राजपथ पर इस बार दिखेगी जम्मू-कश्मीर के सद्भाव की झलक
अहिंसा, सत्य एवं नैतिकता के प्रतीक महात्मा गांधी, लेडी लिंडा जो मीराबेन के नाम से प्रख्यात थीं, के साथ कश्मीर की ऐतिहासिक यात्रा को झांकी में दर्शाया जाएगा।
अशोक शर्मा, जम्मू : भारत-पाक विभाजन के समय जब पूरे देश को सांप्रदायिकता की आग ने अपने आगोश में ले रखा था, उस समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कश्मीर में ही आपसी सद्भाव और अहिंसा के ठंडे झोंके महसूस हुए। उम्मीद की नई किरण नजर आई थी। इस वर्ष राजपथ पर जब पूरा देश गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाएगा तो जम्मू कश्मीर अपनी भाईचारे की सदियों पुरानी परंपरा के साथ अमन का पैगाम सुनाएगा।
भारत के मस्तक पर रत्न जड़ित मुकुट की भांति सुशोभित धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर को बेशक आतंकवाद ने बदनाम किया है, इसकी छवि को दुनिया भर में खराब किया है लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को इस राज्य के भाईचारे, एकता, अखंडता, कला, संस्कृति ने प्रभावित किया था। भारत-पाक बंटवारे के दौरान जब देश भर में कई जगह लोग एक दूसरे के दुश्मन बने हुए थे, उस समय भी कश्मीर में सभी धर्म के लोग एक जुट होकर भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश कर रहे थे। उसी अमन शांति को देखते हुए महात्मा गांधी ने कहा था कि उन्हें कश्मीर से रोशनी की किरण दिख रही है। ऐसा ही दृश्य इस वर्ष राजपथ पर गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली जम्मू-कश्मीर की झांकी में दिखेगा।
राज्य के प्रसिद्ध कलाकार वीर मुंशी कर रहे झांकी तैयार
जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के डिप्टी सेक्रेटरी कल्चर नजीर हुसैन ने बताया कि जनपथ रोड से निकलने वाली राज्य की इस झांकी को राज्य के प्रसिद्ध कलाकार वीर मुंशी तैयार कर रहे हैं। वीर मुंशी इससे पहले भी कई बार गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य की झांकी पेश करने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें कई बार झांकी तैयार करने के लिए सम्मानित किया जा चुका है। इस वर्ष की झांकी में दर्शाया जाएगा कि जम्मू-कश्मीर विभिन्न धर्मो एवं संस्कृतियों का राज्य है। अहिंसा, सत्य एवं नैतिकता के प्रतीक महात्मा गांधी, लेडी लिंडा जो मीराबेन के नाम से प्रख्यात थीं, के साथ कश्मीर की ऐतिहासिक यात्रा को झांकी में दर्शाया जाएगा। इसी यात्रा के दौरान मीराबेन ने गांदरबल क्षेत्र कश्मीर में लोगों के सशक्तीकरण के लिए गोशाला की स्थापना की थी। जब पूरा उपमहाद्वीप जल रहा था, ऐसे में गांधी जी को कश्मीर में रोशनी की किरण का अहसास हुआ। उनके विचार वर्तमान समय में भी प्रकाश स्तंभ का कार्य कर रहे हैं। कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा यहां साधु संतों एवं फकीरों का अलौकिक प्रभाव रहा है। कश्मीर को सूफी संतों की धरती भी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर राज्य अपनी कला, वास्तुकला, भाषाओं बोली, रीति रिवाजों, पहनावे, मेलों, त्योहारों, साहित्य, हस्तकला एवं संगीत आदि के लिए प्रसिद्ध है। इस वर्ष दिखाई जाने वाली झांकी में जम्मू-कश्मीर की मिली जुली संस्कृति को दर्शाया जाएगा।
झांकी के सबसे आगें दिखेंगे महात्मा गांधी
झांकी के सबसे आगें गांधी जी दिखेंगे। इसके अलावा अकबर का दुर्ग, हरि पर्वत, गुरुद्वारा छटी पादशाही, दरगाह मक्कदूम साहब एवं शारिका पीठ मंदिर दिखेगा। सभी को एक ही स्थान पर दर्शाया गया है। यहां पर आस्थावान हिंदू, मुस्लिम एवं सिख परिक्रमा करते हुए कश्मीर की धर्म निरपेक्ष परंपरा का संदेश देंगे। झांकी में ठीक वैसा ही दृश्य दिखाने प्रयास किया गया है, जिसे देखकर गांधी जी प्रभावित हुए थे। यह झांकी कश्मीर के समृद्ध धार्मिक स्थलों के अलावा बादामों के बाग एवं परंपरागत सूफी संगीत कश्मीर की वास्तविक समृद्ध परंपरा को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके मॉडल को तैयार कर लिया गया है लेकिन अभी बदलाव जारी है। जम्मू-कश्मीर की प्रस्तावित झांकी को अंतिम रूप दिल्ली में होने वाली रक्षा मंत्रालय की बैठक में दिया जाएगा।