Move to Jagran APP

Jammu Kashmir: एमए स्टेडियम में पुलिस ने किया रोहिंग्याओं को तलब, लेखा-जोखा जुटाना शुरू

सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले रोहिंग्याओं का लेखा-जोखा जुटाने के लिए जम्मू पुलिस ने उन्हें तलब किया है। जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में इन रोहिंग्याओं को बुलाकर पुलिस ने उनका लेखा-जेखा जुटाना शुरू कर दिया

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 08:22 PM (IST)
जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में इन रोहिंग्याओं को बुलाकर पुलिस ने उनका लेखा-जेखा जुटाना शुरू कर दिया।

जम्मू, जागरण संवाददाता । सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले रोहिंग्याओं का लेखा-जोखा जुटाने के लिए जम्मू पुलिस ने उन्हें तलब किया है। जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में इन रोहिंग्याओं को बुलाकर पुलिस ने उनका लेखा-जेखा जुटाना शुरू कर दिया और वहां उनके पहचान पत्र व संयुक्त राष्ट्र उच्च आयोग की ओर से जारी रिफ्यूजी कार्ड भी देखे जा रहे हैं।

loksabha election banner

पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई जम्मू शहर में अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं का पता लगाने के लिए की जा रही है। जांच में जो रोहिंग्या अवैध रूप से यहां बसे पाए गए, उन्हें वापस उनके देश म्यांमार में डिपोर्ट किया जाएगा। इससे पहले वर्ष 2017 और 2018 में भी पुलिस ने रोहिंग्याओं की वेरिफिकेशन की थी।शनिवार सुबह ही एमए स्टेडियम को पुलिस ने सील कर दिया था। गेट के बाहर पुलिस के साथ सीआरपीएफ की भी तैनाती कर दी गई थी। सुबह नौ बजे ही कुछ रोहिंग्या परिवारों को वहां बुलाया गया था जो अपने साथ अपने पहचान पत्र व संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी विस्थापित कार्ड भी अपने साथ ले आए थे। इसके अलावा कई रोहिंग्याओं को पुलिस खुद भी उनके ठिकानों से लेकर आई थी जिन्हें जांच के बाद वापस छोड़ा गया। इस दौरान एमए स्टेडियम में प्रवेश को लेकर भी पुलिस ने सख्ती शुरू कर दी। स्टेडियम में जाने वाले खिलाड़ियों व वहां के स्टाफ कर्मचारियों के अलावा किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं थी।

यहां पर रोहिंग्याओं की जांच की जा रही थी, वहां किसी को भी जाने नहीं दिया जा रहा था। रोहिंग्याओं की इस जांच के पीछे उस कड़ी को भी माना जा रहा है जो कुछ दिन पहले पुलिस के सामने आई थी। जम्मू पुलिस ने शहर के नरवाल इलाके में एक रोहिंग्या और उसके साथी को पकड़ा था जो वहां माैलवी बन कर रह रहे थे और उनके पास से पुलिस को फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड व पासपोर्ट भी मिला था। इससे पहले भी म्यांमार से आए इन रोहिंग्याओं पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं जिनमें कुछ वर्ष पहले सुंजवा सैन्य शिविर में हुआ आतंकी हमला भी शामिल है।

संदेह जताया जा रहा है कि उस आतंकी हमले में शामिल आतंकियों ने रोहिंग्याओं की मदद ली थी और रोहिंग्या बस्ती में ही आतंकियों ने हमले से पहले शरण ली थी। इसके अलावा ये रोहिंग्या चोरी, नशे की तस्करी व अन्य अपराधिक वारदाताें में भी शामिल पाए गए हैं। वहीं डीएसपी हेड क्वार्टर स्वाति शर्मा का कहना है कि यह रूटीन कार्रवाई है। बारी बारी से रोहिंग्याओं को बुलाकर उनके दस्तावेज जांचे जाएंगे।

आधिकारिक तौर पर 14 हजार मानी जाती है जम्मू में रोहिंग्याओं की संख्या

जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं की संख्या आधिकारिक तौर पर 14 हजार मानी जाती है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि उनकी संख्या इससे कहीं अधिक हैं। जम्मू के नरवाल, मराठा बस्ती, तालाब तिल्लो, राजीव नगर, कासिम नगर आदि ऐसे इलाके हैं जहां काफी संख्या में रोहिंग्या रहते हैं और उनमें से अधिकतर ऐसे है जिनके पास वैध दस्तावेज भी नहीं हैं। अवैध रूप से रह रहे इन रोहिंग्याओं में से कई रेलवे में ठेकेदारों के साथ काम कर रहे हैं तो कई टेलीकॉम कंपनियों के साथ फाइबर आदि डालने में भी लगे हैं। इसके अलावा शहर में कचरा बीनने का काम भी रोहिंग्या कर रहे हैं। इतना ही शहर में भीख मांगने वाले लोगों में भी रोहिंग्याआें की संख्या काफी है जिनमें उनके बच्चे व महिलाएं भी शामिल हैं। कई बार मिनीबसों में चोरी के मामले में भी रोहिंग्या महिलाओं संलिप्तता सामने आई है। जम्मू के अलावा रोहिंग्या सांबा, कठुआ व राजौरी पुंछ मेे भी हैं जहां उनका कोई ब्यौरा नहीं है।

पश्चिम बंगाल के मालदा शरणार्थी शिविर से जम्मू लाए गए हैं अधिकतर रोहिंग्या

जम्मू में रोहिंग्याओं को बसाने के पीछे एक बड़ा षड़यंत्र भी सामने आ रहा है। सूत्रों को कहना है कि जम्मू में बसाए गए रोहिंग्याओं में से अधिकतर पश्चिम बंगाल के मालदा व उसके आसपास के शरणार्थियों से लाए गए हैं। यहां लाए गए शब्द का इसलिए इस्तेमाल हो रहा है क्योंकि यह रोहिंग्या खुद नहीं बल्कि कश्मीर की एक गैर सरकारी संस्था की ओर से जम्मू लाए गए हैं जिसका इरादा जम्मू में इन्हें बसा यहां की सामाजिक स्थित को खराब करना और सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाना था। जम्मू में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या खुद भी कई बार सुरक्षा एजेंसियों के सामने कबूल कर चुके हैं कि उन्हें जम्मू में बेहतर सुविधाओं व ख्याल का झांसा देकर लाया गया है और जम्मू में लाकर उनके खाने पीने की भी पूरी व्यवस्था की गई। सुरक्षा एजेंसियों को यह भी सूचना मिली है कि इन रोहिंग्याओं को जम्मू में बसाने वाली संस्थाओं को यूएई व पाकिस्तान से फंडिंग भी होती है जिसके कुछ सबूत भी मिले हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.