश्नाह क्षेत्र में भी ऐसा प्रोजेक्ट चल रहा है। हर किसी को स्वच्छता के लिए मिलजुल कर प्रयास करने होंगे।
स्वच्छता अभियान में क्या बाधाएं आ रही हैं?
लोगों में जागरूकता की कमी है। उन्हें यह नहीं पता कि किस प्रकार से कूड़े का प्रबंधन किया जाए। यही नहीं, कई जगहों पर सफाई कर्मियों की भी कमी है। जिन जगहों पर कम सफाई कर्मी हैं, वहां पर इस कमी को दूर करने की जरूरत है। हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होगी।
पॉलीथिन पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता?
पॉलीथिन के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। अगर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जम्मू नगर निगम और पुलिस मिलकर अभियान चलाए तो इसे और सफल बनाया जा सकता है। यह जरूरी है कि पॉलीथिन के निर्माण पर ही प्रतिबंध लगा दिया जाए।