पत्थरों पर भविष्य की तालीम लेते हैं मासूम
राज्य में शिक्षा व्यवस्था की असल तस्वीर क्या है। पत्थर ही बच्चों के लिए डेस्क हैं आसमान तले लगती हैं कक्षाएं। और तो और पढ़ाई भी मौसम पर निर्भर करती है।
राजौरी, गगन कोहली, राज्य में शिक्षा व्यवस्था की असल तस्वीर क्या है। यह शहरों से दूर ग्रामीण अंचलों में जाकर देखी जा सकती है। आज हम आपको रूबरू करवाते हैं एक ऐसे स्कूल से जो कहने में प्राथमिक शिक्षा केंद्र है, लेकिन न इसकी इमारत है, न छत है और न ही सुविधाएं। स्कूल की इमारत ढह चुकी है। पत्थर ही बच्चों के लिए डेस्क हैं और आसमान तले लगती हैं कक्षाएं। और तो और पढ़ाई भी मौसम पर निर्भर करती है। फिर भी इन बच्चों की पढ़ाई के प्रति लगन व इच्छाशक्ति काबिलेतारीफ है।
जम्मू संभाग के राजौरी जिले के समेयाज मोड़ा के प्राथमिक शिक्षा केंद्र सरकार के बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के दावों की पोल खोल रहा है। स्कूल का निर्माण वर्ष 1971 में हुआ था। इसके बाद किसी ने इस स्कूल की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। स्कूल की इमारत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बारिश, धूप, ठंड, गर्मी में खुले आसमान के नीचे ही बैठकर छोटे बच्चे पढ़ाई करते हैं।
अध्यापक भी खुले में पढ़ाते हैं। दूरदराज क्षेत्र होने के कारण यहां के लोग आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं। स्थानीय निवासी गफ्तार अहमद, मुहम्मद रेयाज, शौकत अली ने कहा कि कई वर्षों से स्कूल की इमारत की हालत जर्जर बनी हुई है। छत डालने के लिए किसी भी प्रकार का कोई भी प्रयास नहीं किया गया।
कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत करवाया गया। स्कूल में पचास से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी लाल हुसैन का कहना है कि जल्द ही इस स्कूल की इमारत का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा। जल्द इस स्कूल की इमारत को तैयार करवाकर बच्चों की इस समस्या को दूर किया जाएगा।