Jammu Kashmir: रोशनी लैंड स्कैम के घेरे में सियासत के भवन
श्रीनगर में दो दलों की जमीनों को रोशनी के तहत ही मालिकाना हक मिले थे इस जमीन पर अब दोनों का अधिकार नहीं कैग रिपोर्ट में बताया गया था कि श्रीनगर में दोनों पार्टियों ने रोशनी एक्ट के माध्यम से अपने कार्यालयों की जमीन का मालिकाना हक हासिल किया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े रोशनी जमीन घोटाले में सवालों के घेरे में बड़े सियासी दल भी आ रहे हैं। कैग रिपोर्ट में दो सियासी दलों को भी लाभार्थी बताया गया था, हालांकि अब सभी हस्तांतरण की जांच सीबीआइ के पाले में आने के बाद और भी खुलासे होने की उम्मीद है।
कैग रिपोर्ट में बताया गया था कि श्रीनगर में दोनों पार्टियों ने रोशनी एक्ट के माध्यम से अपने कार्यालयों की जमीन का मालिकाना हक हासिल किया था। दूसरी ओर, दोनों पार्टियों के खेमे में हलचल है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य विधानमंडल में 2012-13 में रिपोर्ट में मुख्यधारा वाले राजनीतिक पार्टियों को रोशनी घोटाले में संस्थागत लाभार्थियों के रूप में उजागर किया था।
श्रीनगर के पॉश एरिया में खिदमत ट्रस्ट की जमीन पार्टी मुख्यालय के नाम करवा ली गई। इसके अलावा चार कनाल दूसरी जमीन पर एक पार्टी ने कार्यालय की इमारत खड़ी कर दी। जांच में सामने आया कि वर्ष 2007 में दोनों राजनीतिक दलों ने जमीन को ट्रस्ट के नाम ट्रांसफर करवाया और रोशनी एक्ट के तहत अधिकार जमा लिया। मौजूदा समय में इन जमीनों की कीमत लगभग एक अरब के पास है। हालांकि दोनों पार्टियों के नेता कहते हैं कि रोशनी एक्ट एक सही कानून था, लेकिन जमीनों के आवंटन में राजस्व विभाग के अधिकारी जिन्होंने रोशनी एक्ट की आड़ में सरकारी जमीनों को अपने स्वार्थ के लिए बेच दिया।
एडवोकेट अंकुर शर्मा का कहना है कि अब अवैध रूप से श्रीनगर में बने दोनों मुख्यालयों पर हथौड़ा चलेगा। इस जमीन पर दोनों का मालिकाना अधिकार नहीं है। इस मामले को सीबीआइ के संज्ञान में भी लाएंगे। अंकुर शर्मा की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने रोशनी एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी है।
यह है रोशनी एक्ट
जम्मू कश्मीर सरकार ने यह कानून बनाया था कि प्रदेश में अतिक्रमण की गई जमीन मामूली फीस लेकर अतिक्रमणकारियों को सौंप दी जाए और इसके बदले मामूली फीस तय की गई थी। आरोप है कि जम्मू कश्मीर में 20 लाख कनाल सरकारी और वन भूमि पर भूमाफियाओं, राजनेताओं, राजस्व अधिकारियों, पुलिस अफसरों ने अतिक्रमण किया था और रोशनी एक्ट के सहारे वह इस जमीन के मालिक बन गए।