अब जेएंडके बैंक को आरटीआई के दायरे में लाने पर सियासत शुरू हुई
जम्मू-कश्मीर बैंक को राज्य सूचना अधिकार आरटीआई के दायरे में लाने के फैसले के बाद राज्य में इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है।
जम्मू, जेएनएन । जम्मू-कश्मीर बैंक को राज्य सूचना अधिकार आरटीआई के दायरे में लाने के फैसले के बाद राज्य में इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल से जेएंडके बैंक को सार्वजनिक उपक्रमों की श्रेणी में शामिल करने के अपने फैसले को रद्द करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जेएंडके बैंक को पीएसयू की श्रेणी में शामिल करना राज्य के विशिष्ट दर्जे को समाप्त करने की साजिश का एक हिस्सा है महबूबा ने कहा कि जेएंडके बैंक राज्य का एक स्वायत्त वित्तीय संस्थान है। राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिया गया फैसला पूरी तरह से अनुचित है।
राज्य प्रशासन ने साफ किया है कि बैंक की कार्यप्रणाली में उसका दखल देने का कोई भी इरादा नहीं है। बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ही सुप्रीम हैं और यह स्वायत्त है। बैंक को पहले की तरह आरबीआई ही रेगुलेट करेगा। राज्य प्रशासनिक परिषद के फैसले का उद्देश्य बैंक की कार्यप्रणाली में बेहतर प्रशासन और पारदर्शिता लाना हैं। जेएंडके बैंक को आरटीआई के दायरे में लाना और सेंटर विजिलेंस कमीशन के दिशा निर्देश लागू करना सिर्फ पारदर्शिता लाना है। बैंक राज्य विधानसभा को जवाबदेह होगा और इसकी वार्षिक रिपोर्ट राज्य विधानसभा में ही रखी जाएगी। बैंक में सही पारदर्शिता आरटीआई एक्ट लागू होने से आएगी। सभी प्रशासनिक और भर्ती नियम इससे जुड़े हुए हैं।
सत्ता में रहे कुछ परिवारों ने तो बैंक को अपनी जागीर समझा
केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जेएंडके बैंक को राज्य में सत्तासीन रहे कुछ परिवार इसे अपनी जागीर समझ दुरुपयोग करते आए हैं। राज्यपाल का यह फैसला वित्तीय संस्थानों में पारदर्शिता को यथासंभव बढ़ाने के केन्द्र के फैसले के अनुरूप है। चार दशकों से जेएंडके बैंक का लाभ सिर्फ राज्य के सत्तासीन रहे परिवारों को ही मिल रहा है। राज्यपाल को बैंक का आडिट करा, कर्ज न चुकाने वालों और गैर सत्यापित निवेशकों के नाम सार्वजनिक करने चाहिए। राज्यपाल के फैसले पर वहीं लोग हंगामा कर रहे हैं जिन्होंने बैँक का अनुचित लाभ लिया है। कुछ लोग जिनका प्रत्यक्ष आमदनी का जरिया नहीं है या नाममात्र की आमदनी है, रातों रात अमीर बन गए हैं। हिंदोस्तान में ही नहीं दुबई व यूरोप के मुल्कों में भी संपत्ति के मालिक बन गए हैं।