बड़ा मुद्दा: राजनीतिक दलों ने नहीं बनाया बिलावर को जिला बनाने का मुद्दा
वर्ष 2012 में बिलावर बनी और बसोहली के लोगों ने जिला कठुआ का पुनर्गठन कर नया पहाड़ी जिला बनाने के लिए आंदोलन चलाया था।
कठुआ, राकेश शर्मा। ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र में पड़ते जिला कठुआ की पहाड़ी क्षेत्र बनी, बसोहली व बिलावर को जिला बनाने की मांग यहां के लोगों की वर्षो पुरानी है। इसको लेकर गत वर्षो में स्थानीय लोगों ने अभियान भी चलाया था, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मौजूदा समय में जारी लोकसभा चुनाव में भी किसी राजनीति दलों ने अपने घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया। जिला कठुआ के पहाड़ी क्षेत्र बनी, बसोहली व बिलावर की करीब तीन लाख आबादी है।
पहाड़ी क्षेत्र को जिला बनाने के लिए स्थानीय लोग कई बार संघर्ष कर चुके हैं और धरना-प्रदर्शन भी किए हैं। पहाड़ी क्षेत्र की जनता ही नहीं राजनीतिक दल भी इस मुद्दे से जुड़कर पहाड़ी क्षेत्र की जनता की इस जायज मांग करार दे चुके हैं, लेकिन उसके बाद सत्ता में आने पर सब भूल जाते हैं। शायद यही कारण है कि छह साल पहले जिला के पहाड़ी क्षेत्र की जनता द्वारा संघर्ष करने के बाद भी कठुआ जिला का पुनर्गठन कर अलग पहाड़ी जिला बनाने के लिए किसी भी सरकार ने कोई प्रयास नहीं किए हैं। ऐसे में अब फिर चुनाव हो रहे हैं और कई मुद्दे उठ रहे हैं, लेकिन पहाड़ी जिला के गठन के अहम मुद्दे पर सभी उम्मीदवारों एवं राजनीतिज्ञों ने कोई बात नहीं है।
पहाड़ी जिले के लिए संघर्ष : वर्ष 2012 में बिलावर, बनी और बसोहली के लोगों ने जिला कठुआ का पुनर्गठन कर नया पहाड़ी जिला बनाने के लिए आंदोलन चलाया था। इसमें स्थानीय लोगों ने धरने प्रदर्शन कर करीब एक साल तक सरकार के समक्ष इस मांग को उठाते रहे थे। इसके लिए बाकायदा पहाड़ी जिला आंदोलन कमेटी का भी स्थानीय लोगों ने गठन किया था। आंदोलन में सबसे अहम ये बात रहीं कि सभी लोग राजनीतिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर आए। इसके कारण सरकार को भी स्थानीय लोगों की मांग को जायज करार देना पड़ा।
विधानसभा में भी उठ चुका है यह मुद्दा : लगातार एक साल के आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि लोगों की आवाज विधानसभा में गूंजी और कठुआ जिला के सभी पांचों विधायकों के अलावा राज्य के अन्य विधायकों ने भी कठुआ जिला की इस मांग को विस में मांग उठाई। मांग उठाने वालों में तब के कठुआ के रहे विधायक चरणजीत सिंह, बिलावर के डॉ मनोहर लाल शर्मा, जगदीश सपोलिया, लाल चंद और हीरानगर के विधायक दुर्गा दास के अलावा पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता शामिल थे। इसके अलावा जिला विकास बोर्ड की बैठक में भी सभी विधायकों ने इस मुद्दे पर बहिष्कार तक कर दिया था।
राजनीतिक दलों को मिल चुका है समर्थन : कठुआ जिले के पुनर्गठन की मांग सिर्फ पहाड़ी जिला के लोग ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में इसे उठाया है। जिसमें भाजपा, कांग्रेस, पैंथर्स, पीडीपी, नेकां, बसपा, सीपीआईएम सहित कई सामाजिक संगठन शामिल हैं। इसके अलावा पंचायत प्रतिनिधि भी।
200 किमी की परिक्रमा कर लोग पहुंचते हैं जिला मुख्यालयः कठुआ जिला में हीरानगर, बसोहली, बिलावर और बनी उपमंडल पड़ते हैं। जिसमें पांच उपमंडल के अलावा 11 तहसीलें, 19 सीडी ब्लॉक हैं। बनी उपमंडल पूरी तरह सो पहाड़ी क्षेत्र में है। जहां पर सड़क सुविधा अभी दूर की कौड़ी है। वहां के लोगों को कठुआ जिला में सरकारी काम कराने के लिए 200 किलोमीटर की पहाड़ी क्षेत्र की दूरी तय करके पहुंचना पड़ता है। जिला मुख्यालय तक पहुंचने में दो दिन लग जाते हैं।
कठुआ से मशेडी मल्हार की दूरी 150 किमीः बिलावर के सरला गांव मशेडी मल्हार तहसील की दूरी भी कठुआ से 150 किलोमीटर है। दुर्गम रास्ते होने पर लोगों को दो दिन जिला मुख्यालय तक पहुचने में लग जाते हैं। इतने समय में जम्मू से दिल्ली और मुंबई तक पहुंचा जा सकता है। आम आदमी के लिए जिला मुख्यालय में कई सरकारी काम होते हैं। ऐसे में क्षेत्र के लोगों को एक दिन पहले जिला मुख्यालय तक पहुंचना पड़ता है। यहीं कारण है कि आज तक पहाड़ी क्षेत्र में विकास कम हो पाया है,लोग समय पर जिला के मुख्य अधिकारियों के पास अपनी बात रखने में असमर्थ होते हैं,क्योंकि बनी, बिलावर और बसोहली से कठुआ जिला मुख्यालय आकर अपनी समस्या रखना संभव नहीं ह। इसके कारण कई समस्याएं अधिकारियों के समक्ष समय पर न रखने से लंबित रह जाती हैं।
सांबा से मात्र 20 किमी दूरः कठुआ जिले से सटे सांबा जिले की दूरी 20 किलोमीटर से ज्यादा नहीं है। एक घंटे में जिला मुख्यालय पर पहुंचा जा सकता है,जबकि कठुआ जिला की परिक्रमा 200 किलोमीटर होने पर 12 से 36 घंटे लगते हैं,क्योंकि बनी की दूरी कठुआ जिला से 12 घंटे की और बनी के दूरदराज क्षेत्र की दूरी 36 घंटे की है।
बिलावर, बसोहली और बनी को मिलाकर पहाड़ी जिले की लोग उठाते रहे हैं मांगः बनी, बसोहली एवं बिलावर के लोग तीनों उपमंडलों को मिलाकर एक केंद्र जगह में पहाड़ी जिला बनाने की मांग करते आ रहे हैं ताकि उनकी कम से कम 100 किलोमीटर की दूरी कम हो सके। एक दिन में अपने जिला मुख्यालय पहुंच कर सरकारी काम करा सकें। दूरी अधिक होने से समय की बर्बादी होने के साथ-साथ खर्च भी अधिक होता है और कई जरूरी कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाते हैं, जिससे लोगों को परेशानी होती है।
क्या कहते हैं नेता
- - जब मैं मंत्री था, तब भी उन्होंने पहाड़ी जिला बनाने की मांग को लेकर विस और जिला विकास बोर्ड की बैठक में ये मुद्दा जोरों से उठाया था और अब सत्ता में आने वाले पहाड़ी जिले के निर्माण के लिए प्राथमिकता रहेगी। - डॉ. मनोहर लाल शर्मा
- - उनकी पैंथर्स पार्टी ने हमेशा कठुआ जिले के पुनर्गठन के लिए आवाज उठाई और उनके नेता एडवोकेट हरि चंद जलमेरिया जिला आंदोलन कमेटी के अध्यक्ष है। संसद व विस के बीच और बाहर उनकी पार्टी इस मुद्दे को जोरों से उठाएगी। - हर्ष देव सिंह
- - कठुआ जिला के पुनर्गठन के लिए भाजपा हमेशा पक्षधर रही है। इसके लिए हम खुले तौर पर आवाज उठाते रहे हैं। उप मुख्यमंत्री रहते हुए डॉ. निर्मल सिंह ने जिला स्तर के बिलावर में कई अधिकारियों के पद सृजित किए एवं कई कार्यालय स्थापित किए हैं। - रवींद्र बिलोरिया, भाजपा पहाड़ी जिला पंचायती सेल प्रधान